मूवी रिव्यू: शाहरुख की ‘द बेस्ट’ फिल्मों से है ‘जवान’, सिर्फ एक्शन नहीं मुद्दों की भी है बात h3>
ऐसा नजारा कदाचित सिनेमा घर में पहली बार देखने को मिल रहा था। शाहरुख खान की बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘जवान’ गुरुवार, 7 सितंबर को रिलीज हो गई है। पहला शो अलसुबह 6 बजे का था और सुबह का ये शो भी हाउसफुल था। फिल्म को लेकर SRK के फैंस का पागलपन अपने सातवें आसमान पर है। फिल्म की शुरुआत में शाहरुख की एंट्री पर ऑडियंस क्रेजी होकर चीखने-चिल्लाने लगी, सीटियों और तालियों की बौछार हो गई। फिल्म खत्म होने के बाद लोग नाच-गाकर इसका जश्न मना रहे थे। कहीं ढोल-नगाड़ों के साथ फिल्म की रिलीज को सेलिब्रेट किया जा रहा है, तो कहीं जन्माष्टमी के अवसर पर उनके कटआउट को दूध से नहलाया जा रहा है। 35 करोड़ की बंपर एडवांस बुकिंग के साथ ‘जवान’ रिलीज हुई है और इसका असर सिनेमाघर के अंदर और बाहर साफ दिखता है।
‘जवान’ की कहानी
कहानी की बात करें, तो ‘जवान’ के प्लॉट में कई परतें हैं। फिल्म की शुरुआत मुंबई मेट्रो के हाइजैक से होती है, जहां आजाद (शाहरुख खान) वेष बदलकर अपनी गर्ल गैंग लक्ष्मी (प्रियामणि), ईरम (सान्या मल्होत्रा), हेलना (संजीता भट्टाचार्य) आलिया कुरैशी, लहर खान के साथ मिलकर ये काम करता है। इस गर्ल गैंग की सभी लड़कियों का एक दर्दनाक अतीत है, जिसके कारण वे आजाद का साथ देने को राजी होती हैं। शुरू में विलेन दिखने वाला आजाद असल में रॉबिनहुड है, जो काली करतूतें करने वाले सफेदपोश बिजनेस मैन काली गायकवाड़ (विजय सेतुपति) से फिरौती की एक मोटी रकम लेता है और उसे कर्ज में डूबे उन किसानों के बैंक अकाउंट में जमा करा देता है। ये किसान बैंक के कर्ज के बोझ तले दबकर आत्महत्या को मजबूर हो चुके थे।
काली को ये पैसे इसलिए भी देने पड़ते हैं, क्योंकि उस मेट्रो में उसकी बेटी भी थी। सिस्टम के मारी लाचार और पीड़ित आम जनता का मसीहा आजाद यहीं तक नहीं रुकता। वह अपनी जांबाज लड़कियों की टोली के साथ हेल्थ मिनिस्टर को अगवा करके सरकारी अस्पतालों में चल रहे करप्शन और दुर्दशा का भंडाफोड़ करता है और महज पांच घंटों में उसे सुधरवाता भी है। आजाद की असलियत का पता लगाकर उसे गिरफ्तार करने के लिए पुलिस चीफ नर्मदा (नयनतारा) को अपॉइंट किया जाता है। नर्मदा जिस आजाद को पकड़ने के लिए जी-जान लगा रही है, वही उससे शादी करके उसकी बेटी को अपनाने की पहल करता है। ऐन शादी के दिन नर्मदा को आजाद की असलियत पता चलती है। आजाद की अपनी बैकस्टोरी है। वह सेना में स्पेशल टास्क की जिम्मेदारी निभाने वाले बहादुर देशभक्त विक्रम राठौड़ का बेटा है।
शाहरुख खान
तीस साल पहले जब विक्रम ने एक मिशन के दौरान बिजनेसमैन काली के वेपन घोटाले की पोल खोली थी, तब काली विक्रम को देशद्रोही साबित करके मौत के घात उतार देता है। विक्रम की पत्नी ऐश्वर्या (दीपिका पादुकोण) को फांसी की सजा दी जाती है, मगर विक्रम मौत के मुंह से बच तो जाता है। उसकी याददाश्त जा चुकी है। ऐश्वर्या अपने पांच साल के बेटे आजाद को मरते समय बता देती है कि उसका पिता विक्रम देशद्रोही नहीं, बल्कि देशभक्त था। आजाद को उसकी मुंहबोली मां रिद्धि डोगरा पाल-पोसकर बड़ा करती है और उसे भीलवाड़ा जेल का जेलर बनाती है। क्या आजाद अपने पिता को तीस साल बाद देशभक्त साबित करके अपनी मां की मौत का बदला ले पाएगा? क्या विक्रम की याद्दाश्त वापस आ पाएगी? क्या आजाद रॉबिनहुड बनकर गरीब और सिस्टम की मार झेलने वालों की मदद जारी रखेगा? इन सारे सवालों के जवाब आपको फिल्म में मिलेंगे।
