महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री रामदास कदम के खिलाफ बॉम्बे हाई कोर्ट में PIL, फर्जीवाड़ा कर बिल्डिंग बनाने का है आरोप h3>
मुंबई:महाराष्ट्र के मंत्री अब्दुल सत्तार के बाद एकनाथ शिंदे गुट के एक और बड़े नेता का मामला बॉम्बे हाईकोर्ट पहुंचा है। पूर्व कैबिनेट मंत्री रामदास कदम और उनके बेटो की कंस्ट्रक्शन कंपनी योगसिद्धि डेवेलपर के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है। योगसिद्धि डेवेलोपर में रामदास कदम के बेटे योगेश और सिद्देश दोनों पार्टनर हैं। याचिका में आरोप लगाते हुए कहा गया है कि इस कंपनी ने कांदिवली ईस्ट स्थित सीटीएस 147 पर एसआरए स्कीम के तहत सुमुख हिल्स नामक बिल्डिंग का निर्माण किया है। जिसमें सरकारी अधिकारी से साठगांठ कर बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा किया गया है। साथ ही सरकारी जमीन पर बनी यह इमारत पूरी तरह से अवैध है। याचिका में मांग की गई है कि प्रोजेक्ट की फाइनल ओसी को निरस्त किया जाए। साथ ही बफर जोन में बने 23000 स्क्वायर मीटर के स्ट्रक्चर को डिमॉलिश किया जाए। हाईवे एनओसी और फाइनल फायर एनओसी को भी रद्द किया जाए।
अधिकारियों की मिलीभगत के चलते पूरे स्कैम की जांच एसआईटी से कराई जाए और यह जांच कोर्ट की निगरानी में हो। सोमवार के दिन याचिका की एक्टिंग चीफ जस्टिस श्री संजय गंगापूरवाला की बेंच द्वारा सुनवाई की गई। याचिकाकर्ता की तरफ से एडवोकेट प्रदन्या तलेकर द्वारा मामला कोर्ट के संज्ञान में लाया गया। कोर्ट ने सुनवाई के लिए याचिकाकर्ता को 1 लाख रुपए बोनाफाइड साबित करने के लिए 3 हफ्तों के भीतर जमा करने के आदेश दिया है और मामले की अगली तारीख 15 जून को दी गई है।
फ़र्ज़ी हाइवे एनओसी और हाइवे के बफर झोन में इमारत
याचिका में कहा गया है कि इस स्कैम को अंजाम देने के लिए योगसिद्धि डेवेलोपर और आर्किटेक्ट संजय नेवे ने जिस हाईवे एनओसी का इस्तेमाल किया है, वह फर्जी है। स्कीम की हाईवे एनओसी फरवरी 2001 की है जबकि स्कीम की स्लम कमिटी का गठन दिसबंर 2004 और योगसिद्धि डेवेलोपर का गठन जनवरी 2005 में हुआ। आर्किटेक्ट संजय नेवे की नियुक्ति भी जनवरी 2005 में हुई। ऐसे में 4 साल पुरानी एनओसी का इस्तेमाल किया गया ताकि महाराष्ट्र सरकार के जीआर दिनांक 9 मार्च 2001 को बायपास किया जा सके। इस जीआर के मुताबिक हाईवे के केंद्र से 60 मीटर या हाईवे की सीमा से 15 मीटर, जो भी अधिक हो, इस क्षेत्र को बफर ज़ोन के रूप में जाना जाएगा।
साथ ही हाईवे के इस क्षेत्र में किसी भी तरह के निर्माण की इजाजत नहीं है। इसके अलावा हाईवे एनओसी के लिए आर्किटेक्ट की नियुक्ति पत्र, लोकेशन प्लान, बिल्डिंग प्लान, डीपी रिमार्क, जैसे डॉक्यूमेंट अनिवार्य होते हैं। संजय नेवे हाइवे एनओसी के लिए एक भी कंडीशन पूरी करने में सक्षम नहीं थे। इसके साथ ही याचिका में दावा किया गया है कि सुमुख हिल्स पूरी इमारत वेस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे के बफर झोन में है। फर्जी एनओसी की शर्तो के मुताबिक भी बिल्डिंग निर्माण के लिए हाईवे के मध्य से 45 मीटर जगह छोड़नी थी।
