महापौर, सभापतियों की मनमानी पर सरकार ने कसा शिकंजा..पढ़ें पूरा मामला | government tightened the noose on the arbitrariness of mayor-Chairman | Patrika News h3>
Rajasthan Government
जयपुर
Published: April 23, 2022 07:47:01 pm
जयपुर। प्रशासन शहरों के संग अभियान के लिए राज्य सरकार ने एक बार फिर कई तरह की छूट और रियायतों का पिटारा खोल दिया है। नियम-कायदों की पालना नहीं करने वालों को भी उपकृत करने की राह खोली गई है। इसके तहत बैंक में गिरवी लीज होल्ड पट्टों को फ्री होल्ड पट्टा लेने की राह खोल दी है। इसके अलावा शहरी क्षेत्रों में स्थित कृषि भूमि के लिए भी पट्टा मिल सकेगा। लंबित मामलों के निस्तारण के लिए अब स्थानीय एम्पावर्ड कमेटी को भी अधिकार दे दिए हैं। पुरानी आबादी के पट्टे देने को लेकर भी स्पष्टीकरण जारी किया गया है। नगरीय विकास विभाग और स्वायत्त शासन विभाग ने इसके आदेश जारी कर दिए हैं।
1. पुरानी आबादी पर फोकस :-
पुरानी आबादी के पट्टे देने को लेकर स्पष्टीकरण जारी किया है। पट्टा लेने के लिए आवेदक 31 दिसम्बर 2018 से पहले के दस्तावेज के रूप में बिजली-पानी के बिल, वोटर लिस्ट, हाउस टैक्स या यूडी टैक्स की रसीद, पड़ौस में रहने वाले दो व्यक्तियों के शपथ पत्र पेश किए जा सकेंगे। शपथ पत्र में दोनों व्यस्क व्यक्तियों की फोटो होगी।कोई भी दो दस्तावेज के आधार पर फ्री होल्ड पट्टा मिल सकेगा।
महापौर, सभापतियों की मनमानी पर सरकार ने कसा शिकंजा..पढ़ें पूरा मामला
2. निकायों प्रमुख की मनमानी पर शिकंजा :-
लंबित मामलों के निस्तारण का अधिकारी अब स्थानीय एम्पावर्ड कमेटी को भी दे दिया है। कमेटी भू उपयोग परिवर्तन के फैसले ले सकेगी। जिन निकायों में कमेटी की बैठक नहीं होने के कारण मामले अटके हैं, वहां निकाय अधिकारी की अध्यक्षता में बैठक हो सकेगी। पट्टे पर निकाय प्रमुख के हस्ताक्षर के लिए 15 दिन के बजाय केवल 3 दिन ही रुकना होगा। इस समय सीमा में निकाय प्रमुख हस्ताक्षर नहीं करते हैं तो निकाय अधिकारी अपने हस्ताक्षर से पट्टा जारी कर सकेंगे।
3. शर्तों का उल्लंघन कर बिके भूखंड का भी नामांतरण :-
शर्तों का उल्लंघन कर बिके भूखंडों को लेकर छूट दी गई है। इनमें निकायों की योजनाओं के ईडब्ल्यूएएस व एलआईजी वर्ग के भूखंड शामिल हैं। इन भूखंडों के नामांतरण करने की छूट दी गई है। ऐसे भूखंडों को नहीं बेचने की शर्त पर आवंटन किया गया था। इसके बावजूद रजिस्ट्री के माध्यम से कई भूखंडों बेचान कर दिया गया। अब अभी तक इनका नामांतरण पर रोक थी, लेकिन अब हो सकेगा।
4. मौका-मुआयने पर सख्ती से पाबंदी :-
भूखंडों के उप विभाजन और पुनर्गठन की प्रक्रिया के दौरान अधिकारियों द्वारा मौका-मुआयना करने पर सख्ती से पाबंदी लगा दी है। मौके की स्थिति के लिए गूगल प्लान या मौके के मानचित्र या फोटोग्राफ या स्वप्रमाणित शपथ पत्र के आधार पर काम किया जा सकेगा। इसके बाद राशि लेकर फ्री होल्ड पट्टा जारी किया जा सकेगा
5. बिना ले-आउट प्लान स्वीकृति के पट्टा :-
शहरी क्षेत्रों में स्थित कृषि भूमि के लिए पट्टा मिल सकेगा। इसके लिए खातेदार, किसान को 90ए के तहत आवेदन करना होगा। इसके लिए निकायों को लेआउट प्लान स्वीकृत करने की आवश्यकता नहीं होगी। बाद में जब कभी क्षेत्र का लेआउट प्लान स्वीकृत किया जाएगा, तब सड़कों का निर्धारण कर पट्टा समायोजित किया जाएगा।
