मुकुंदपुर के श्री जगन्नाथ स्वामी मंदिर में अटका महापर्व: रीवा, सतना, सीधी, सिंगरौली और पन्ना से पहुंचे हजारों श्रद्धालु; कढ़ी-भात का प्रसाद खाया – Satna News

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मुकुंदपुर के श्री जगन्नाथ स्वामी मंदिर में अटका महापर्व:  रीवा, सतना, सीधी, सिंगरौली और पन्ना से पहुंचे हजारों श्रद्धालु; कढ़ी-भात का प्रसाद खाया – Satna News

मुकुंदपुर के श्री जगन्नाथ स्वामी मंदिर में अटका महापर्व: रीवा, सतना, सीधी, सिंगरौली और पन्ना से पहुंचे हजारों श्रद्धालु; कढ़ी-भात का प्रसाद खाया – Satna News

भगवान विष्णु की कल्चुरी कालीन उत्कृष्ट मूर्ति भी मंदिर में विराजित।

मध्य प्रदेश के विंध्य क्षेत्र स्थित मुकुंदपुर में श्री जगन्नाथ स्वामी मंदिर में होली पर्व पर अटका महापर्व का आयोजन किया गया।

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रीवा, सतना, सीधी, सिंगरौली और पन्ना सहित विभिन्न जिलों से हजारों श्रद्धालु कढ़ी-भात का प्रसाद ग्रहण करने पहुंचे। मंदिर समिति के सचिव त्रिषुपति मिश्रा ने बताया कि होली उत्सव का शुभारंभ नाट्य मंचन से हुआ, जो प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र परिसर में गुरुवार शाम से चला। भोर में होलिका दहन के साथ कार्यक्रम आगे बढ़ा।

अटका महाप्रसाद की परंपरा मंदिर परंपरा के अनुसार, अटका महाप्रसाद चढ़ाने वाले भक्त को मंदिर की साज-सज्जा, मरम्मत कार्य और फगुआ के दिन आने वाले लाखों श्रद्धालुओं के लिए कढ़ी-भात का भंडारा आयोजित करने की जिम्मेदारी निभानी होती है। हर वर्ष अलग-अलग भक्तों को यह अवसर दिया जाता है। इस वर्ष अटका महाप्रसाद चढ़ाने का सौभाग्य उमरी निवासी रजनीश सिंह परिहार को मिला।

महाराजा भाव सिंह जू देव ने कराया था मंदिर निर्माण श्री जगन्नाथ मंदिर का निर्माण रीवा राज्य के महाराजा भाव सिंह जू देव ने सन् 1680-85 के मध्य कराया था। वे पुरी से भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा माता एवं बलभद्र की विशाल प्रतिमाएं लाए थे और मुकुंदपुर में उनकी स्थापना करवाई थी। यह मूर्तियां अपनी भव्यता और दिव्यता के लिए प्रसिद्ध हैं।

2030 तक अटका महाप्रसाद की बुकिंग पूरी श्री जगन्नाथ मंदिर की आस्था इतनी गहरी है कि वर्ष 2030 तक अटका महाप्रसाद की बुकिंग पूरी हो चुकी है। यदि कोई भक्त इससे पहले अटका चढ़ाना चाहता है, तो पूर्णिमा के दिन विकल्प रखा गया है।

भगवान विष्णु की कल्चुरी कालीन मूर्ति भी विराजित मंदिर परिसर में भगवान विष्णु की कल्चुरी कालीन उत्कृष्ट मूर्ति भी स्थापित है। इतिहास के अनुसार, इस स्थान पर पहले विष्णु मंदिर था, जो कालांतर में गिर गया। इसके बाद महाराजा भाव सिंह जू देव ने ईरानी गुंबद शैली में नया मंदिर बनवाकर इन मूर्तियों की स्थापना कराई।

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