‘जवान’ का ट्रेलर
‘जवान’ का रिव्यू
निर्देशन की बात करें तो एटली की यह फिल्म हर तरह से मसालेदार है। मगर निर्देशक ने उसमें 30 साल का लीप लेकर उसे आज के दौर के मुद्दों से जोड़ा है। किसानों की दुर्दशा और आत्महत्या का मुद्दा हो या फिर सरकारी अस्पतालों की बदहाली, आम आदमी इस सिस्टम के कुचक्र में कैसे फंसता है, इसे इटली ने एक्शन-इमोशन के साथ परोसा है।
फिल्म में दो कहानियां समानांतर ढंग से चलती हैं, जिसमें शाहरुख-नयनतारा वर्तमान में हैं और SRK-दीपिका अतीत में। हालांकि एटली की फिल्म में कई टर्न और ट्विस्ट हैं। इंटरवल का पॉइंट भी दिलचस्प है, मगर कई जगह पर निर्देशक सिनेमैटिक लिबर्टी लेने से नहीं चूके। कहीं-कहीं पर फिल्म मेलोड्रामाटिक भी होती है, मगर किरदार उसे निभा ले जाते हैं। किसान का बेबस होकर फांसी लगाने का दृश्य ह्रदय विदारक है। रोंगटे खड़े कर देने वाले एक्शन दृश्यों में देश-दुनिया से एक साथ आए 6 एक्शन निर्देशकों का जलवा साफ मालूम पड़ता है।
एटली और रामनागिरिनिवासन द्वारा लिखित पटकथा आकर्षक और मनोरंजक है। हां, फिल्म का रनटाइम लंबा (2 घंटे 45 मिनट) है। ‘बेटे को हाथ लगाने से पहले बाप से बात कर’, ‘ मच्छर मारने की पांच घंटे चलने वाले कॉइल के बारे में आप इतनी पूछताछ करते हैं, मगर पांच साल तक चलने वाली सरकार से कुछ नहीं पूछते’, जैसे सुमीत अरोड़ा के लिखे संवाद सीटीमार साबित होते हैं। प्रीक्लाइमेक्स जनता को सही सरकार चुनने के संदेश के साथ आगे बढ़ता है और क्लाइमेक्स गाने के साथ। अंत में सीक्वल का इशारा भी मिलता है। संगीत की बात की जाए, तो ‘ जिंदा बंदा’, ‘चलेया’ जैसे गाने पहले ही चार्टबस्टर हो चुके हैं।
एडवांस बुकिंग की सूनामी ही नहीं, बल्कि ऑडियंस के रिएक्शन भी बता रही है कि ये हर तरह से शाहरुख खान की फिल्म है। पिता-पुत्र के डबल रोल में SRK पूरी फिल्म में छाए हुए हैं। शाहरुख एक समर्थ अभिनेता तो हैं ही, मगर इस बार उनके लुक्स, कॉस्ट्यूम और बॉडी लैंग्वेज की भी कई अंदाज हैं, जिन्हें वे कमाल ढंग से निभाते हैं और दर्शकों को मंत्रमुग्ध करते चले जाते हैं। एक्शन दृश्यों में उनकी फ्लेक्सिबिलिटी देखने योग्य है। हाईजैक वाला उनका बाल्ड लुक और पाउडर झाड़ने वाला उनका स्टाइल पहले ही चर्चा का विषय बना हुआ है। सिगार के साथ उनका भूरे बाल वाला ओल्डर वर्जन बहुत वजनदार है।
दीपिका पादुकोण
‘जवान’ को अगर किंग खान का अब तक का बेस्ट अवतार कहा जाए, तो गलत न होगा। एक्शन हीरोइन के रूप में नयनतारा पूरी चपलता और स्वैग के साथ प्रस्तुत होती हैं। हालांकि, शाहरुख संग केमिस्ट्री के मामले में दीपिका पादुकोण बाजी मार ले जाती हैं। विलेन काली के रूप में विजय सेतुपति जितने निर्मम और खूंखार नजर आते हैं, उतने ही फनी भी लगते हैं। वे लगातार विलेन और हीरो की लड़ाई को जारी रखते हैं।
