मायावती ने आकाश को चेताया- रिश्ते मायने नहीं रखते: जो काम करेगा, उसे मौका देंगे, जातिवादियों के मंसूबे पूरे नहीं होने दूंगी – Uttar Pradesh News h3>
बसपा प्रमुख मायावती ने एक बार फिर परिवारवाद पर खुलकर बात रखी। भतीजे आकाश को बिना नाम लिए चेतावनी दी। कहा- मेरे लिए रिश्ते-नाते मायने नहीं रखते हैं। रिश्तों-नातों के चलते कभी पार्टी को कमजोर नहीं पड़ने दूंगी। मेरे भाई-बहन और अन्य रिश्ते मेरे लिए सिर्फ
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मायावती ने सोमवार को बसपा कार्यालय पर प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने कहा- पार्टी के लिए जो काम करेगा, उसे बढ़ने का मौका दिया जाएगा। पिछले कुछ समय से भाजपा और सपा बीएसपी के खिलाफ साजिश रच रही हैं। वे अंदर-अंदर आपस में मिले हैं और तरह-तरह के हथकंडे अपनाकर बसपा को कमजोर और खत्म करने में लगे हैं।
यह तस्वीर उस समय की है, जब आकाश आनंद पार्टी में थे। कई मौकों पर वह मायावती के साथ दिखते थे।
मायावती की 5 बड़ी बातें
1- जातिवादी पार्टियों के मंसूबे पूरे नहीं होने दूंगी
2007 में बीएसपी ने अपने दम पर पूर्ण बहुमत से यूपी में सरकार बनाई। यह जातिवादी पार्टियों के गले के नीचे अभी तक नहीं उतर पाया है। इन जातिवादी पार्टियों ने बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के कारवां को कमजोर और खत्म करने का प्रयास किया था, लेकिन बाबा साहेब और कांशीराम ने इनके मंसूबे पूरे नहीं होने दिए।
मैं भी इनके इस मंसूबे को किसी भी कीमत पर पूरा नहीं होने दूंगी। यह मेरा पार्टी के लोगों से वादा है, जिसके लिए मुझे अपने बहुजन समाज का हर स्तर पर साथ मिलना भी जरूरी है। अच्छी बात यह है कि बहुजन समाज पूरे तन, मन, धन से मेरे साथ खड़ा है।
2- पहले दलित उच्च वर्ग के सामने चारपाई पर नहीं बैठते थे
बसपा सरकार बनने से पहले यूपी में जातिवादी उच्च वर्ग के लोगों के सामने दलित न चारपाई पर बैठते थे, न ही उनकी बराबरी की कुर्सी पर बैठने की हिम्मत होती थी। लेकिन जब से बसपा की सरकार बनी, तब से काफी कुछ बदल गया है। अब दलित और उपेक्षित समाज के लोग उनके बराबर में चारपाई और कुर्सी पर सम्मान के साथ बैठते हैं। यही वास्तव में सामाजिक परिवर्तन है, जो बीएसपी की सरकार ने लाया।
लोग सामाजिक परिवर्तन की बहुत बातें करते हैं, लेकिन उसे धरातल पर कभी उतरने नहीं देते। यूपी में हमारे संतों, गुरुओं और महापुरुषों का सपना काफी हद तक साकार हुआ है, जिसकी पूरी देन कांशीराम को जाती है। समाज में परिवर्तन लाने के ये सभी प्रयास इतिहास के पन्नों में जरूर लिखे जाएंगे।
तस्वीर 23 जून 2024 की है, जब लखनऊ में बसपा की एक बैठक में आकाश आनंद ने मायावती के पैर छुए थे।
3- बसपा को कमजोर करने के लिए स्वार्थी नेताओं को मोहरा बनाया
बसपा सरकार ने ही बहुजन समाज के लोगों को काफी हद तक अपने पैरों पर खड़ा किया। हमारे संतों, गुरुओं और महापुरुषों को विभिन्न स्थलों पर पूरा-पूरा आदर और सम्मान दिया गया, जिसे वे लोग कभी भूल नहीं पाएंगे। देश-प्रदेश की सभी जातिवादी पार्टियों के गले के नीचे यह सब अभी तक नहीं उतर पाया है।
इसलिए अब वे दलित और उपेक्षित वर्गों में से स्वार्थी किस्म के लोगों को आगे कर रहे हैं। उनके जरिए विभिन्न नामों पर अनेक छोटे-छोटे संगठन और पार्टियां बनवाकर बसपा की ताकत को कमजोर करने में लगे हैं। इससे बहुजन समाज के लोगों को सचेत रहने की जरूरत है। यही समय की मांग भी है।
4- पीएम ने कभी दलितों जितना जातिवादी भेदभाव नहीं सहा होगा
पीएम मोदी समय-समय पर जरूर अपनी गरीबी की बातें किया करते हैं, लेकिन उन्होंने दलित और उपेक्षित वर्गों की तरह कभी भी जातिवादी भेदभाव नहीं सहा होगा। यह सब हमारे संतों, गुरुओं और महापुरुषों ने समय-समय पर सहा और झेला है, जिसे अभी भी उनके अनुयायी काफी हद तक झेल रहे हैं। इसलिए पार्टी के मिशनरी और परिपक्व लोगों से मेरी अपील है कि वे यह सभी जरूरी बातें अपने बच्चों और युवा पीढ़ी को जरूर बताते रहें।
5- वक्फ बोर्ड पर पक्ष-विपक्ष राजनीति कर रहा
इस समय संसद सत्र चल रहा है, जिसमें देश और आम जनहित के मुद्दों की बजाय अपने-अपने स्वार्थ की राजनीति करने पर अधिक जोर दिया जा रहा है। यह चिंता की बात है। पिछले कुछ समय से वक्फ बोर्ड पर सत्ता और विपक्ष राजनीति कर रहे हैं। यह भी चिंता की बात है। अगर यह मामला समय रहते आम सहमति से सुलझा लिया जाता, तो यह ज्यादा बेहतर होता। मेरी केंद्र सरकार से अपील है कि इस मामले में पुनर्विचार करे।
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मायावती राजनीति में मंझी हुई खिलाड़ी हैं। उनके अब तक के फैसलों और कार्यशैली पर नजर डालें तो मायावती सड़क पर संघर्ष करने की जगह जातीय और सियासी समीकरण पर ज्यादा विश्वास रखती हैं। उन्होंने राज्यसभा सांसद रामजी गौतम और रणधीर बेनीवाल को नेशनल कोऑर्डिनेटर बनाकर इस बार दलित, मुस्लिम और ब्राह्मण की सोशल इंजीनियरिंग का दांव चला है। पढ़ें पूरी खबर