लेकिन जब एमएमआरडीए द्वारा मेज़रमेंट लिया गया तो बिल्डिंग की दूरी हाइवे के मध्य से 30 मीटर निकली। सुमुख हिल्स बिल्डिंग एनओसी के मुताबिक़ 15 मीटर और जीआर के मुताबिक़ 30 मीटर बफर झोन में है। दिनांक 24.3.2022 को पीडब्ल्यूडी विभाग ने एमएमआरडीए विभाग की रिपोर्ट को जोड़ते हुए एसआरए को पत्र लिख उचित एक्शन लेने को कहा लेकिन इसे दरकिनार कर एसआरए ने इमारत को दिसंबर 2022 में फाइनल ओसी दे दी।
पूर्व सीएम के नाम पर भी फ्रॉड
याचिका में आगे कहा गया है की इस स्कीम में तत्कालीन मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख के नाम पर भी फर्जीवाड़ा किया गया है। कलेक्टर की रिपोर्ट के आधार पर स्कीम की शुरुवात में ही राजस्व विभाग ने इस स्कीम पर स्टे लगा दिया था। साथ ही कलक्टर को 15 दिनों के अंदर जाँच कर रिपोर्ट सब्मिट करने के आदेश दिए गए। इस स्टे को हटाने के लिए योगसिद्धि डेवलपर द्वारा अपने लेटरहैड पर तत्कालीन मुख्यमंत्री विलास राव देशमुख को पत्र लिखा गया। इसी पत्र पर तत्कालीन एसआरए सीईओ की नोटिंग है। बाद में सीएम के निर्देश के बाद प्रोजेक्ट पर लगा स्टे हटा दिया जाता है। लेकिन याचिका में दावा किया गया है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री ने ऐसा कोई निर्देश दिया ही नहीं था।
हाऊसिंग विभाग और खुद एसआरए ने आरटीआई में इस बात की जानकारी दी है। जिसके मुताबिक उनके पास तत्कालीन मुख्यमंत्री के निर्देश का ऐसा कोई रिकॉर्ड नहीं है। ऐसे में हाईवे एनओसी की तरह , तत्कालीन सीएम के भी फ़र्ज़ी निर्देशों का इस्तेमाल स्कीम के लिए किया गया। फरवरी 2008 में स्कीम को सीसी दी गई। यह सीसी योगेश कदम के नाम जारी की गई थी।
फायर एनओसी औऱ पर्यावरण नियमों का उल्लंघन
याचिका में कहा गया है कि इमारत में रह रहे हजारों लोगो की सुरक्षा के साथ भी योगसद्धि डेवलपर और अधिकारियों ने मिलकर खिलवाड़ किया है। इस प्रोजेक्ट को सबसे पहले 10.3.2013 के दिन प्रोविजनल फायर एनओसी जारी की गई थी। यह एनओसी इस शर्त पर जारी हुई थी कि इमारत के वेस्ट साइड में 18 मीटर चौड़ी डीपी रोड है। इसके बाद समय समय पर प्रोजेक्ट को स्टेज वाइज फायर एनओसी जारी हुई। दिनांक 10.8.2021 के दिन प्रोजेक्ट के लिए फायर विभाग द्वारा फाइनल फायर एनओसी जारी की गई। इस एनओसी के लिए फायर विभाग अधिकारी ने 21.6.2021 और 23.7.2021 के दिन प्रोजेक्ट का निरक्षण किया और अपने इंस्पेक्टिंग रिपोर्ट में फायर अधिकारी ने झूठी जानकारी दी कि प्रोजेक्ट के वेस्ट साइड में 18 मीटर चौड़ी डीपी रोड मौजूद है। याचिका में इंस्पेक्शन के 12 दिन बाद के डीपी रोड की तस्वीर और डीपी रोड के चौड़ाई के संदर्भ में इंडिपेंडेंट आर्किटेक्ट की रिपोर्ट जोड़ी गई है।
