माघ पूर्णिमा पर विदेशी श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाई: नॉर्वे के पूर्व मंत्री बोले- अद्वितीय है महाकुंभ, बेल्जियम के एडवर्ड ने कहा- यहां के लोग बहुत मिलनसार h3>
प्रयागराज2 मिनट पहले
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महाकुंभ पहुंचे विदेशी श्रद्धालुओं ने माघ पूर्णिमा पर संगम स्नान किया। नॉर्वे के पूर्व जलवायु और पर्यावरण मंत्री एरिक सोलहेम ने कहा– महाकुंभ अद्वितीय है। यह न केवल विश्व का सबसे बड़ा आध्यात्मिक आयोजन, बल्कि इतिहास का सबसे विशाल मानव समागम भी है। मानव इतिहास में इससे बड़ा कोई आयोजन कभी नहीं हुआ, न अमेरिका में, न यूरोप में, न चीन में और न ही विश्व के किसी अन्य कोने में।
बेल्जियम के एडवर्ड ने कहा- वर्तमान में यह दुनिया में सबसे अच्छी जगह है। महाकुंभ का अनुभव सुंदर और शानदार है। यहां की भीड़ और लोग बहुत मिलनसार हैं। यह आज दुनिया में सबसे अच्छी जगह है।
यहां जो दिख रहा वह अद्भुत फ्रांस के एक अन्य श्रद्धालु ने कहा– यह बहुत बढ़िया जगह है। यहां आना अद्भुत है, यहां जो कुछ भी हम देखते हैं, वह अद्भुत है। हम साधु–संतों का इंतजार कर रहे हैं।
फ्रांस के श्रद्धालु ने कहा- महाकुंभ बहुत बढ़िया जगह है।
गंगा में डुबकी लगाना अविश्वसनीय अनुभव था संगम स्नान के बाद विदेशी श्रद्धालु ने कहा- गंगा में पवित्र डुबकी लगाना एक अविश्वसनीय अनुभव था। यह अद्भुत है और हम यहां जो महसूस कर रहे हैं उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता।
ऑस्ट्रेलिया से आए एक श्रद्धालु ने कहा- मैं यहां आने की खुशी और कृतज्ञता को शब्दों में बयां नहीं कर सकता। यह जीवन भर याद रहने वाला अनुभव है।
नेपाल से आए भक्त ने कहा- महाकुंभ में बहुत अच्छी व्यवस्था है। हमने यहां आने का कभी सोचा नहीं था, लेकिन भगवान ने बुला लिया। स्नान करने के बाद मन प्रसन्न है।
नेपाल के श्रद्धालु ने कहा- स्नान करके धन्य हो गया।
इंटरनेशनल मीडिया में महाकुंभ छाया द गार्जियन ने इसे 144 वर्षों में पहली बार आयोजित होने वाला महाकुंभ बताया। लिखा- यह पर्व हिंदू धर्म के लिए विशेष महत्व रखता है।
अलजजीरा ने इसे पवित्र नदियों में डुबकी लगाते हजारों हिंदुओं का मेला कहा। वहीं, इंडिपेंडेंट ने इसे मानवता का सबसे बड़ा जमावड़ा बताया।
रॉयटर्स ने महाकुंभ को गिगांटिक पिचर फेस्टिवल का नाम दिया, जबकि द गार्जियन ने इसे अद्वितीय आध्यात्मिक अनुभव बताया।
महाकुंभ में 68 विदेशियों ने सनातन धर्म अपनाया
प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ मेले में मंगलवार को 68 विदेशी नागरिकों ने विधि-विधान से सनातन धर्म अपना लिया। इनमें सबसे बड़ी संख्या अमेरिकी नागरिकों की रही। सनातन अपनाने वालों में 41 अमेरिका, 7 ऑस्ट्रेलिया, 4 स्विट्जरलैंड, 3 फ्रांस, 3 बेल्जियम, 2 यूके, 2 आयरलैंड, 2 कनाडा और नॉर्वे, जापान, इटली और जर्मनी के एक-एक नागरिक शामिल हैं।
विदेशी श्रद्धालुओं को सनातन शांति की यह राह जगतगुरु साईं मां लक्ष्मी देवी दिखा रही हैं। उन्होंने कहा- जीवन में शांति तलाशते विदेशियों को सनातन में आकर शांति का अनुभव हो रहा है। सनातन की राह में शामिल होने के बाद उनके चेहरे पर मुस्कुराहट है। दिमाग शांत है, मन की उथल-पुथल समाप्त हो चुकी है। उन्हें अब जीवन में एक राह मिल चुकी है। पढ़ें पूरी खबर…
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कुंभ का इकलौता आश्रम, जहां सभी 9 महामंडलेश्वर विदेशी: हिंदी नहीं आती, पर संस्कृत के श्लोक याद
प्रयागराज महाकुंभ के सेक्टर-17 में निर्मोही अनी अखाड़े से जुड़ीं साईं मां का आश्रम। यह आश्रम शक्ति धाम नाम से जाना जाता है। इसमें 40 से ज्यादा देशों के भक्त हैं। यहां नौ महामंडलेश्वर हैं, सभी विदेशी हैं।
