‘मुझे भूमिहार होने की सजा मिली’, मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद कार्तिक मास्टर का बड़ा आरोप h3>
पटना: बिहार की महागठबंधन सरकार के शपथ के 15 दिन के अंदर ही एक मंत्री को इस्तीफा देना पड़ गया। मोकामा के बाहुबली और पूर्व विधायक अनंत सिंह के खास मित्र कार्तिक मास्टर को महागठबंधन सरकार में कानून मंत्री बनाया गया था। इसके बाद उनपर शपथ के दिन तक अपहरण केस में फरार रहने के आरोप लगे, हालांकि बाद में ये भी सामने आया कि शपथ के दिन कार्तिक मास्टर फरार नहीं थे बल्कि 12 अगस्त को ही कोर्ट से उन्हें जमानत मिल चुकी थी। फिर 31 अगस्त को उनका विभाग बदल दिया गया और एक सितंबर को उन्होंने इस्तीफा दे दिया। इस्तीफे के बाद कार्तिक मास्टर ने बेहद ही गंभीर आरोप लगाए हैं।
‘मुझे भूमिहार होने की सजा मिली’
कार्तिक मास्टर ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि’15 दिन से बीजेपी के लोगों को हम पच नहीं रहे थे। भूमिहार समाज से आरजेडी कोटा में मेरा मंत्री बनना उन्हें अच्छा नहीं लग रहा था। इसीलिए वो मेरा मीडिया ट्रायल भी करा रहे थे, बीजेपी वाले इस वजह से हम पर तरह-तरह के आरोप लगा रहे थे। जबकि मेरा इतिहास देखिए तो मेरे बाबा स्वतंत्रता सेनानी थे, मेरे पिता हाईस्कूल टीचर थे। मैं खुद 28 साल सरकारी स्कूल का शिक्षक रहा हूं। विधायक के साथ लोग जुड़ते हैं और विधायक जी (अनंत सिंह) 17 साल से मोकामा के विधायक हैं और मेरा उनसे लंबा राजनीतिक संबंध है। उनके बड़े भाई (दिलीप सिंह) भी 10-12 साल विधायक मंत्री रहे हैं और उनसे भी मेरे अच्छे संबंध रहे हैं। इसको लोग (बीजेपी) किस रूप में दिखाना चाहते हैं ये समझ नहीं आ रहा है।’
मेरा इतिहास पता कर लीजिए- कार्तिक मास्टर
जब कार्तिक मास्टर से उनपर लगे आरोपों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि ‘आज तक 2015 के पहले 50-52 साल के उम्र में एक भी केस मेरे ऊपर नहीं हुआ। 2015 में एक केस में मेरा नाम जोड़ा गया कब, जबकि FIR में नाम नहीं है, 161 के बयान में मेरा नाम नहीं है। 9 महीना बाद 5 किमी दूर दिखाया जाता है कि मास्टर साहब को गाड़ी में देखा गया है। आवेदन दिए वरीय पदाधिकारी को, वो जांच करके हमको निर्दोष साबित किए, कि हमारी कोई संलिप्तता नहीं है। इस मामले में पुलिस का अनुसंधान पूरा हो चुका है, हम कोर्ट में अपनी बात रखेंगे और हमको विश्वास मिलेगा, इतना भरोसा है। बीजेपी वाले हमारी पार्टी, हमारे नेता की प्रतिष्ठा धूमिल कर रहे थे। हमें विभाग बदले जाने से कोई नाराजगी नहीं थी, लेकिन हमारे चलते पार्टी की छवि धूमिल हो, ये बर्दाश्त नहीं सकते। इसीलिए हमने इस्तीफा दिया।’
अब आगे क्या होनेवाला है?
