महाराष्ट्र सरकार में हो सकता है बड़ा बदलाव, राजेश टोपे बन सकते हैं नए गृहमंत्री, 1 मई के पहले बलदाव के संकेत h3>
मुंबई: महाराष्ट्र(Maharashtra) की ठाकरे सरकार(Uddhav Thackeray Government) के मंत्रिमंडल में आने वाले दिनों में बड़ा फेरबदल होने के संकेत मिल रहे हैं। जानकारी के मुताबिक गृहमंत्री दिलीप वलसे पाटिल(Home Minister Dilip Walse patil) की जगह अब मौजूदा स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे(Health Minister Rajesh Tope) को गृह मंत्रालय का पदभार दिया जा सकता है। सूत्रों की माने तो यह फेरबदल 1 मई के पहले होने की संभावना है। महाराष्ट्र में फिलहाल सियासी घमासान मचा हुआ है। एक तरफ जहां विरोधी पार्टी बीजेपी(BJP) लगातार राज्य सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रही है। वहीं दूसरी तरफ महाविकास अघाड़ी सरकार के नेता और मंत्री भी गृह मंत्रालय के कामकाज से खासे नाराज चल रहे हैं। भले ही दिलीप वलसे पाटील को गृहमंत्री के पद से मुक्त किया जाए लेकिन यह मंत्रालय एनसीपी(NCP) के पास ही रहेगा। बीते कई दिनों से केंद्रीय जांच एजेंसियों की तरफ से महाविकास अघाड़ी सरकार के नेताओं और मंत्रियों पर छापेमारी की कार्रवाई शुरू है। दूसरी तरफ महाराष्ट्र पुलिस(Maharashtra Police) की तरफ से भी बीजेपी नेताओं के विरोध कठोर कार्रवाई न किये जाने पर एमवीए के नेताओं ने नाराजगी जाहिर की थी। तब से ही गृहमंत्रालय की जिम्मेदारी किसी और को दिए जाने की खबरें सामने आ रही थीं।
संजय राउत की नाराजगी
विधान परिषद में विरोधी पक्ष नेता प्रवीण दरेकर मुंबई बैंक घोटाला मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट से अग्रिम जमानत मिली है। उसी प्रकार किरीट सोमैया और नील सोमैया को भी हाई कोर्ट से राहत मिली है। इस घटना पर शिवसेना के सांसद संजय राउत ने महाराष्ट्र गृह मंत्रालय के खिलाफ अपनी नाराजगी जाहिर की थी। उन्होंने कहा था कि गृह मंत्रालय को और भी मजबूत और सक्षम बनाना चाहिए। इस बाबत उन्होंने मुख्यमंत्री से चर्चा भी की थी। राउत कहा था कि केंद्रीय जांच एजेंसियां महाराष्ट्र में आकर जांच कर रही है। यह राज्य के गृह मंत्रालय पर आक्रमण है। इस संदर्भ में गंभीरता से विचार करना चाहिए। संजय राउत ने कहा था कि गृह मंत्रालय को ऐसे मामलों में कठोर कदम उठाने होंगे। वरना हर दिन इसी तरह से परेशान होना पड़ेगा। दूसरी तरफ शिवसेना के नेता और पूर्व सांसद चंद्रकांत खैरे ने भी गृह मंत्रालय को लेकर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से यह मांग की थी कि वह इस विभाग को अपने पास रखें। जैसे महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने रखा था।
मंत्रिमंडल में फेरबदल होने की खबरें अप्रैल महीने की शुरुआत से ही सामने आ रही है। महाविकास अघाड़ी सरकार में कई अहम पदों को लेकर चर्चा सत्र चला है। जिसमें शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के बीच विधानसभा अध्यक्ष पद और गृह विभाग समेत कुछ अन्य विभागों में फेरबदल या अदला-बदली को लेकर चर्चा हुई है।
नेताओं की नाराजगी
राज्य में महाविकास अघाड़ी सरकार के गठन को ढाई साल से ज्यादा का वक्त हो चुका है। इस दौरान तीनों ही पार्टियों के दरम्यान कई बार मनमुटाव की खबरें सामने आई हैं। खास तौर पर महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री अजित पवार से भी विधायकों की नाराजगी सामने आई है। शिवसेना और कांग्रेस के विधायकों का कहना है कि फंड अलॉटमेंट को लेकर उनकी मांगों को नजरअंदाज किया जाता है। एनसीपी अपने विधायकों को तो फंड देती है लेकिन दूसरी पार्टियों के विधायकों के साथ सौतेला व्यवहार करती हैं।
फेरबदल की जरूरत क्यों पड़ी
