मेगा एंपायर-10 साल बाद स्पाइसजेट को मुनाफा: कभी सैलरी के लिए बेचने पड़े थे एयरक्राफ्ट, आज 8 हजार करोड़ रेवेन्यू h3>
साल 2014 की बात है। स्पाइसजेट एयरलाइन के पास 30 विमान थे। उस वक्त लगभग 7500 कर्मचारी स्पाइसजेट में काम कर रहे थे। कंपनी इस कदर फाइनेंशियल क्राइसिस से जूझ रही थी कि सैलरी देना भी मुश्किल हो रहा था।
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कंपनी ने इस संकट से उबरने के लिए अपने 5 विमान बेच दिए। साथ ही कर्मचारियों की छंटनी का भी फैसला लिया। हालांकि कंपनी ने उस वक्त कितने लोगों को निकाला था ये साफ नहीं है।
10 साल बाद 2024 की तीसरी तिमाही में स्पाइसजेट को पहली बार 25 करोड़ रुपए का मुनाफा हुआ है। साल 2024 में कंपनी का रेवेन्यू 8,497 करोड़ रहा। वर्तमान में कंपनी में 9 हजार कर्मचारी है।
आज मेगा एंपायर में कहानी भारत की लो कॉस्ट एयरलाइन स्पाइसजेट की
41 साल पहले 9 फरवरी, 1984 में मोदी ग्रुप ऑफ कंपनी के मालिक एसके मोदी ने एक प्राइवेट एयर टैक्सी की कंपनी शुरू की। ये कंपनी निजी इस्तेमाल के लिए छोटे एयरक्राफ्ट किराए पर देती थी।
मोदी ग्रुप ऑफ कंपनी के मालिक एसके मोदी।
उस समय कंपनी जीनियस लीजिंग फाइनेंस एंड इन्वेस्टमेंट कंपनी लिमिटेड के नाम से रजिस्टर थी। यह प्राइवेट एयर टैक्सी कंपनी थी, इसलिए इसका किराया ज्यादा था।
उस वक्त एअर इंडिया और वायुदूत एयरलाइंस जैसी कंपनियों का दबदबा था। इस वजह से मोदी ग्रुप की एयर टैक्सी कंपनी पर लोगों ने भरोसा नहीं दिखाया।
कंपनी की बिगड़ती हालत को देखते हुए एसके मोदी ने इसे प्राइवेट एयर टैक्सी कंपनी से डोमेस्टिक एयरलाइन कंपनी में बदलने का फैसला किया। 17 फरवरी 1993 को कंपनी का नाम बदलकर एमजी एक्सप्रेस लिमिटेड कर दिया गया।
अब कंपनी डोमेस्टिक एयरलाइन के तौर पर काम करने लगी। तब कंपनी के पास तीन बोइंग 737-200 एडवांस एयरक्राफ्ट थे।
जर्मन एयरलाइन कंपनी लुफ्थांसा के साथ की तकनीकी पार्टनरशिप
साल 1993 में ही एसके मोदी ने बेहतर टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट करने के मकसद से जर्मन एयरलाइन कंपनी लुफ्थांसा के साथ पार्टनरशिप की।
इस समझौते के बाद जर्मन एयरलाइन ने एमजी एक्सप्रेस कंपनी के पायलट समेत सभी कर्मचारियों को ट्रेनिंग दी। साथ ही लीज पर एमजी एक्सप्रेस को 5 एयरक्राफ्ट भी दिए। इन एयरक्राफ्ट में कंपनी ने फर्स्ट क्लास और इकोनाॅमिक क्लास सर्विस देनी शुरू की।
साल 1994 तक एमजी एक्सप्रेस लिमिटेड भारत में जाना-पहचाना नाम बन चुकी थी। एसके मोदी ने स्विसएयर, केएलएम-रॉयल डच एयरलाइंस, क्वांटास एयरवेज, एयर कनाडा जैसी इंटरनेशनल एयरलाइन के साथ समझौता कर लिया।
साथ ही कंपनी ने करीब ढाई करोड़ इक्विटी शेयर जारी कर दिए, जिसकी कीमत 24 करोड़ रुपए थी। 12 अप्रैल, 1994 को कंपनी का नाम एकबार फिर बदलकर मोदीलुफ्ट लिमिटेड कर दिया गया।