कार्तिक मास्टर ने ये आरोप ऐसे समय में लगाया है जब हाल ही में बीजेपी का परंपरागत वोट बैंक यानि सवर्ण (भूमिहार) दरक गया था और बोचहां में उसे करारी हार झेलनी पड़ी थी। इसके बाद पूर्व उपमुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद सुशील मोदी को आकर इस वोट बैंक को ये बताना पड़ा था कि वो बीजेपी के लिए कितनी अहमियत रखते हैं। ऐसे में कार्तिक मास्टर का बीजेपी पर ये आरोप लगाना, उसके दरके वोटबैंक की खाई को कहीं और चौड़ा न कर दे। माना जा रहा है कि जल्द ही सुशील मोदी एक बार फिर से इन आरोपों पर जवाब देने के लिए सामने आएंगे।
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‘मुझे भूमिहार होने की सजा मिली’
कार्तिक मास्टर ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि’15 दिन से बीजेपी के लोगों को हम पच नहीं रहे थे। भूमिहार समाज से आरजेडी कोटा में मेरा मंत्री बनना उन्हें अच्छा नहीं लग रहा था। इसीलिए वो मेरा मीडिया ट्रायल भी करा रहे थे, बीजेपी वाले इस वजह से हम पर तरह-तरह के आरोप लगा रहे थे। जबकि मेरा इतिहास देखिए तो मेरे बाबा स्वतंत्रता सेनानी थे, मेरे पिता हाईस्कूल टीचर थे। मैं खुद 28 साल सरकारी स्कूल का शिक्षक रहा हूं। विधायक के साथ लोग जुड़ते हैं और विधायक जी (अनंत सिंह) 17 साल से मोकामा के विधायक हैं और मेरा उनसे लंबा राजनीतिक संबंध है। उनके बड़े भाई (दिलीप सिंह) भी 10-12 साल विधायक मंत्री रहे हैं और उनसे भी मेरे अच्छे संबंध रहे हैं। इसको लोग (बीजेपी) किस रूप में दिखाना चाहते हैं ये समझ नहीं आ रहा है।’
मेरा इतिहास पता कर लीजिए- कार्तिक मास्टर
जब कार्तिक मास्टर से उनपर लगे आरोपों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि ‘आज तक 2015 के पहले 50-52 साल के उम्र में एक भी केस मेरे ऊपर नहीं हुआ। 2015 में एक केस में मेरा नाम जोड़ा गया कब, जबकि FIR में नाम नहीं है, 161 के बयान में मेरा नाम नहीं है। 9 महीना बाद 5 किमी दूर दिखाया जाता है कि मास्टर साहब को गाड़ी में देखा गया है। आवेदन दिए वरीय पदाधिकारी को, वो जांच करके हमको निर्दोष साबित किए, कि हमारी कोई संलिप्तता नहीं है। इस मामले में पुलिस का अनुसंधान पूरा हो चुका है, हम कोर्ट में अपनी बात रखेंगे और हमको विश्वास मिलेगा, इतना भरोसा है। बीजेपी वाले हमारी पार्टी, हमारे नेता की प्रतिष्ठा धूमिल कर रहे थे। हमें विभाग बदले जाने से कोई नाराजगी नहीं थी, लेकिन हमारे चलते पार्टी की छवि धूमिल हो, ये बर्दाश्त नहीं सकते। इसीलिए हमने इस्तीफा दिया।’
अब आगे क्या होनेवाला है?
कार्तिक मास्टर ने ये आरोप ऐसे समय में लगाया है जब हाल ही में बीजेपी का परंपरागत वोट बैंक यानि सवर्ण (भूमिहार) दरक गया था और बोचहां में उसे करारी हार झेलनी पड़ी थी। इसके बाद पूर्व उपमुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद सुशील मोदी को आकर इस वोट बैंक को ये बताना पड़ा था कि वो बीजेपी के लिए कितनी अहमियत रखते हैं। ऐसे में कार्तिक मास्टर का बीजेपी पर ये आरोप लगाना, उसके दरके वोटबैंक की खाई को कहीं और चौड़ा न कर दे। माना जा रहा है कि जल्द ही सुशील मोदी एक बार फिर से इन आरोपों पर जवाब देने के लिए सामने आएंगे।