6. लेआउट परीक्षण का अधिकारी बांटा :-
जिन निकायों में नगर नियोजक उपलब्ध नहीं होंगे, वहां कॉलोनियों के लेआउट प्लान के परीक्षण के लिए निकाय के वरिष्ठतम अभियंता और नगर नियोजक सहायक या वरिष्ठ प्रारूपकार या कनिष्ठ प्रारूपकार तकनीकी परीक्षण के लिए अधिकृत होंगे। अभी कई निकायों में नगर नियोजक उपलब्ध नहीं होने से पट्टे जारी नहीं हो पा रहे हैं।
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जयपुर
Published: April 23, 2022 07:47:01 pm
1. पुरानी आबादी पर फोकस :-
पुरानी आबादी के पट्टे देने को लेकर स्पष्टीकरण जारी किया है। पट्टा लेने के लिए आवेदक 31 दिसम्बर 2018 से पहले के दस्तावेज के रूप में बिजली-पानी के बिल, वोटर लिस्ट, हाउस टैक्स या यूडी टैक्स की रसीद, पड़ौस में रहने वाले दो व्यक्तियों के शपथ पत्र पेश किए जा सकेंगे। शपथ पत्र में दोनों व्यस्क व्यक्तियों की फोटो होगी।कोई भी दो दस्तावेज के आधार पर फ्री होल्ड पट्टा मिल सकेगा।
महापौर, सभापतियों की मनमानी पर सरकार ने कसा शिकंजा..पढ़ें पूरा मामला
2. निकायों प्रमुख की मनमानी पर शिकंजा :-
लंबित मामलों के निस्तारण का अधिकारी अब स्थानीय एम्पावर्ड कमेटी को भी दे दिया है। कमेटी भू उपयोग परिवर्तन के फैसले ले सकेगी। जिन निकायों में कमेटी की बैठक नहीं होने के कारण मामले अटके हैं, वहां निकाय अधिकारी की अध्यक्षता में बैठक हो सकेगी। पट्टे पर निकाय प्रमुख के हस्ताक्षर के लिए 15 दिन के बजाय केवल 3 दिन ही रुकना होगा। इस समय सीमा में निकाय प्रमुख हस्ताक्षर नहीं करते हैं तो निकाय अधिकारी अपने हस्ताक्षर से पट्टा जारी कर सकेंगे।
3. शर्तों का उल्लंघन कर बिके भूखंड का भी नामांतरण :-
शर्तों का उल्लंघन कर बिके भूखंडों को लेकर छूट दी गई है। इनमें निकायों की योजनाओं के ईडब्ल्यूएएस व एलआईजी वर्ग के भूखंड शामिल हैं। इन भूखंडों के नामांतरण करने की छूट दी गई है। ऐसे भूखंडों को नहीं बेचने की शर्त पर आवंटन किया गया था। इसके बावजूद रजिस्ट्री के माध्यम से कई भूखंडों बेचान कर दिया गया। अब अभी तक इनका नामांतरण पर रोक थी, लेकिन अब हो सकेगा।
भूखंडों के उप विभाजन और पुनर्गठन की प्रक्रिया के दौरान अधिकारियों द्वारा मौका-मुआयना करने पर सख्ती से पाबंदी लगा दी है। मौके की स्थिति के लिए गूगल प्लान या मौके के मानचित्र या फोटोग्राफ या स्वप्रमाणित शपथ पत्र के आधार पर काम किया जा सकेगा। इसके बाद राशि लेकर फ्री होल्ड पट्टा जारी किया जा सकेगा
5. बिना ले-आउट प्लान स्वीकृति के पट्टा :-
शहरी क्षेत्रों में स्थित कृषि भूमि के लिए पट्टा मिल सकेगा। इसके लिए खातेदार, किसान को 90ए के तहत आवेदन करना होगा। इसके लिए निकायों को लेआउट प्लान स्वीकृत करने की आवश्यकता नहीं होगी। बाद में जब कभी क्षेत्र का लेआउट प्लान स्वीकृत किया जाएगा, तब सड़कों का निर्धारण कर पट्टा समायोजित किया जाएगा।
6. लेआउट परीक्षण का अधिकारी बांटा :-
जिन निकायों में नगर नियोजक उपलब्ध नहीं होंगे, वहां कॉलोनियों के लेआउट प्लान के परीक्षण के लिए निकाय के वरिष्ठतम अभियंता और नगर नियोजक सहायक या वरिष्ठ प्रारूपकार या कनिष्ठ प्रारूपकार तकनीकी परीक्षण के लिए अधिकृत होंगे। अभी कई निकायों में नगर नियोजक उपलब्ध नहीं होने से पट्टे जारी नहीं हो पा रहे हैं।
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