महाराष्ट्र कैबिनेट विस्तार में शिवसेना को कितनी अहमियत, दिल्ली में एकनाथ शिंदे की बैठक के बाद खुलेंगे पत्ते h3>
मुंबई: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे गुरुवार को मुंबई से दिल्ली पहुंचे हैं। बताया जा रहा है कि वे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात करेंगे। मुलाकात के दौरान केंद्रीय मंत्रिमंडल और राज्य मंत्रिमंडल विस्तार चर्चा होने की संभावना है। शुक्रवार को शिंदे-फडणवीस सरकार के एक साल पूरे हो रहे हैं। एक साल पूरा होने के बाद भी राज्य मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं किया जा सका है। जब भी मंत्रिमंडल विस्तार के बारे में पूछा जाता है, तो वे कहते हैं कि जल्द ही करेंगे। शिंदे खेमे के अंदर मंत्रिमंडल विस्तार नहीं करने पर भारी नाराजगी है। उस नाराजगी को सीएम दूर करना चाहते हैं। बताया जा रहा है कि केंद्र और राज्य में मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर सीएम शाह से चर्चा करेंगे।मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने गुरुवार को आषाढ़ी एकादशी के अवसर पर पंढरपुर में विट्ठल-रुख्मिणी की महापूजा करने पहुंचे थे। उन्होंने कहा था कि राज्य मंत्रिमंडल का जल्द ही विस्तार किया जाएगा। हालांकि कुछ देर बाद उनके दिल्ली रवाना होने की सूचना मिली।
क्या है कैबिनेट का समीकरण
राजनीतिक विश्लेषकों ने कहा कि शिंदे गुट के 30 विधायकों और 10 निर्दलीय विधायकों का कैबिनेट या मंत्री पद पाने का दबाव है। वहीं भाजपा मुश्किल स्थिति में है क्योंकि उसके पास 96 विधायक (नौ पहले से ही मंत्री हैं) और 10 निर्दलीय विधायकों का समर्थन है। जिन्हें वह मंत्रिपरिषद में जगह देने की उम्मीद करती है।
महिला को मौका
सेना के एक पदाधिकारी ने कहा कि अगर विस्तार होता है, तो पुराने और नए दोनों चेहरों को मौका दिया जाएगा। चूंकि इस समय कैबिनेट में कोई महिला नहीं है, इसलिए सेना और भाजपा दोनों महिलाओं को मंत्री के रूप में नामित कर सकती है।
1 साल से चल रही खींचतान
एक साल पहले उद्धव ठाकरे के इस्तीफे के बाद शिंदे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने थे। बीजेपी के देवेन्द्र फडणवीस उपमुख्यमंत्री बने और दोनों ने 41 दिनों तक सरकार चलाई। बाद में 18 मंत्रियों को शामिल करने के साथ पहला कैबिनेट विस्तार हुआ।
महाराष्ट्र में 43 मंत्री पद
महाराष्ट्र में कैबिनेट में 43 मंत्रियों के पद हैं। शिवसेना और बीजेपी दोनों के विधायक नए कैबिनेट पदों पर नजर गड़ाए हुए हैं। हालांकि, आलोचकों का कहना है कि शिंदे अपनी पार्टी के भीतर दरार से बचने के लिए कैबिनेट का विस्तार नहीं कर रहे हैं, क्योंकि शिवसेना विधायकों ने मंत्री पद पाने के वादे पर उद्धव ठाकरे के खिलाफ विद्रोह कर दिया था।
अपने खेमे में लगभग 50 विधायक रखने वाले शिंदे ने 30 जून, 2022 को मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली और राज्य की 288 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा के 105 विधायक होने के बावजूद पूर्व मुख्यमंत्री फडणवीस को उपमुख्यमंत्री का पद मिला जिसे एक अभूतपूर्व कदम के रूप में देखा गया।
मंत्रिपरिषद में कोई राज्य मंत्री नहीं है और प्रत्येक कैबिनेट मंत्री के पास कई जिलों के संरक्षक मंत्री का प्रभार होने के साथ ही अन्य कई विभागों का भी प्रभार है। राज्य में मंत्रिपरिषद में अभी तक कोई महिला भी नहीं है। लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव सिर्फ एक साल दूर हैं। इससे मंत्री पद के दावेदारों के और अधिक चिंतित होने की संभावना है।
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क्या है कैबिनेट का समीकरण
राजनीतिक विश्लेषकों ने कहा कि शिंदे गुट के 30 विधायकों और 10 निर्दलीय विधायकों का कैबिनेट या मंत्री पद पाने का दबाव है। वहीं भाजपा मुश्किल स्थिति में है क्योंकि उसके पास 96 विधायक (नौ पहले से ही मंत्री हैं) और 10 निर्दलीय विधायकों का समर्थन है। जिन्हें वह मंत्रिपरिषद में जगह देने की उम्मीद करती है।
महिला को मौका
सेना के एक पदाधिकारी ने कहा कि अगर विस्तार होता है, तो पुराने और नए दोनों चेहरों को मौका दिया जाएगा। चूंकि इस समय कैबिनेट में कोई महिला नहीं है, इसलिए सेना और भाजपा दोनों महिलाओं को मंत्री के रूप में नामित कर सकती है।
1 साल से चल रही खींचतान
एक साल पहले उद्धव ठाकरे के इस्तीफे के बाद शिंदे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने थे। बीजेपी के देवेन्द्र फडणवीस उपमुख्यमंत्री बने और दोनों ने 41 दिनों तक सरकार चलाई। बाद में 18 मंत्रियों को शामिल करने के साथ पहला कैबिनेट विस्तार हुआ।
महाराष्ट्र में 43 मंत्री पद
महाराष्ट्र में कैबिनेट में 43 मंत्रियों के पद हैं। शिवसेना और बीजेपी दोनों के विधायक नए कैबिनेट पदों पर नजर गड़ाए हुए हैं। हालांकि, आलोचकों का कहना है कि शिंदे अपनी पार्टी के भीतर दरार से बचने के लिए कैबिनेट का विस्तार नहीं कर रहे हैं, क्योंकि शिवसेना विधायकों ने मंत्री पद पाने के वादे पर उद्धव ठाकरे के खिलाफ विद्रोह कर दिया था।
अपने खेमे में लगभग 50 विधायक रखने वाले शिंदे ने 30 जून, 2022 को मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली और राज्य की 288 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा के 105 विधायक होने के बावजूद पूर्व मुख्यमंत्री फडणवीस को उपमुख्यमंत्री का पद मिला जिसे एक अभूतपूर्व कदम के रूप में देखा गया।
मंत्रिपरिषद में कोई राज्य मंत्री नहीं है और प्रत्येक कैबिनेट मंत्री के पास कई जिलों के संरक्षक मंत्री का प्रभार होने के साथ ही अन्य कई विभागों का भी प्रभार है। राज्य में मंत्रिपरिषद में अभी तक कोई महिला भी नहीं है। लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव सिर्फ एक साल दूर हैं। इससे मंत्री पद के दावेदारों के और अधिक चिंतित होने की संभावना है।
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