मृत पक्षी का शव मिले तो उसे हाथ नहीं लगाएं: बर्ड फ्लू इंसानों में भी फैलने का खतरा, अब तक 14 पक्षियों की मौत – Jaisalmer News h3>
जैसलमेर। प्रोटोकॉल के साथ दफनाया जा रहा मृत पक्षियों को।
जैसलमेर में H5N1 एवियन फ्लू (बर्ड फ्लू) की पुष्टि के बाद प्रशासन अलर्ट है। अब इस बीमारी के पशुओं और इंसानों में फैलने से रोकने के लिए प्रशासन बीमारी के प्रोटोकॉल के बीच पक्षियों के शव को दफन कर रहा है। प्रशासन अलर्ट हो गया है। सभी आम नागरिकों से भी अ
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इस बीमारी से गुरुवार को एक और कुरजा (डेमोइसेल क्रेन) ने दम तोड़ दिया। अब तक 14 पक्षियों की मौत हो चुकी है। जैसलमेर से 55 किलोमीटर दूर देवी कोट कस्बे के देगराय ओरण इलाके के लूनेरी और लखमना तालाब के पास जहां मृत कुरजा पक्षी मिले हैं, उस इलाके को प्रशासन ने संक्रमित हॉटस्पॉट घोषित कर प्रतिबंधित कर दिया है ताकि कोई भी पशु और इंसान उस तरफ ना जाए और इस बीमारी की चपेट में ना आ जाए। इस इलाके में कुरजा ने डेरा डाला हुआ है।
बर्ड फ्लू को लेकर प्रशासन, पशु पालन विभाग, वन विभाग व हैल्थ डिपार्टमेंट की टीम अलर्ट हो गई है और संक्रमण को रोकने के प्रयास कर रही है। हालांकि अभी तक केवल प्रवासी कुरजा पक्षी में ही इस बीमारी की पुष्टि हुई है, इसलिए भी प्रशासन ने राहत की सांस ली है, मगर अन्य पक्षियों, पशुओं और इंसानों में ये बीमारी ना फैले इसको लेकर एहतियात बरता जा रहा है।
मृत पक्षियों के शवों को दफनाया गया।
अब तक 14 पक्षियों की बर्ड फ्लू से हुई मौत
पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक उमेश व्रगतिवार ने बताया कि जिले के देगराय ओरण इलाके में पहले 8 और अब 5 कुल 14 कुरजा पक्षी मृत मिले हैं। यहां 11 जनवरी को 6, 12 जनवरी को दो कुरजा के शव मिले। इसके बाद 13 को दो 15 को तीन और 16 को एक कुरजा का शव मिले। अब मिले पक्षियों के शवों को बाकायदा मास्क, ग्लव्ज आदि लगाकर दफनाया गया है और उसके बाद फिनाइल आदि का छिड़काव किया गया है ताकि ये संक्रमण और किसी में नहीं फैले।
गौरतलब है कि पिछले दिनों से मिल रहे प्रवासी पक्षियों की मौत का कारण बर्ड फ्लू है। भोपाल के राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशुरोग संस्थान (निषाद) की रिपोर्ट में लुनेरी तालाब में डेमोइसेल क्रेन के शवों में H5N1 एवियन फ्लू की पुष्टि की है। इसके बाद क्यूआरटी के साथ ही पशु अस्पताल, चिकित्सा विभाग, वन विभाग व राजस्व विभाग के फील्ड के अधिकारियों को पूरी तरह से चौकस कर दिया गया है। दरअसल, सबसे पहले दिसंबर में फलोदी के पास स्थित खीचन में प्रवासी पक्षियों की मौत हुई थी। जिसके बाद अब जैसलमेर में भी बर्ड फ्लू के कारण प्रवासी पक्षियों की मौत का सिलसिला शुरू हो गया है। अब तक 13 कुरजा पक्षी अपनी जान गंवा चुके हैं।
निमोनिया और कोरोना जैसे लक्षण