जिसके मुताबिक़ डीपी रोड की चौड़ाई 5 से 6 मीटर ही है। याचिका में कहा गया है की मात्र 5 से 6 मीटर चौड़ी सड़क होने के बावजूद फायर विभाग के इंस्पेक्शन अफसर ने डीपी रोड के चौड़ाई की झूटी जानकारी अपने रिपोर्ट में लिखी। जिसके आधार पर फाइनल फायर एनओसी जारी की गई। इसके अलावा प्रोजेक्ट के साउथ साइड में भी फायर के ओपन स्पेस को गॉर्डन में तब्दील किया गया है।
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अधिकारियों की मिलीभगत के चलते पूरे स्कैम की जांच एसआईटी से कराई जाए और यह जांच कोर्ट की निगरानी में हो। सोमवार के दिन याचिका की एक्टिंग चीफ जस्टिस श्री संजय गंगापूरवाला की बेंच द्वारा सुनवाई की गई। याचिकाकर्ता की तरफ से एडवोकेट प्रदन्या तलेकर द्वारा मामला कोर्ट के संज्ञान में लाया गया। कोर्ट ने सुनवाई के लिए याचिकाकर्ता को 1 लाख रुपए बोनाफाइड साबित करने के लिए 3 हफ्तों के भीतर जमा करने के आदेश दिया है और मामले की अगली तारीख 15 जून को दी गई है।
फ़र्ज़ी हाइवे एनओसी और हाइवे के बफर झोन में इमारत
याचिका में कहा गया है कि इस स्कैम को अंजाम देने के लिए योगसिद्धि डेवेलोपर और आर्किटेक्ट संजय नेवे ने जिस हाईवे एनओसी का इस्तेमाल किया है, वह फर्जी है। स्कीम की हाईवे एनओसी फरवरी 2001 की है जबकि स्कीम की स्लम कमिटी का गठन दिसबंर 2004 और योगसिद्धि डेवेलोपर का गठन जनवरी 2005 में हुआ। आर्किटेक्ट संजय नेवे की नियुक्ति भी जनवरी 2005 में हुई। ऐसे में 4 साल पुरानी एनओसी का इस्तेमाल किया गया ताकि महाराष्ट्र सरकार के जीआर दिनांक 9 मार्च 2001 को बायपास किया जा सके। इस जीआर के मुताबिक हाईवे के केंद्र से 60 मीटर या हाईवे की सीमा से 15 मीटर, जो भी अधिक हो, इस क्षेत्र को बफर ज़ोन के रूप में जाना जाएगा।
साथ ही हाईवे के इस क्षेत्र में किसी भी तरह के निर्माण की इजाजत नहीं है। इसके अलावा हाईवे एनओसी के लिए आर्किटेक्ट की नियुक्ति पत्र, लोकेशन प्लान, बिल्डिंग प्लान, डीपी रिमार्क, जैसे डॉक्यूमेंट अनिवार्य होते हैं। संजय नेवे हाइवे एनओसी के लिए एक भी कंडीशन पूरी करने में सक्षम नहीं थे। इसके साथ ही याचिका में दावा किया गया है कि सुमुख हिल्स पूरी इमारत वेस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे के बफर झोन में है। फर्जी एनओसी की शर्तो के मुताबिक भी बिल्डिंग निर्माण के लिए हाईवे के मध्य से 45 मीटर जगह छोड़नी थी।
लेकिन जब एमएमआरडीए द्वारा मेज़रमेंट लिया गया तो बिल्डिंग की दूरी हाइवे के मध्य से 30 मीटर निकली। सुमुख हिल्स बिल्डिंग एनओसी के मुताबिक़ 15 मीटर और जीआर के मुताबिक़ 30 मीटर बफर झोन में है। दिनांक 24.3.2022 को पीडब्ल्यूडी विभाग ने एमएमआरडीए विभाग की रिपोर्ट को जोड़ते हुए एसआरए को पत्र लिख उचित एक्शन लेने को कहा लेकिन इसे दरकिनार कर एसआरए ने इमारत को दिसंबर 2022 में फाइनल ओसी दे दी।
