मेरा दरवाजा हमेशा बंद रहता था, वे ड्रग्स देकर सेक्स करते थे… दिल्ली में फंसीं 7 विदेशी युवतियों का दर्द झकझोर देगा

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मेरा दरवाजा हमेशा बंद रहता था, वे ड्रग्स देकर सेक्स करते थे… दिल्ली में फंसीं 7 विदेशी युवतियों का दर्द झकझोर देगा

मेरा दरवाजा हमेशा बंद रहता था, वे ड्रग्स देकर सेक्स करते थे… दिल्ली में फंसीं 7 विदेशी युवतियों का दर्द झकझोर देगा

नई दिल्ली: रहीमा (बदला हुआ नाम) काम की तलाश में अप्रैल 2019 में टूरिस्ट वीजा पर भारत आई थी। उजबेकिस्तान से उसे लाने वाले बिचौलियों ने उसका पासपोर्ट और सामान सब छीन लिया। दक्षिण दिल्ली के एक फ्लैट के एक कमरे में उसे बंद कर दिया गया। बिना पासपोर्ट के 26 साल की इस युवती के पास बिचौलियों की मांग पूरी करने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं बचा। बिचौलियों ने उससे कहा कि जो भी फ्लैट में आए वह उसकी शारीरिक जरूरतों को पूरा करे। इतना ही नहीं, उसे ड्रग्स लेने के लिए मजबूर किया गया। इस तरह से रहीमा ड्रग्स और सेक्स के जाल में पूरी तरह फंस गई। उसका जीवन नरक बन गया। ऐसी कुल सात विदेशी महिलाएं वहां फंसी थीं।

रोज ड्रग्स… हमें भाषा भी नहीं आती थी
रहीमा ने बताया कि एक ग्राहक को मना करने या भागने की कोशिश करने पर उसे पीटा गया। उसे और उसके जैसी कई युवतियों को रोज ड्रग्स लेने के लिए मजबूर किया जाता था। हाल यह हुआ कि कुछ लड़कियों की आदत हो गई। रहीमा ने बताया, ‘हमें कोई पैसा नहीं दिया जाता था। हमारे लिए मुश्किल ज्यादा थी क्योंकि हमें स्थानीय भाषा नहीं आती थी।’ वह उन सात लड़कियों में शामिल है जो उस नरक से भागकर चाणक्यपुरी स्थित उजबेकिस्तान दूतावास पहुंचने में सफल रही। हालांकि पहचान का कोई वैध दस्तावेज नहीं होने के कारण वह दूतावास परिसर में प्रवेश नहीं कर पाई।

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महिलाओं की किस्मत अच्छी थी, एम्पॉवरिंग ह्यूमैनिटी एनजीओ ने उन्हें बचाया। इसके बाद दिल्ली पुलिस ने किडनैपिंग, तस्करी, आपराधिक षड्यंत्र, जबरन वसूली समेत कई धाराओं में सोमवार को चाणक्यपुरी थाने में केस दर्ज किया। पुलिस ने अंतरराष्ट्रीय रैकेट का पर्दाफाश करते हुए पांच लोगों को गिरफ्तार किया है।

शादी हुई, बच्चे फिर पति ने छोड़ दिया
एक को छोड़कर, बाकी सभी पीड़ित महिलाओं के घर पर बच्चे हैं। ज्यादातर महिलाओं ने बताया कि कम उम्र में उनकी शादी हो गई, बच्चे हुए और बाद में पतियों ने उन्हें छोड़ दिया। एक ने बताया कि 17 साल की उम्र में उसे अक्टूबर 2019 में लाया गया था। एक महिला 30 साल की है और उसे एक बच्चा है जिसके दिल में छेद है। एक अन्य युवती 22 साल की है और वह इसी साल जनवरी में शहर आई थी।

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ड्रग्स देकर सेक्स करते थे…
रहीमा को भी एक बच्चा है। पति के छोड़ने के बाद, वह नौकरी की तलाश में थी और उसे दिल्ली से एक ऑफर आया। वह टूरिस्ट वीजा पर शहर आई थी लेकिन बाद में उसे ऐसी जगह ले जाया गया जिसका नाम वह नहीं जानती। उसने बताया, ‘मेरे कमरे का दरवाजा हमेशा बंद रहता था। हमें बाहर जाने की इजाजत नहीं थी। अगर हम जाते थे तो साथ में दलाल रहते थे। वे हमें ड्रग्स देते थे और मना करने पर जबरन देते थे। कुछ ग्राहकों ने भी उन्हें ड्रग्स दिया था। वो समय ऐसा था, जब 10 आदमी सेक्स करते थे।’

एम्पॉवरिंग ह्यूमैनिटी ने इन महिलाओं की तरफ से पुलिस केस दर्ज कराने में मदद की। हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के पास एफआईआर की कॉपी है। इसके मुताबिक इन महिलाओं को तस्करी करके भारत लाया गया था। इन्हें नेपाल में टूरिस्ट वीजा दिया गया और इनमें से कुछ अलग-अलग समय पर मेडिकल वीजा पर भारत आई थीं। उनसे वीजा छीन लिया गया और नई दिल्ली लाकर वेश्या बनने के लिए मजबूर किया गया। कुछ महिलाओं ने बताया कि वे मेडिकल या अन्य वीजा पर सीधे भारत आई थीं और पहुंचते ही उनके यात्रा दस्तावेज और पासपोर्ट उनसे ले लिए गए थे।

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दलालों के चंगुल से छूटे लेकिन…
जुलाई में मानव तस्करों के खिलाफ काम करने वाली दिल्ली पुलिस की यूनिट ने एक दर्जन लोगों को गिरफ्तार किया जिसमें महिलाएं और विदेशी नागरिक भी शामिल थे। ये गैरकानूनी तरीके से उजबेक महिलाओं को भारत लाते थे। पुलिस ने 11 महिलाओं को भी छुड़ाया जो इस समय डिटेंशन सेंटर में हैं क्योंकि उनके पास कोई वैध यात्रा दस्तावेज नहीं हैं। एक जांच अधिकारी ने बताया कि महिलाओं ने दावा किया है कि उन्हें भारत में नौकरी का ऑफर दिया गया लेकिन पहुंचते ही देह व्यापार में धकेल दिया गया।

एक पुलिस अधिकारी ने बताया, ‘हम फॉरेनर्स रजिस्ट्रेशन ऑफिस से जानकारी ले रहे हैं जिससे तय हो सके कि कौन वैध वीजा पर आया था और किसे तस्करी के जरिए भारत लाया गया। मामले की जांच अब भी जारी है और कई लोग अभी गिरफ्तार हो सकते हैं। उजबेकिस्तान से महिलाओं को दिल्ली लाने के इस रैकेट में कई लोग शामिल हो सकते हैं। छापेमारी के दौरान कई दस्तावेज मिले हैं और हम कुछ महिलाओं की भी तलाश कर रहे हैं।’

सामाजिक कार्यकर्ता और एम्पॉवरिंग ह्यूमैनिटी के वालंटियर हेमंत शर्मा ने कहा कि बिचौलियों से उनकी आजादी के बाद भी उन्हें शांति नहीं मिली क्योंकि उनके पास वैध दस्तावेज नहीं है। मसला यह है कि पीड़ित खुद ही आरोपी बन गए क्योंकि वे पहचान और यात्रा दस्तावेज नहीं दिखा सके, जिसे तस्करों ने उनसे छीन लिया है।

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