पशुपालन विभाग के डॉ उमेश ने बताया कि ये बीमारी सर्दी में ही पक्षियों में फैलती है। ज्यादा ठंड में पक्षियों की सांस नली व फेफड़ों में इन्फेक्शन होता है। जिसको बर्ड फ्लू (इन्फ्लुएंजा) कहा जाता है। ऐसे में निमोनिया या कोरोना के जैसे ही लक्षण होते हैं। इलाज नहीं मिलने पर पक्षी की मौत हो जाती है। ये एक संक्रमण है जो एक से दूसरे में जल्दी से फैलता है। पशुओं आदि में भी ये संक्रमण फैल सकता है जिससे उसकी जान जा सकती है। ऐसे में बचाव करना ही इलाज है। और अगर किसी को हो जाए तो उसको प्रॉपर इलाज करवा कर मुक्त किया जा सकता है।
इंसानों में भी ये बीमारी फैल सकती है। हालांकि अभी तक ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया है, मगर फिर भी इसको लेकर बचाव करना बेहद जरूरी है। क्योंकि अगर ये संक्रमण इंसानों में भी अगर फैले तो बीमारी बढ़ सकती है। इसके लिए कोरोना की तरह प्रोटोकॉल को फॉलो करना चाहिए। हालांकि इसका इलाज संभव है लेकिन फिर भी इससे बचाव करना बेहद जरूरी है। लोगों को मास्क, ग्लव्ज आदि का उपयोग करना, साथ ही मृत पक्षियों आदि के हाथ ना लगाना और मृत पक्षियों को दफनाना आदि बचाव के उपाय है।
प्रशासनिक टीमें लगातार कर रही गश्त।
मृत पक्षी को हाथ न लगाएं
जैसलमेर में मिल रहे मृत पक्षियों में बर्ड फ्लू की पुष्टि होने के बाद इसका सबसे बड़ा खतरा है कि यह बीमारी इंसानों में भी फैल सकती है। ऐसे में अब प्रशासन अलर्ट हो गया है। इसमें सभी आम नागरिकों से भी अपील की है कि अगर किसी को मृत पक्षी का शव मिलता है तो उसे हाथ नहीं लगाएं। इसकी सूचना क्यूआरटी या चारों विभागों के कर्मचारी को दे। जिसके बाद टीम द्वारा मौके पर पहुंचकर ही शवों को प्रोटोकॉल के साथ उठाया जाएगा। शवों को लेकर पूरी सावधानी बरती जा रही है क्योंकि अगर यह संक्रमण इंसानों में फैल गया तो आगामी समय में इंसानों को भी इस बीमारी से बचाव के जतन करने होंगे।
रोकथाम को लेकर बढ़ाई चौकसी
जैसलमेर में पक्षियों में बर्ड फ्लू की पुष्टि होने के बाद क्यूआरटी के साथ ही पशु अस्पताल, चिकित्सा, वन व राजस्व विभाग के अधिकारी चौकस हो गए हैं। फील्ड में रहने वाले अधिकारियों की गश्त भी तेज कर दी गई है। बर्ड फ्लू की पुष्टि के बाद अब प्रवासी पक्षियों के मिलने की स्थिति में पूरे प्रोटोकॉल के साथ उठाया जाएगा। जिसमें सभी सावधानियां बरती जाएंगी।
ग्रामीणों को तालाब का पानी उपयोग में नहीं लेने के निर्देश
बर्ड फ्लू के इंसानों में भी फैलने के खतरे को लेकर प्रशासन द्वारा जहां भी मृत पक्षी मिले है। उसके बाद इंसानों को विचरण नहीं करने के निर्देश दिए है। इसके साथ ही फिलहाल जहां मृत पक्षी मिले हैं उन तालाबों के पानी का उपयोग नहीं करने के निर्देश दिए हैं। प्रवासी पक्षियों में बर्ड फ्लू की पुष्टि होने के बाद गुरुवार सुबह ही कलेक्ट्रेट में सभी अधिकारियों की बैठक हो गई है। जिसमें अधिकारियों को जिम्मेदारी दे दी गई है। इसके साथ ही फील्ड के अधिकारियों को भी निर्देश दे है कि वे जब भी सूचना मिले तो शवों को उठाने के लिए सरकारी नियमों की पूरी पालना करे।
मौके पर प्रशासन की टीम मौजूद।
क्या होता है बर्ड फ्लू?