एसके मोदी की मोदीलुफ्ट एयरलाइन का एयरक्राफ्ट।
सितंबर 1994 में, कंपनी ने एयरक्राफ्ट फ्यूल का इंतजाम करने के लिए इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड के साथ एक समझौता साइन किया। उस वक्त मोदीलुफ्ट एकमात्र ऐसी एयरलाइन थी जिसने भारत में हर रोज कम से कम 12 घंटे एयरक्राफ्ट का इस्तेमाल किया।
23 नवंबर, 1994 में कंपनी को शेड्यूल्ड एयरलाइन (जिसकी रूट और समय पहले से तय होते हैं) का दर्जा मिला। साथ ही कंपनी को इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (आईएटीए) की सदस्यता भी मिल गई।
साल 1995 में मोदीलुफ्ट की इंडियन पार्टनर कंपनी ने लुफ्थांसा पर समझौते के अनुसार फंड नहीं देने का आरोप लगाया। इस पर जर्मन एयरलाइन का कहना था कि मोदीलुफ्ट ने लीज पर लिए चार लुफ्थांसा विमानों की पेमेंट समय पर नहीं की।
मई 1996 में दोनों कपंनी ने समझौता खत्म करने का फैसला किया। समझौता खत्म होते ही लुफ्थांसा के एयरक्राफ्ट की उड़ान भी रोक दी गई। जिसकी वजह से मोदीलुफ्ट कंपनी को काफी ज्यादा नुकसान हुआ। इस वजह से 1996 में कंपनी बंद हो गई।
5 साल बाद 2002 में एकबार फिर एयरलाइन कंपनी शुरू करने की कोशिश की गई। इस बार नाम रखा रॉयल एयरवेज लिमिटेड। हालांकि इसे शुरू करने के लिए इन्वेस्टर नहीं मिले और ये कंपनी शुरू ही नहीं हो पाई।
2004 में रॉयल एयरवेज लिमिटेड को बिजनेस टाइकून अजय सिंह ने खरीद लिया। अजय सिंह ने एयरलाइन में कम बजट वाला मॉडल अपनाते हुए कंपनी को दोबारा शुरू करने की योजना बनाई।
29 अप्रैल, 2005 को इसका नाम बदलकर स्पाइसजेट कर दिया गया। इससे पहले चार बार कंपनी का नाम बदला जा चुका था। स्पाइसजेट ने 2005 में दो बोइंग एयरक्राफ्ट 737-800 लीज पर लिए, साथ ही बोइंग और क्यू-400 कंपनी को 10 नए विमानों का ऑर्डर दिया।
अजय सिंह ने 2004 में रॉयल एयरवेज लिमिटेड खरीदा। 2005 में नाम बदलकर स्पाइसजेट कर दिया गया।
स्पाइसजेट की बुकिंग 18 मई 2005 को शुरू हुई और 24 मई 2005 को दिल्ली-मुंबई के बीच कंपनी की पहली फ्लाइट ने उड़ान भरी। जुलाई 2008 तक मार्केट शेयर के मामले में स्पाइसजेट कम लागत वाली भारत की तीसरी सबसे बड़ी एयरलाइन बनी।
जून 2010 में अजय सिंह ने स्पाइसजेट की 37.7% हिस्सेदारी 750 करोड़ रुपए में सन ग्रुप के मालिक कलानिधि मारन को बेच दी। एयरलाइन ने जुलाई 2010 में 30 बोइंग 737-8 एयरक्राफ्ट और दिसंबर 2010 में 15 बॉम्बार्डियर Q4 डैश शॉर्ट-हॉल एयरक्राफ्ट खरीदे। इससे कंपनी की परफॉर्मेंस काफी बेहतर हो गई।
साल 2012 में कच्चे तेल की कीमत बढ़ गई। इस वजह से स्पाइसजेट को 39 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान हो गया। 2014 तक कंपनी की हालत काफी खराब हो गई।
