मानवता के सबसे बड़े पुजारी थे महात्मा गांधी : कुलपति h3>
दरभंगा। गांधी के विचार एवं दर्शन सिर्फ बोलने या सुनने की नहीं, बल्कि व्यवहार…
Newswrapहिन्दुस्तान टीम,दरभंगाMon, 02 Oct 2023 11:51 PM
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दरभंगा। गांधी के विचार एवं दर्शन सिर्फ बोलने या सुनने की नहीं, बल्कि व्यवहार में अपनाने की बातें हैं। वे किसी भी काम को छोटा या बड़ा नहीं मानते थे। महात्मा गांधी मानवता के सबसे बड़े पुजारी थे, जिनके जीवन दर्शन एवं विचारों में ‘वसुधैव कुटुंबकम की भावना निहित है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती पर सोमवार को लनामिवि के महात्मा गांधी सदन में आयोजित कार्यक्रम में कुलपति प्रो. सुरेन्द्र प्रताप सिंह ने येबातें कही। उन्होंने कहा कि गांधी जी अपनी लगभग सारी जरूरतें खुद के कामों से ही पूरा कर लेते थे। यह गांधी सदन एक ऐतिहासिक स्थल है, क्योंकि यहां गांधी जी आकर ठहरे थे। कुलपति ने कहा कि गांधीजी ने सहज भाषा में लिखित अपनी रचनाओं में मानवता की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण विचार व्यक्त किए और इसके लिए वे जीवन पर्यन्त प्रयासरत भी रहे। वास्तव में लोकमंगल एवं लोककल्याण की भावना ही सच्ची मानवता है, जिसे गांधी जी ने अपने जीवन में अपनाया। ‘वर्तमान परिदृश्य में गांधी के विचारों की प्रासंगिकता विषयक संगोष्ठी में बतौर मुख्य वक्ता विवि के पूर्व सामाजिक विज्ञान संकायाध्यक्ष प्रो. अनिल कुमार झा ने कहा कि युगद्रष्टा, वैश्विक व्यक्तित्व एवं समरसता के प्रतीक महात्मा गांधी एक व्यक्ति ही नहीं, बेहतरीन विचारधारा थे। आज दुनिया को गांधी दर्शन की सर्वाधिक जरूरत है। एफए डॉ. दिलीप कुमार ने कहा कि गांधी के विचारों एवं उपदेशों पर अमल करना ही उनके प्रति सबसे बड़ी श्रद्धांजलि होगी। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को याद करते हुए गांधीजी की 10 महत्वपूर्ण बातों को विस्तार से रखा। पूर्व हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो. चन्द्रभानु प्रसाद सिंह ने कहा कि गांधीजी राजनीतिक शुचिता के प्रतीक हैं। उन्होंने निरीह जनता को सत्याग्रह का अमोघ अस्त्र दिया है। आज के धार्मिक उन्माद के दौर में गांधीजी के सर्वधर्म समभाव से सीख लेने की जरूरत है। सीनेटर डॉ. बैजनाथ चौधरी ने गांधी जी को विश्व शांति का प्रतीक बताया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के निदेशक प्रो. हरेकृष्ण सिंह ने गांधी को देशभक्त और उनके विचारों एवं उपदेशों को समुद्र के समान बताते हुए कहा कि इसमें जो गोता लगाता है, वह कुछ न कुछ जरुर पाता है। इस अवसर पर सभी ने गांधीजी की मूर्ति पर माल्यार्पण व पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। गांधी के प्रिय भजनों की प्रस्तुति हुई। स्वागत गांधी सदन के प्रभारी डॉ. शंभू प्रसाद ने तथा संचालन व धन्यवाद ज्ञापन बीएड रेगुलर के विभागाध्यक्ष डॉ. अरविंद मिलन ने किया।
यह हिन्दुस्तान अखबार की ऑटेमेटेड न्यूज फीड है, इसे लाइव हिन्दुस्तान की टीम ने संपादित नहीं किया है।
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दरभंगा। गांधी के विचार एवं दर्शन सिर्फ बोलने या सुनने की नहीं, बल्कि व्यवहार में अपनाने की बातें हैं। वे किसी भी काम को छोटा या बड़ा नहीं मानते थे। महात्मा गांधी मानवता के सबसे बड़े पुजारी थे, जिनके जीवन दर्शन एवं विचारों में ‘वसुधैव कुटुंबकम की भावना निहित है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती पर सोमवार को लनामिवि के महात्मा गांधी सदन में आयोजित कार्यक्रम में कुलपति प्रो. सुरेन्द्र प्रताप सिंह ने येबातें कही। उन्होंने कहा कि गांधी जी अपनी लगभग सारी जरूरतें खुद के कामों से ही पूरा कर लेते थे। यह गांधी सदन एक ऐतिहासिक स्थल है, क्योंकि यहां गांधी जी आकर ठहरे थे। कुलपति ने कहा कि गांधीजी ने सहज भाषा में लिखित अपनी रचनाओं में मानवता की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण विचार व्यक्त किए और इसके लिए वे जीवन पर्यन्त प्रयासरत भी रहे। वास्तव में लोकमंगल एवं लोककल्याण की भावना ही सच्ची मानवता है, जिसे गांधी जी ने अपने जीवन में अपनाया। ‘वर्तमान परिदृश्य में गांधी के विचारों की प्रासंगिकता विषयक संगोष्ठी में बतौर मुख्य वक्ता विवि के पूर्व सामाजिक विज्ञान संकायाध्यक्ष प्रो. अनिल कुमार झा ने कहा कि युगद्रष्टा, वैश्विक व्यक्तित्व एवं समरसता के प्रतीक महात्मा गांधी एक व्यक्ति ही नहीं, बेहतरीन विचारधारा थे। आज दुनिया को गांधी दर्शन की सर्वाधिक जरूरत है। एफए डॉ. दिलीप कुमार ने कहा कि गांधी के विचारों एवं उपदेशों पर अमल करना ही उनके प्रति सबसे बड़ी श्रद्धांजलि होगी। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को याद करते हुए गांधीजी की 10 महत्वपूर्ण बातों को विस्तार से रखा। पूर्व हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो. चन्द्रभानु प्रसाद सिंह ने कहा कि गांधीजी राजनीतिक शुचिता के प्रतीक हैं। उन्होंने निरीह जनता को सत्याग्रह का अमोघ अस्त्र दिया है। आज के धार्मिक उन्माद के दौर में गांधीजी के सर्वधर्म समभाव से सीख लेने की जरूरत है। सीनेटर डॉ. बैजनाथ चौधरी ने गांधी जी को विश्व शांति का प्रतीक बताया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के निदेशक प्रो. हरेकृष्ण सिंह ने गांधी को देशभक्त और उनके विचारों एवं उपदेशों को समुद्र के समान बताते हुए कहा कि इसमें जो गोता लगाता है, वह कुछ न कुछ जरुर पाता है। इस अवसर पर सभी ने गांधीजी की मूर्ति पर माल्यार्पण व पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। गांधी के प्रिय भजनों की प्रस्तुति हुई। स्वागत गांधी सदन के प्रभारी डॉ. शंभू प्रसाद ने तथा संचालन व धन्यवाद ज्ञापन बीएड रेगुलर के विभागाध्यक्ष डॉ. अरविंद मिलन ने किया।
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