मेट गाला कैसे पहुंचा महाराजा भूपिंदर सिंह का चोरी हुआ हीरा? एमा चैंबरलिन के नेकलेस के बारे में सबकुछ

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मेट गाला कैसे पहुंचा महाराजा भूपिंदर सिंह का चोरी हुआ हीरा? एमा चैंबरलिन के नेकलेस के बारे में सबकुछ


मेट गाला कैसे पहुंचा महाराजा भूपिंदर सिंह का चोरी हुआ हीरा? एमा चैंबरलिन के नेकलेस के बारे में सबकुछ

इस साल का मेट गाला इवेंट (Met Gala 2022) बेहद शानदार रहा। इसमें शामिल होने वाले सिलेब्रिटीज के फैशन सेंस की खूब चर्चा हुई। जहां किम कार्दशियन (Kim Kardashian) पॉप आइकन मर्लिन मुनरो (Marilyn Monroe) की ड्रेस पहनकर मेट गाला में पहुंचीं, वहीं अन्य हस्तियों ने भी एकदम अनूठे आउटफिट ट्राई किए। लेकिन जब अमेरिकन यूट्यूबर एमा चैंबरलिन (Emma Chamberlain) मेट गाला में पहुचीं तो सबकी नजरें उन पर टिक गईं। ये नजरें एमा पर उनकी ड्रेस नहीं बल्कि उनके एतिहासिक डायमंड नेकलेस के कारण टिकीं। दावा किया जा रहा है कि यह नेकपीस एमा का नहीं बल्कि पंजाब स्थित पटियाला के महाराजा भूपिंदर सिंह (Bhupinder Singh Maharaja of Patiala) का है। इस कारण इंडियन यूजर्स भी भड़क गए हैं।

भूपिंदर सिंह का था दुनिया का सातवां बड़ा हीरा, 1948 से गायब

रिपोर्ट्स के मुताबिक, पटियाला के महाराजा भूपिंदर सिंह के पास DeBeers डायमंड थे। उन्होंने Cartier को एक नेकलेस बनाने का आदेश दिया था। साथ ही कहा था कि नेकलेस के सेंटर में DeBeers डायमंड लगा दें। यह दुनिया का सातवां सबसे बड़ा (Bhupinder Singh diamond necklace) हीरा है। बताया जाता है कि भूपिंदर सिंह ने 1948 में इस नेकलेस को बेटे और युवराज यदविंद्र सिंह को पहना दिया था। पर इसके कुछ वक्त बाद ही वह नेकलेस अचानक गायब हो गया।

मेट गाला में एमा चैंबरलिन, फोटो: epicture.timesgroup.com


50 साल बाद Cartier को मिला, पर गायब था हीरा और रूबी
करीब 50 साल बाद यह डायमंड कार्टियर के प्रतिनिधि Eric Nussbaum को लंदन में मिला था। हालांकि यह नेकलेस का सिर्फ आधा हिस्सा था, जिसमें कोई DeBeers डायमंड और बर्मीज रूबी भी नहीं थे। तब कार्टियर ने इस नेकलेस को DeBeers डायमंड और रूबी के बिना ही जोड़कर दोबारा बनाने का फैसला किया। लेकिन जैसे ही मेट गाला पर Emma Chamberlain ने इस डायमंड नेकलेस में मेट गाला में एंट्री की तो सोशल मीडिया पर इसी बात की चर्चा होने लगी। दावा किया जाने लगा कि यह पटियाला के महाराजा भूपिंदर सिंह का नेकलेस है। एमा Cartier की ब्रांड एंबेसेडर हैं और उन्होंने मेट गाला के लिए इसी की जूलरी पहनी थी।

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एमा चैंबरलिन का नेकलेस, फोटो: epicture.timesgroup.com

इंडियन यूजर्स भड़के, कहा- हमारा हीरा वापस दो
एमा को एतिहासिक नेकलेस में देख ट्विटर पर इंडियन यूजर्स ने एमा को खरी-खोटी सुनानी शुरू कर दी। एक यूजर ने कहा कि यह हीरा हमारा है और इसे हमें वापस कर दिया जाना चाहिए। एक अन्य यूजर ने लिखा, ‘थैंक्स Cartier. यह पटियाला के महाराजा की जूलरी है। यह हमारे देश से चुराई जूलरी है, कोई फैंसी जूलरी नहीं है जो सिलेब्रिटीज को पहनने को दे दी जाए। यह घोर बेइज्जती है।’

हालांकि कुछ यूजर्स का ऐसा भी कहना था कि यह नेकलेस महाराजा भूपिंदर सिंह का नहीं है, बल्कि कार्टियर ने बनाया है। इस पर अभी तक Emma Chamberlin का कोई रिऐक्शन नहीं आया है।

कौन थे महाराजा भूपिदंर सिंह

भूपिंदर सिंह पटियाला रियासत के महाराजा थे। वह एक क्रिकेट प्लेयर भी रहे। उन्होंने 1900 से 1938 से पटियाला पर राज किया। भूपिंदर सिंह की रंगीन मिजाजी के कई किस्से बेहद आम थे। ऐसा कहा जाता है कि उन्होंने सेक्स को ही धर्म बना दिया था। भूपिंदर सिंह ने 10 बार शादी की थी, लेकिन 300 से भी ज्यादा रानियां थीं। भूपिंदर सिंह के करीब 88 बच्चे थे, जिनमें से सिर्फ 53 बच्चे ही जीवित बच चुके। भूपिंदर सिंह का जन्म 12 अक्टूबर 1891 को हुआ था। सिर्फ 9 साल की उम्र में ही भूपिंदर सिंह ने राज गद्दी संभाल ली थी।

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महाराजा भूपिंदर सिंह, फोटो: Etimes

दीवान जरनमनी दास ने अपनी किताब ‘महाराजा’ में भूपिंदर सिंह की रंगीन मिजाजी के किस्से बताए थे। उन्होंने बताया था कि महाराजा भूपिंदर सिंह ने एक भवन बनवाया था। इसका नाम ‘लीला भवन’ था, जिसे ‘रंगरलियों का महल’ भी कहा जाता है। बताया जाता है कि इसमें लोगों को बिना कपड़ों के ही एंट्री मिलती थी। इसी महल में भूपिंदर सिंह ने 300 से भी ज्यादा महिलाओं को रखा था, जिनके साथ वह संबंध बनाते थे। इसी महल में भूपेंद्र सिंह ने अपने लिए एक कमरा रिजर्व रखा था, जिसका नाम ‘प्रेम मंदिर’ था। इसमें भूपिंदर सिंह के अलावा किसी और को जाने की आजादी नहीं थी।

ऐसी भी बताया जाता है कि महाराजा भूपिंदर सिंह के महले में करीब 365 लालटेन थीं, जिन्हें रोजाना रात को जलाया जाता था। इन पर महाराजा भूपिंदर सिंह की सभी रानियों के नाम लिखे हुए थे। इनमें से जो भी लालटेन सुबह सबसे पहले बुझ जाती थी, महाराजा उसी रानी के साथ रात गुजारते थे।



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