स्पेशल अपीयरेंस में ऐश्वर्या की भूमिका में दीपिका पादुकोण फिल्म में चार चांद लगा देती हैं, वहीं सान्या मल्होत्रा और प्रियमणि अपनी छोटी-छोटी भूमिकाओं में भी छाप छोड़ने में कामयाब रहती हैं। एजाज खान, सुनील ग्रोवर, रिद्धि डिगरा जमे हैं। गर्ल गैंग के रूप में सपोर्टिंग कास्ट भी अच्छी है।
क्यों देखें – शाहरुख खान के बेस्ट अवतार और मनोरंजन के साथ मुद्दों के शौकीन हैं, तो ये फिल्म जरूर देखें।
‘जवान’ की कहानी
कहानी की बात करें, तो ‘जवान’ के प्लॉट में कई परतें हैं। फिल्म की शुरुआत मुंबई मेट्रो के हाइजैक से होती है, जहां आजाद (शाहरुख खान) वेष बदलकर अपनी गर्ल गैंग लक्ष्मी (प्रियामणि), ईरम (सान्या मल्होत्रा), हेलना (संजीता भट्टाचार्य) आलिया कुरैशी, लहर खान के साथ मिलकर ये काम करता है। इस गर्ल गैंग की सभी लड़कियों का एक दर्दनाक अतीत है, जिसके कारण वे आजाद का साथ देने को राजी होती हैं। शुरू में विलेन दिखने वाला आजाद असल में रॉबिनहुड है, जो काली करतूतें करने वाले सफेदपोश बिजनेस मैन काली गायकवाड़ (विजय सेतुपति) से फिरौती की एक मोटी रकम लेता है और उसे कर्ज में डूबे उन किसानों के बैंक अकाउंट में जमा करा देता है। ये किसान बैंक के कर्ज के बोझ तले दबकर आत्महत्या को मजबूर हो चुके थे।
काली को ये पैसे इसलिए भी देने पड़ते हैं, क्योंकि उस मेट्रो में उसकी बेटी भी थी। सिस्टम के मारी लाचार और पीड़ित आम जनता का मसीहा आजाद यहीं तक नहीं रुकता। वह अपनी जांबाज लड़कियों की टोली के साथ हेल्थ मिनिस्टर को अगवा करके सरकारी अस्पतालों में चल रहे करप्शन और दुर्दशा का भंडाफोड़ करता है और महज पांच घंटों में उसे सुधरवाता भी है। आजाद की असलियत का पता लगाकर उसे गिरफ्तार करने के लिए पुलिस चीफ नर्मदा (नयनतारा) को अपॉइंट किया जाता है। नर्मदा जिस आजाद को पकड़ने के लिए जी-जान लगा रही है, वही उससे शादी करके उसकी बेटी को अपनाने की पहल करता है। ऐन शादी के दिन नर्मदा को आजाद की असलियत पता चलती है। आजाद की अपनी बैकस्टोरी है। वह सेना में स्पेशल टास्क की जिम्मेदारी निभाने वाले बहादुर देशभक्त विक्रम राठौड़ का बेटा है।
शाहरुख खान
तीस साल पहले जब विक्रम ने एक मिशन के दौरान बिजनेसमैन काली के वेपन घोटाले की पोल खोली थी, तब काली विक्रम को देशद्रोही साबित करके मौत के घात उतार देता है। विक्रम की पत्नी ऐश्वर्या (दीपिका पादुकोण) को फांसी की सजा दी जाती है, मगर विक्रम मौत के मुंह से बच तो जाता है। उसकी याददाश्त जा चुकी है। ऐश्वर्या अपने पांच साल के बेटे आजाद को मरते समय बता देती है कि उसका पिता विक्रम देशद्रोही नहीं, बल्कि देशभक्त था। आजाद को उसकी मुंहबोली मां रिद्धि डोगरा पाल-पोसकर बड़ा करती है और उसे भीलवाड़ा जेल का जेलर बनाती है। क्या आजाद अपने पिता को तीस साल बाद देशभक्त साबित करके अपनी मां की मौत का बदला ले पाएगा? क्या विक्रम की याद्दाश्त वापस आ पाएगी? क्या आजाद रॉबिनहुड बनकर गरीब और सिस्टम की मार झेलने वालों की मदद जारी रखेगा? इन सारे सवालों के जवाब आपको फिल्म में मिलेंगे।
‘जवान’ का ट्रेलर
‘जवान’ का रिव्यू