एक को छोड़कर बाकी हिंदी नहीं जानते, लेकिन संस्कृत के श्लोक सभी को बखूबी याद हैं। इनमें कोई अमेरिका में डॉक्टर रहा, तो कोई जापान में टीचर। ये सभी अपने-अपने देशों में ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए सनातन धर्म का प्रचार कर रहे हैं। पढ़ें पूरी खबर…
महाकुंभ पहुंचे 77 देशों के डेलिगेट्स, राजदूतों ने खुद को बताया सौभाग्यशाली
महाकुंभ में 1 फरवरी को 77 देशों के 118 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल दिव्य-भव्य महाकुंभ को देख अभिभूत हो उठा। इन अतिथियों ने कहा- महाकुंभ भारतीय संस्कृति और धरोहर को दिखाता है। प्रयागराज पहुंचकर इन लोगों ने खुद को सौभाग्यशाली बताया। इन अतिथियों ने योगी सरकार व विदेश मंत्रालय द्वारा राजनयिकों के लिए इस यात्रा की व्यवस्था पर खुशी भी जताई। वहीं प्रयागराज पहुंचने पर अतिथियों का स्वागत किया गया। इन लोगों ने संगम में स्नान किया। संतों का आशीर्वाद भी लिया। पढ़ें पूरी खबर…
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प्रयागराज2 मिनट पहले
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बेल्जियम के एडवर्ड ने कहा- वर्तमान में यह दुनिया में सबसे अच्छी जगह है। महाकुंभ का अनुभव सुंदर और शानदार है। यहां की भीड़ और लोग बहुत मिलनसार हैं। यह आज दुनिया में सबसे अच्छी जगह है।
यहां जो दिख रहा वह अद्भुत फ्रांस के एक अन्य श्रद्धालु ने कहा– यह बहुत बढ़िया जगह है। यहां आना अद्भुत है, यहां जो कुछ भी हम देखते हैं, वह अद्भुत है। हम साधु–संतों का इंतजार कर रहे हैं।
फ्रांस के श्रद्धालु ने कहा- महाकुंभ बहुत बढ़िया जगह है।
गंगा में डुबकी लगाना अविश्वसनीय अनुभव था संगम स्नान के बाद विदेशी श्रद्धालु ने कहा- गंगा में पवित्र डुबकी लगाना एक अविश्वसनीय अनुभव था। यह अद्भुत है और हम यहां जो महसूस कर रहे हैं उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता।
ऑस्ट्रेलिया से आए एक श्रद्धालु ने कहा- मैं यहां आने की खुशी और कृतज्ञता को शब्दों में बयां नहीं कर सकता। यह जीवन भर याद रहने वाला अनुभव है।
नेपाल से आए भक्त ने कहा- महाकुंभ में बहुत अच्छी व्यवस्था है। हमने यहां आने का कभी सोचा नहीं था, लेकिन भगवान ने बुला लिया। स्नान करने के बाद मन प्रसन्न है।
नेपाल के श्रद्धालु ने कहा- स्नान करके धन्य हो गया।
इंटरनेशनल मीडिया में महाकुंभ छाया द गार्जियन ने इसे 144 वर्षों में पहली बार आयोजित होने वाला महाकुंभ बताया। लिखा- यह पर्व हिंदू धर्म के लिए विशेष महत्व रखता है।
अलजजीरा ने इसे पवित्र नदियों में डुबकी लगाते हजारों हिंदुओं का मेला कहा। वहीं, इंडिपेंडेंट ने इसे मानवता का सबसे बड़ा जमावड़ा बताया।
रॉयटर्स ने महाकुंभ को गिगांटिक पिचर फेस्टिवल का नाम दिया, जबकि द गार्जियन ने इसे अद्वितीय आध्यात्मिक अनुभव बताया।
महाकुंभ में 68 विदेशियों ने सनातन धर्म अपनाया
प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ मेले में मंगलवार को 68 विदेशी नागरिकों ने विधि-विधान से सनातन धर्म अपना लिया। इनमें सबसे बड़ी संख्या अमेरिकी नागरिकों की रही। सनातन अपनाने वालों में 41 अमेरिका, 7 ऑस्ट्रेलिया, 4 स्विट्जरलैंड, 3 फ्रांस, 3 बेल्जियम, 2 यूके, 2 आयरलैंड, 2 कनाडा और नॉर्वे, जापान, इटली और जर्मनी के एक-एक नागरिक शामिल हैं।
विदेशी श्रद्धालुओं को सनातन शांति की यह राह जगतगुरु साईं मां लक्ष्मी देवी दिखा रही हैं। उन्होंने कहा- जीवन में शांति तलाशते विदेशियों को सनातन में आकर शांति का अनुभव हो रहा है। सनातन की राह में शामिल होने के बाद उनके चेहरे पर मुस्कुराहट है। दिमाग शांत है, मन की उथल-पुथल समाप्त हो चुकी है। उन्हें अब जीवन में एक राह मिल चुकी है। पढ़ें पूरी खबर…
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