मूवी रिव्यू: शिव शास्त्री बलबोआ
Shiv Shastri Balboa Review
‘शिव शास्त्री बलबोआ’ (अनुपम खेर) एक हार्डकोर ‘रॉकी बलबोआ’ (सिल्वेस्टर स्टेलोन की स्पोर्ट्स ड्रामा फिल्म) फैन है। वह रॉकी के किरदार से बहुत ज्यादा प्रभावित है। बॉक्सिंग क्लब के कोच के पद से रिटायर हुआ शिव अपने कार्यकाल में कई जाने-माने बॉक्सर दे चुका है और देश में उसकी काफी इज्जत है। शिव शात्री सेवानिवृत्त होने के पश्चात अमेरिका में अपने बेटे राहुल (जुगल हंसराज) के परिवार के साथ रहने चला आता है। अमेरिका आने के बाद उसे अपने देश और लोगों से अलगाव महसूस होता है, तो साथ ही में वह अमेरिका में रहने वालों के तौर-तरीकों से परेशान भी होता है। इसके बावजूद उसके पास एक उद्देश्य है कि फिलाडेल्फिया जाकर वह रॉकी की तरह सीढ़ियां चढ़कर एक विडियो बनाकर इंडिया टीवी के रजत शर्मा को भेजेगा तो उसकी जर्नी का एक इंटरव्यू चैनल पर प्रसारित किया जाएगा।
‘शिव शास्त्री बलबोआ’ की कहानी
सिल्वेस्टर स्टेलोन की फ्रेंचाइजी ‘रॉकी’ को अपना जीवन दर्शन मानने वाला शिव शात्री अमेरिका में हाउस कीपिंग का काम करने वाली भारत के हैदराबाद मूल की एल्सा से मिलता है, तो उसके खाली और अकेलेपन से भरे जीवन को एक दिशा मिलती है। एल्सा आज से आठ साल पहले अमेरिका काम के लिए आई थी और उसके बाद उसके मालिकों ने उसका पासपोर्ट जब्त करके ऐसे हालात पैदा कर लिए कि उसका अपने देश लौटना मुहाल हो गया। शिव शास्त्री और एल्सा के बीच एक मासूम दोस्ती पनपती है और एक दिन एल्सा जब सारे जुगाड़ लगाकर घर से भागने का प्लान बनाती है, तो शिव शात्री भी उसके साथ हो लेता है। अब शास्त्री को फिलाडेल्फिया जाकर अपना विडियो ही नहीं बनाना बल्कि एल्सा को इंडिया में रहने वाली अपनी बेटी और नवासी से भी मिलवाना है। इसके बाद कहानी में कई उतार-चढ़ाव आते हैं, जहां शिव शास्त्री और एल्सा की मुलाकात स्टोर चलाने वाले पंजाबी गायक सिनमोन सिंह (शारिब हाशमी) और उसकी गर्ल फ्रेंड सिया (नरगिस फाखरी) से होती है। क्या शास्त्री एल्सा को भारत भेज पाता है? क्या वह फिलाडेल्फिया जाकर अपना विडियो बना पता है? इन तमाम सवालों का जवाब आपको फिल्म में मिलेगा।
Shiv Shastri Balboa Official Trailer
‘शिव शास्त्री बलबोआ’ में कहानी का कोर बहुत मजबूत
निर्देशक अजय वेणुगोपालन एक फीलगुड फिल्म के साथ आए हैं, जो एक उम्मीद देती है। फिल्म में दर्शाया गया है कि जिंदगी हर हाल में खूबसूरत है और जब भी हम सोचते हैं जीवन में अब कुछ बचा नहीं है, तब हम एक बार फिर अपनी जिजीविषा से खुद को री डिस्कवर कर सकते हैं। फिल्म का पेस थोड़ा धीमा है, मंथर गति से आगे बढ़ने वाली यह फिल्म धीरे-धीरे किरदारों को डेवलप करती है और एक मजेदार दुनिया में ले जाती है, जहां जीवन की कुसंगतियां भी हैं, तो मानवीय संवेदानाओं का ताना-बाना भी है। फिल्म ह्यूमन टच के साथ -साथ नक्सलवाद, अलगाववाद, कल्चरल शौक, बच्चों के स्वार्थी रवैये और बढ़ती असहिषुणता जैसे मुद्दों को भी छूती है। कहानी का कोर बहुत मजबूत है, जिसे निर्देशक खूबसूरती से निभा ले जाते हैं। हालांकि फिल्म के सब ट्रैक्स थोड़े फिल्मी और खिंचे हुए लगते हैं, मगर निर्देशक उन्हें मेन प्लॉट में खपा ले जाते हैं।
‘शिव शास्त्री बलबोआ’ में अनुपम खेर का दमदार अभिनय
अभिनय के मामले में अनुपम खेर हर तरह से उत्कृष्ट साबित हुए हैं। किरदारों को अपनी विशिष्ट शैली में जीने का अंदाज उनके किरदार को मजेदार बनाता है। अनुपम ने कई जगहों पर स्टेलोन का स्टाइल भी मारा है। नीना गुप्ता के साथ उनकी केमेस्ट्री काफी इनोसेंट है। एल्सा की केंद्रीय भूमिका में नीना जान डाल देती हैं। काम के प्रति समर्पित मगर वोदका और बियर जैसे ड्रिंक्स की शौकीन बिंदास एल्सा जो सालों से अपनों के लिए तरस रही है, के किरदार को नीना सहजता से निभा ले जाती हैं। सिनमोन सिंह के रूप में शारिब हाशमी खूब मजे करवाते हैं। एक बार फिर वे अपने समर्थ अभिनेता होने का परिचय देते हैं। जुगल हंसराज ने अपने किरदार के साथ न्याय किया है। नरगिस फाखरी को ज्यादा स्क्रीन स्पेस नहीं मिला है। सहयोगी कास्ट ठीक-ठाक है।
क्यों देखें: पारिवारिक और मनोरंजक फिल्मों के शौकीन यह फिल्म देख सकते हैं।