निर्देशन की बात करें तो एटली की यह फिल्म हर तरह से मसालेदार है। मगर निर्देशक ने उसमें 30 साल का लीप लेकर उसे आज के दौर के मुद्दों से जोड़ा है। किसानों की दुर्दशा और आत्महत्या का मुद्दा हो या फिर सरकारी अस्पतालों की बदहाली, आम आदमी इस सिस्टम के कुचक्र में कैसे फंसता है, इसे इटली ने एक्शन-इमोशन के साथ परोसा है।
फिल्म में दो कहानियां समानांतर ढंग से चलती हैं, जिसमें शाहरुख-नयनतारा वर्तमान में हैं और SRK-दीपिका अतीत में। हालांकि एटली की फिल्म में कई टर्न और ट्विस्ट हैं। इंटरवल का पॉइंट भी दिलचस्प है, मगर कई जगह पर निर्देशक सिनेमैटिक लिबर्टी लेने से नहीं चूके। कहीं-कहीं पर फिल्म मेलोड्रामाटिक भी होती है, मगर किरदार उसे निभा ले जाते हैं। किसान का बेबस होकर फांसी लगाने का दृश्य ह्रदय विदारक है। रोंगटे खड़े कर देने वाले एक्शन दृश्यों में देश-दुनिया से एक साथ आए 6 एक्शन निर्देशकों का जलवा साफ मालूम पड़ता है।
एटली और रामनागिरिनिवासन द्वारा लिखित पटकथा आकर्षक और मनोरंजक है। हां, फिल्म का रनटाइम लंबा (2 घंटे 45 मिनट) है। ‘बेटे को हाथ लगाने से पहले बाप से बात कर’, ‘ मच्छर मारने की पांच घंटे चलने वाले कॉइल के बारे में आप इतनी पूछताछ करते हैं, मगर पांच साल तक चलने वाली सरकार से कुछ नहीं पूछते’, जैसे सुमीत अरोड़ा के लिखे संवाद सीटीमार साबित होते हैं। प्रीक्लाइमेक्स जनता को सही सरकार चुनने के संदेश के साथ आगे बढ़ता है और क्लाइमेक्स गाने के साथ। अंत में सीक्वल का इशारा भी मिलता है। संगीत की बात की जाए, तो ‘ जिंदा बंदा’, ‘चलेया’ जैसे गाने पहले ही चार्टबस्टर हो चुके हैं।
एडवांस बुकिंग की सूनामी ही नहीं, बल्कि ऑडियंस के रिएक्शन भी बता रही है कि ये हर तरह से शाहरुख खान की फिल्म है। पिता-पुत्र के डबल रोल में SRK पूरी फिल्म में छाए हुए हैं। शाहरुख एक समर्थ अभिनेता तो हैं ही, मगर इस बार उनके लुक्स, कॉस्ट्यूम और बॉडी लैंग्वेज की भी कई अंदाज हैं, जिन्हें वे कमाल ढंग से निभाते हैं और दर्शकों को मंत्रमुग्ध करते चले जाते हैं। एक्शन दृश्यों में उनकी फ्लेक्सिबिलिटी देखने योग्य है। हाईजैक वाला उनका बाल्ड लुक और पाउडर झाड़ने वाला उनका स्टाइल पहले ही चर्चा का विषय बना हुआ है। सिगार के साथ उनका भूरे बाल वाला ओल्डर वर्जन बहुत वजनदार है।
दीपिका पादुकोण
‘जवान’ को अगर किंग खान का अब तक का बेस्ट अवतार कहा जाए, तो गलत न होगा। एक्शन हीरोइन के रूप में नयनतारा पूरी चपलता और स्वैग के साथ प्रस्तुत होती हैं। हालांकि, शाहरुख संग केमिस्ट्री के मामले में दीपिका पादुकोण बाजी मार ले जाती हैं। विलेन काली के रूप में विजय सेतुपति जितने निर्मम और खूंखार नजर आते हैं, उतने ही फनी भी लगते हैं। वे लगातार विलेन और हीरो की लड़ाई को जारी रखते हैं।
स्पेशल अपीयरेंस में ऐश्वर्या की भूमिका में दीपिका पादुकोण फिल्म में चार चांद लगा देती हैं, वहीं सान्या मल्होत्रा और प्रियमणि अपनी छोटी-छोटी भूमिकाओं में भी छाप छोड़ने में कामयाब रहती हैं। एजाज खान, सुनील ग्रोवर, रिद्धि डिगरा जमे हैं। गर्ल गैंग के रूप में सपोर्टिंग कास्ट भी अच्छी है।
क्यों देखें – शाहरुख खान के बेस्ट अवतार और मनोरंजन के साथ मुद्दों के शौकीन हैं, तो ये फिल्म जरूर देखें।