मुसलमानों ने मस्जिदों की सुरक्षा के लिए बनाई नई रणनीति, मंदिरो को… | Muslim personal Law Board on Mandir Masjid | Patrika News h3>
बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मोहम्मद यूसुफ अज़ीज़ी की अध्यक्षता में हुई बैठक में देशभर में तेजी से उठ रहे विवादों को गहरी साजिश मानते हुए कहा गया कि हम हर हाल में सौहार्द बनाये रखते हुए संविधान की सीमा में अपनी इबादतगाहों की हिफाजत के लिये कानून का सहारा लेंगे। बैठक में प्लेसेज आफ वॉरशिप एक्ट पर चर्चा करते हुए ज्ञानव्यापी सहित अन्य मस्जिदों पर किये जा रहे मुकदमात पर सवाल उठाते हुए कहा कि संविधान की व्यवस्था जिसे सुप्रीम कोर्ट ने भी बाबरी मस्जिद जजमेंट में मान्यता दी है उसके बाद भी निचली अदालतों से एक के बाद एक आये आदेश के बाद मुस्लिम समुदाय आहत व बेचैन है। मस्जिदों, दरगाहों व अन्य स्थलों की प्रकृति व चरित्र पर खतरा मंडरा रहा है, जिसे स्वीकार करने की स्थित में हम नहीं है। काशी,मथुरा सहित देशभर की लगभग 50 हजार मस्जिदों को जिस तरह निशाना बनाने की बात की जा रही है। इसलिए एमपीएलबीआई सुप्रीम कोर्ट से अपनी इबादतगाहों की हिफाजत के साथ उनके चरित्र व प्रकृति को बदलने व किसी तरह की छेड़छाड़ से रोकने की अपील करेगा।
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इबादतगाह बचाओ अभियान चलेगा बोर्ड के राष्ट्रीय महासचिव डॉ मोइन अहमद खान ने बताया कि मीटिंग में तय हुआ कि इबादतगाह बचाओ, कौम को जागरूक करने के साथ धार्मिक सौहार्द बनाये रखने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर अभियान चलाया जाएगा। इसके लिए 2 जून को घोषणा की जाएगी। उन्होंने कहा कि 2024 की चुनावी तैयारी के लिये उन्माद पैदा करना देशविरोधी राजनीति है।
धार्मिक मुददा गरमाने की कोशिश बोर्ड के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पूर्व विधायक नसीम अहमद ने कहा कि वोट की राजनीति के लिये मस्जिदों को निशाना बनाकर धार्मिक विवाद गरमाये जा रहे है जिसमे तथाकथित धर्मनिरपेक्ष दल मौन धारण कर संविधान उलंघन का तमाशा व मुस्लिमों पर सत्तादल प्रायोजित हमलों को देख रहा है फिर भी वह चुप है, यह स्थित उचित नहीं है। ऐेसे में सरकार को विवाद उतपन्न नहीं होने देने चाहिये। देश की सेहत के साथ खिलवाड़ बंद हो,उंन्होने कहा कि ज्ञानव्यापी मस्जिद की दीवार तोड़कर जांच की मांग भी संविधान विरोधी ही नही बल्कि मस्जिद को शहीद कर देने की एक बड़ी साजिश है जिसे अदालत को खारिज करना चाहिए।
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धार्मिक मुददा गरमाने की कोशिश बोर्ड के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पूर्व विधायक नसीम अहमद ने कहा कि वोट की राजनीति के लिये मस्जिदों को निशाना बनाकर धार्मिक विवाद गरमाये जा रहे है जिसमे तथाकथित धर्मनिरपेक्ष दल मौन धारण कर संविधान उलंघन का तमाशा व मुस्लिमों पर सत्तादल प्रायोजित हमलों को देख रहा है फिर भी वह चुप है, यह स्थित उचित नहीं है। ऐेसे में सरकार को विवाद उतपन्न नहीं होने देने चाहिये। देश की सेहत के साथ खिलवाड़ बंद हो,उंन्होने कहा कि ज्ञानव्यापी मस्जिद की दीवार तोड़कर जांच की मांग भी संविधान विरोधी ही नही बल्कि मस्जिद को शहीद कर देने की एक बड़ी साजिश है जिसे अदालत को खारिज करना चाहिए।
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