बिगड़ते टाइमिंग और खराब कनेक्टिविटी जैसी कई वजहों से लोगो ने स्पाइसजेट में ट्रैवल करना बंद कर दिया। कंपनी पर करीब 1500 करोड़ का कर्ज हो गया। नतीजतन 2014 के आखिर तक कंपनी दिवालिया होने के कगार पर थी।
दिसंबर 2014 में अजय सिंह ने केंद्र सरकार से बातचीत कर एक टेम्परेरी एग्रीमेंट साइन किया। इसके अनुसार कंपनी किश्तों में अपना कर्ज चुका सकती थी। इसके बाद कंपनी को रिस्ट्रक्चर करने के लिए अजय सिंह ने जनवरी 2015 में सन ग्रुप से अपने शेयर वापस ले लिए।
इस समय सबसे बड़ी समस्या कस्टमर और इन्वेस्टर का भरोसा वापस पाना था। कस्टमर टिकट बुक नहीं कर रहे थे, पार्टनर विमान वापस मांग रहे थे और सरकार कर्ज चुकाने के लिए एयरलाइन के पीछे पड़ी थी।
पैसेंजर को परेशानी हो रही थी और कर्मचारियों को लगा कि उनका कोई भविष्य नहीं है। अजय सिंह ने जैसे-तैसे अपने कर्मचारियों को काम करने के लिए रोका।
कंपनी संभालने के लिए अजय सिंह ने एयरलाइन की बेसिक जैसे फ्लाइट टाइम मैनेजमेंट ठीक करना, वेबसाइट के इंटरफेस में सुधार और एयरपोर्ट पर सुविधाएं देने जैसे काम पर फोकस किया।
इसके साथ ही कम लोड वाली पैसेंजर फ्लाइट बंद कर, इंटरनेशनल डेस्टिनेशन के लिए फ्लाइट ऑपरेट करना शुरू कर दिया। इस साल कंपनी को 238 करोड़ का फायदा हुआ।
सितंबर 2017 में एयरलाइन ने 25 नए एयरक्राफ्ट क्यू400 टर्बोप्रॉप एयरक्राफ्ट खरीदे। 2019 में स्पाइसजेट ने जेट एयरवेज के ग्राउंड किए गए 30 एयरक्राफ्ट भी खरीद लिए।
साल 2020 में कंपनी का रेवेन्यू 12 हजार करोड़ से ज्यादा रहा। कंपनी के शानदार परफॉर्मेंस के बीच कोविड ने दस्तक दिया। जिससे स्पाइसजेट को अपनी कई फ्लाइट कैंसिल करनी पड़ी।
साल 2021 में कंपनी को लगभग 7 हजार करोड़ का नुकसान झेलना पड़ा। इसके अलावा स्पाइसजेट के क्राफ्ट में खराबी के मामले भी सामने आने लगे। जिसके कारण मई 2022 में, डायरेक्टर जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) ने कंपनी के विमान की सुरक्षा जांच शुरू की।
जुलाई 2022 में, DGCA ने मौजूदा उड़ानों की 50% तक की उड़ानों पर रोक लगा दिया। कंपनी की हालत को सुधारने के लिए 12 सितंबर 2024 को स्पाइसजेट ने फाइनेंशियल क्राइसिस से निपटने के लिए ₹ 3,000 करोड़ का फंड जुटाने की पहल की।
वर्तमान में मार्केट शेयर के आधार पर स्पाइसजेट भारत की चौथी सबसे बड़ी डोमेस्टिक एयरलाइन कंपनी है। अब कंपनी के पास कुल 65 एयरक्राफ्ट हैं। कंपनी 38 डोमेस्टिक डेस्टिनेशन और 3 इंटरनेशनल डेस्टिनेशन ( सऊदी अरब, थाइलैंड, यूनाइटेड अरब अमीरात) के लिए लगभग 147 डेली फ्लाइट ऑपरेट करती है।
पैसेंजर फ्लाइट के अलावा स्पाइसएक्सप्रेस नाम से कंपनी कार्गो सप्लाई का भी काम करती है। स्पाइसएक्सप्रेस के पास भारत में 11,262 पोस्टल कोड उपलब्ध हैं।
स्पाइसजेट की कार्गो कंपनी स्पाइसएक्सप्रेस।
रिसर्च – विशाखा कुमारी
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