पूर्व सीएम के नाम पर भी फ्रॉड
याचिका में आगे कहा गया है की इस स्कीम में तत्कालीन मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख के नाम पर भी फर्जीवाड़ा किया गया है। कलेक्टर की रिपोर्ट के आधार पर स्कीम की शुरुवात में ही राजस्व विभाग ने इस स्कीम पर स्टे लगा दिया था। साथ ही कलक्टर को 15 दिनों के अंदर जाँच कर रिपोर्ट सब्मिट करने के आदेश दिए गए। इस स्टे को हटाने के लिए योगसिद्धि डेवलपर द्वारा अपने लेटरहैड पर तत्कालीन मुख्यमंत्री विलास राव देशमुख को पत्र लिखा गया। इसी पत्र पर तत्कालीन एसआरए सीईओ की नोटिंग है। बाद में सीएम के निर्देश के बाद प्रोजेक्ट पर लगा स्टे हटा दिया जाता है। लेकिन याचिका में दावा किया गया है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री ने ऐसा कोई निर्देश दिया ही नहीं था।
हाऊसिंग विभाग और खुद एसआरए ने आरटीआई में इस बात की जानकारी दी है। जिसके मुताबिक उनके पास तत्कालीन मुख्यमंत्री के निर्देश का ऐसा कोई रिकॉर्ड नहीं है। ऐसे में हाईवे एनओसी की तरह , तत्कालीन सीएम के भी फ़र्ज़ी निर्देशों का इस्तेमाल स्कीम के लिए किया गया। फरवरी 2008 में स्कीम को सीसी दी गई। यह सीसी योगेश कदम के नाम जारी की गई थी।
फायर एनओसी औऱ पर्यावरण नियमों का उल्लंघन
याचिका में कहा गया है कि इमारत में रह रहे हजारों लोगो की सुरक्षा के साथ भी योगसद्धि डेवलपर और अधिकारियों ने मिलकर खिलवाड़ किया है। इस प्रोजेक्ट को सबसे पहले 10.3.2013 के दिन प्रोविजनल फायर एनओसी जारी की गई थी। यह एनओसी इस शर्त पर जारी हुई थी कि इमारत के वेस्ट साइड में 18 मीटर चौड़ी डीपी रोड है। इसके बाद समय समय पर प्रोजेक्ट को स्टेज वाइज फायर एनओसी जारी हुई। दिनांक 10.8.2021 के दिन प्रोजेक्ट के लिए फायर विभाग द्वारा फाइनल फायर एनओसी जारी की गई। इस एनओसी के लिए फायर विभाग अधिकारी ने 21.6.2021 और 23.7.2021 के दिन प्रोजेक्ट का निरक्षण किया और अपने इंस्पेक्टिंग रिपोर्ट में फायर अधिकारी ने झूठी जानकारी दी कि प्रोजेक्ट के वेस्ट साइड में 18 मीटर चौड़ी डीपी रोड मौजूद है। याचिका में इंस्पेक्शन के 12 दिन बाद के डीपी रोड की तस्वीर और डीपी रोड के चौड़ाई के संदर्भ में इंडिपेंडेंट आर्किटेक्ट की रिपोर्ट जोड़ी गई है।
जिसके मुताबिक़ डीपी रोड की चौड़ाई 5 से 6 मीटर ही है। याचिका में कहा गया है की मात्र 5 से 6 मीटर चौड़ी सड़क होने के बावजूद फायर विभाग के इंस्पेक्शन अफसर ने डीपी रोड के चौड़ाई की झूटी जानकारी अपने रिपोर्ट में लिखी। जिसके आधार पर फाइनल फायर एनओसी जारी की गई। इसके अलावा प्रोजेक्ट के साउथ साइड में भी फायर के ओपन स्पेस को गॉर्डन में तब्दील किया गया है।
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