महाराष्ट्र के गृहमंत्री को बदलने की आवाज उठने के पीछे कई वजह सामने आई हैं। दरअसल शिवसेना के नेताओं और मंत्रियों को काफी दिनों से यह लग रहा था कि जिस तरह से केंद्रीय एजेंसियां ठाकरे परिवार, संजय राउत और अनिल परब जैसे पार्टी के बड़े नेताओं के खिलाफ एक के बाद एक कार्रवाई कर रहे हैं। उतनी मुस्तैदी और आक्रमक तरीके से दिलीप वलसे पाटील बीजेपी के नेताओं पर कार्रवाई नहीं कर पा रहे हैं। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने भी इस मुद्दे पर अपनी नाराजगी भी जताई थी। हालांकि तब दिलीप वलसे पाटिल ने मामले को संभालते हुए बयान दिया था कि इस तरह की खबरें इस तरह की खबरों का कोई आधार नहीं है।
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संजय राउत की नाराजगी
विधान परिषद में विरोधी पक्ष नेता प्रवीण दरेकर मुंबई बैंक घोटाला मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट से अग्रिम जमानत मिली है। उसी प्रकार किरीट सोमैया और नील सोमैया को भी हाई कोर्ट से राहत मिली है। इस घटना पर शिवसेना के सांसद संजय राउत ने महाराष्ट्र गृह मंत्रालय के खिलाफ अपनी नाराजगी जाहिर की थी। उन्होंने कहा था कि गृह मंत्रालय को और भी मजबूत और सक्षम बनाना चाहिए। इस बाबत उन्होंने मुख्यमंत्री से चर्चा भी की थी। राउत कहा था कि केंद्रीय जांच एजेंसियां महाराष्ट्र में आकर जांच कर रही है। यह राज्य के गृह मंत्रालय पर आक्रमण है। इस संदर्भ में गंभीरता से विचार करना चाहिए। संजय राउत ने कहा था कि गृह मंत्रालय को ऐसे मामलों में कठोर कदम उठाने होंगे। वरना हर दिन इसी तरह से परेशान होना पड़ेगा। दूसरी तरफ शिवसेना के नेता और पूर्व सांसद चंद्रकांत खैरे ने भी गृह मंत्रालय को लेकर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से यह मांग की थी कि वह इस विभाग को अपने पास रखें। जैसे महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने रखा था।
मंत्रिमंडल में फेरबदल होने की खबरें अप्रैल महीने की शुरुआत से ही सामने आ रही है। महाविकास अघाड़ी सरकार में कई अहम पदों को लेकर चर्चा सत्र चला है। जिसमें शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के बीच विधानसभा अध्यक्ष पद और गृह विभाग समेत कुछ अन्य विभागों में फेरबदल या अदला-बदली को लेकर चर्चा हुई है।
नेताओं की नाराजगी
राज्य में महाविकास अघाड़ी सरकार के गठन को ढाई साल से ज्यादा का वक्त हो चुका है। इस दौरान तीनों ही पार्टियों के दरम्यान कई बार मनमुटाव की खबरें सामने आई हैं। खास तौर पर महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री अजित पवार से भी विधायकों की नाराजगी सामने आई है। शिवसेना और कांग्रेस के विधायकों का कहना है कि फंड अलॉटमेंट को लेकर उनकी मांगों को नजरअंदाज किया जाता है। एनसीपी अपने विधायकों को तो फंड देती है लेकिन दूसरी पार्टियों के विधायकों के साथ सौतेला व्यवहार करती हैं।
फेरबदल की जरूरत क्यों पड़ी
महाराष्ट्र के गृहमंत्री को बदलने की आवाज उठने के पीछे कई वजह सामने आई हैं। दरअसल शिवसेना के नेताओं और मंत्रियों को काफी दिनों से यह लग रहा था कि जिस तरह से केंद्रीय एजेंसियां ठाकरे परिवार, संजय राउत और अनिल परब जैसे पार्टी के बड़े नेताओं के खिलाफ एक के बाद एक कार्रवाई कर रहे हैं। उतनी मुस्तैदी और आक्रमक तरीके से दिलीप वलसे पाटील बीजेपी के नेताओं पर कार्रवाई नहीं कर पा रहे हैं। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने भी इस मुद्दे पर अपनी नाराजगी भी जताई थी। हालांकि तब दिलीप वलसे पाटिल ने मामले को संभालते हुए बयान दिया था कि इस तरह की खबरें इस तरह की खबरों का कोई आधार नहीं है।
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