बर्ड फ्लू इन्फ्लूएंजा वायरस से होने वाला संक्रमण है। यह आमतौर पर पक्षियों और जानवरों में फैलता है। कई बार यह संक्रमित जानवरों के जरिए इंसानों में भी फैल सकता है। बर्ड फ्लू के कई वेरिएंट काफी घातक होते हैं। हालांकि, H9N2 के मामले में बहुत गंभीर समस्याएं देखने को नहीं मिली हैं।
इन्फ्लूएंजा वायरस चार तरह का होता है, इन्फ्लूएंजा A, B, C और D। इनमें से ज्यादातर एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस इंसानों को संक्रमित नहीं करते। हालांकि A (H5N1) और A (H7N9) से इंसानों के संक्रमित होने का खतरा रहता है। अब A (H9N2) नए खतरे के रूप में सामने आया है।
बर्ड फ्लू के लक्षण क्या हैं? बर्ड फ्लू सबसे अधिक रेस्पिरेटरी सिस्टम को प्रभवित करता है। इसके लक्षण किस तरह नजर आते हैं, आइए ग्राफिक में देखते हैं-
बर्ड फ्लू कैसे फैलता है? बर्ड फ्लू पक्षियों में पाए जाने वाले इन्फ्लूएंजा वायरस के जरिए फैलता है। अभी तक इंसानों में इसके एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलने के मामले सामने नहीं आए हैं। फिर भी एक्सपर्ट्स को डर है कि कभी भी कोई ऐसा म्यूटेंट आ सकता है, जो इंसानों से इंसानों में फैल सकता है।
बर्ड फ्लू कितनी खतरनाक बीमारी है साल 1997 में हॉन्गकॉन्ग में एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस का इंसानों में पहला केस मिला था। यह H5N1 था और इसका डेथ रेट करीब 60% था यानी इससे प्रभावित 10 में से 6 लोगों की मौत हो रही थी।
क्लीवलैंड क्लिनिक के मुताबिक, बर्ड फ्लू अब तक की बेहद घातक बीमारियों में से एक है। दुनिया में इसका इसका डेथ रेट 50% से ज्यादा है। इसका मतलब है कि बर्ड फ्लू से पीड़ित 10 व्यक्तियों में से 5 की मौत हो जाती है।
बर्ड फ्लू के जिस नए वेरिएंट H9N2 को लेकर हम बात कर रहे हैं, इसकी पक्षियों में मृत्यु दर 65% के करीब है। इंसानों में अभी इसके बहुत मामले देखने को नहीं मिले हैं। जो मामले मिले हैं, उनमें यह ज्यादा घातक साबित नहीं हुआ है।
क्या हैं बर्ड फ्लू के रिस्क फैक्टर्स? इंफ्लूएंजा वायरस कई दिनों तक जीवित रह सकता है। H9N2 से संक्रमित पक्षी 10 दिनों तक मल और लार के जरिए वायरस फैला सकते हैं। इन्फेक्टेड सर्फेस को छूने से भी संक्रमण फैल सकता है।
हजारों किलोमीटर दूर से आती है कुरजा
पर्यावरण प्रेमी सुमेर सिंह भाटी ने बताया कि चीन, कजाकिस्तान, मंगोलिया आदि देशों में सितंबर में बर्फबारी शुरू हो जाती है। ऐसे में कुरजां पक्षी के लिए सर्दियों का वो मौसम उनके अनुकूल नहीं होता। कड़ाके की ठंड में खुद को बचाए रखने की जद्दोजहद में हजारों किलोमीटर का सफर तय करके ये कुरजां पश्चिमी राजस्थान का रुख करती हैं। भारत में खासकर पश्चिमी राजस्थान जैसे गरम इलाके में सितंबर और अक्टूबर महीने से फरवरी तक शीतलहर चलती है। इस लिहाज से इस पक्षी के लिए ये मौसम काफी अनुकूल रहता है। इस दौरान करीब 5 से 6 महीने के लिए कुरजां पश्चिमी राजस्थान में अलग-अलग जगहों पर अपना डेरा डालती है।
जैसलमेर जिले के लाठी, खेतोलाई, डेलासर, धोलिया, लोहटा, चाचा, देगराय ओरण सहित अन्य जगहों पर कुरजां ही कुरजां नजर आ रही है। मेहमान परिंदों का आगमन सितंबर महीने के पहले हफ्ते से शुरू हो जाता है और करीब 6 महीने तक प्रवास के बाद मार्च में वापसी की उड़ान भर जाते हैं।
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जैसलमेर में पिछले दिनों मृत मिले कुरजां पक्षियों (डेमोइसेल क्रेन) की मौत बर्ड फ्लू से हुई है। भोपाल लैब से बुधवार को आई जांच रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। जांच रिपोर्ट में कुरजां पक्षियों की मौत का कारण बर्ड फ्लू बताया गया है। लैब से आई रिपोर्ट के बाद प्रशासन अलर्ट मोड पर है। पढ़ें पूरी खबर …