मिथिला पेंटिंग ने गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम कराया दर्ज: 50 छात्राओं ने प्राकृतिक रंगों से बनाई पेंटिंग, खेलो इंडिया यूथ गेम्स में होगा प्रदर्शित – Madhubani News

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मिथिला पेंटिंग ने गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम कराया दर्ज:  50 छात्राओं ने प्राकृतिक रंगों से बनाई पेंटिंग, खेलो इंडिया यूथ गेम्स में होगा प्रदर्शित – Madhubani News

मिथिला पेंटिंग ने गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम कराया दर्ज: 50 छात्राओं ने प्राकृतिक रंगों से बनाई पेंटिंग, खेलो इंडिया यूथ गेम्स में होगा प्रदर्शित – Madhubani News

बिहार की सांस्कृतिक धरोहर मिथिला पेंटिंग ने विश्व पटल पर नया कीर्तिमान स्थापित किया है। मधुबनी के मिथिला चित्रकला संस्थान की 50 छात्राओं ने प्राकृतिक रंगों से विश्व की सबसे बड़ी मिथिला पेंटिंग बनाकर गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज कराया है।

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यह पेंटिंग 24 से 26 अप्रैल के बीच 6 वरिष्ठ आचार्यों के मार्गदर्शन में तैयार की गई। पद्मश्री स्वर्गीय जगदंबा देवी की पारंपरिक शैली में बनी इस पेंटिंग को 27 अप्रैल को पटना के पाटलिपुत्र इंडोर स्टेडियम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की उपस्थिति में प्रदर्शित किया गया।

पद्मश्री बऊआ देवी मिथिला की प्रसिद्ध चित्रकार हैं। उनका जन्म राजनगर सिमरी में हुआ। उन्होंने अपनी मां और दादी से कोबर चित्रकला सीखी। NEWS4SOCIALकुलकर्णी की प्रेरणा से उन्होंने कागज पर चित्रकारी शुरू की। उन्हें 1985 में राष्ट्रीय पुरस्कार और 2017 में पद्मश्री सम्मान मिला।

खेलो इंडिया यूथ गेम्स में होगा प्रदर्शित

इस विश्व रिकॉर्ड पेंटिंग में हल्दी, चुकंदर और अपराजिता के फूलों से प्राकृतिक रंग तैयार किए गए। यह कलाकृति खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2025 में भी प्रदर्शित की जाएगी। छात्रा सोनालिका कुमारी ने कहा कि उन्हें सीखते हुए इतनी बड़ी उपलब्धि की उम्मीद नहीं थी। यह उपलब्धि मिथिला की समृद्ध परंपरा, महिला सशक्तिकरण और लोककला के संरक्षण का प्रतीक है।

राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित मिथिला पेंटिंग कलाकार रानी झा ने कहा कि यह पूरे बिहार और मिथिला क्षेत्र के लिए एक गौरवपूर्ण पल है। उन्होंने बताया कि इस महान उपलब्धि के पीछे एक सशक्त टीम वर्क रहा है, जिसमें सभी स्टूडेंट्स ने बहुत मेहनत की है। रानी झा ने खासतौर पर उन प्राकृतिक रंगों के बारे में बताया, जिन्हें पूरी तरह स्थानीय और पारंपरिक तरीकों से तैयार किया गया था।

पेंटिंग बना रहे छात्र।

प्राकृतिक रंगों से बनाया गया पेंटिंग

उन्होंने बताया कि काला रंग बनाने के लिए बहुत सारे दीपक को जलाकर उनका कालिख (कार्बन) इकट्ठा किया गया। फिर उसमें गाय का गोबर, थोड़ा पानी, और गोंद मिलाया गया। इस मिश्रण को कपड़े से छानकर पूरी तरह से पक्का काला रंग तैयार किया गया। वहीं, कच्ची हल्दी को पीसकर पीला रंग प्राप्त किया गया।

नीला रंग अपराजिता फूल का रस निकालकर बनाया गया। वहीं, चुकंदर का रस निकालकर लाल रंग तैयार किया गया था। रानी झा ने कहा कि यह पूरी प्रक्रिया न केवल प्राकृतिक है, बल्कि पर्यावरण के अनुकूल भी है। उन्होंने इस उपलब्धि को पूरी टीम की मेहनत और एकजुटता का परिणाम बताया और कहा कि इस प्रकार की कला को और आगे ले जाने के लिए हम सभी को मिलकर प्रयास करते रहना चाहिए।

मिथिला पेंटिंग ने गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज कराया है।

स्टूडेंट सोनी कुमारी ने बताया कि हम सभी साथियों ने मिलकर पेंटिंग बनाई हैं। इस चित्र में डोली कहार बनाया गया है, जिस में राम सीता बैठे हैं। स्टूडेंट आंकाक्षा कुमारी ने बताया कि हमलोगों के लिए बहुत गर्व कि बात हैं कि मिथिला को एक बार फिर इतना बड़ा अचीवमेंट मिला है, इससे बहुत खुश हूं।

छात्रों ने संस्थान के प्रति जताया आभार

स्टूडेंट सोनालिका कुमारी ने अपनी खुशी ज़ाहिर करते हुए कहा कि ‘हमने कभी सोचा भी नहीं था कि इस क्षेत्र में सीखते-सीखते हमें इतनी बड़ी उपलब्धि मिल जाएगी। हम तो अभी सीख ही रहे थे और इस दौरान ही ऐसा गौरवपूर्ण अवसर मिला, जो हमारे लिए गर्व की बात है।’

उन्होंने संस्थान के प्रति आभार जताते हुए कहा कि हम दिल से संस्थान को धन्यवाद देते हैं, जिन्होंने हमें यह बड़ा मौका दिया। हम सभी बहुत खुश हैं। यह मिथिला के लिए भी एक बड़ी उपलब्धि है।

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