महाकुंभ में ग्रीस की पेनेलोप ने 7 फेरे लिए: दिल्ली के योग गुरु सिद्धार्थ के साथ शादी की, जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर ने कन्यादान किया h3>
प्रयागराजकुछ ही क्षण पहले
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महाकुंभ में भारतीय और ग्रीस सांस्कृतिक विरासत का एक विशेष संगम देखने को मिला। ग्रीस की पेनेलोप और भारत के सिद्धार्थ शिव खन्ना ने महाकुंभ के दौरान शादी की। 26 जनवरी को पेनेलोप के लिए कन्यादान का काम जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर यतींद्रानंद गिरि ने दुल्हन की मां और अन्य रिश्तेदारों की मौजूदगी में किया।
सिद्धार्थ शिव खन्ना नई दिल्ली के वेस्ट पंजाबी बाग के रहने वाले हैं, जो कई देशों में जाकर योग सिखाते हैं। पेनेलोप एथेंस में एक विश्वविद्यालय से टूरिज्म मैनेजमेंट से ग्रेजुएट हैं। योग की तरफ उनका रुझान बढ़ा। उन्होंने स्थानीय जिम में योग की ट्रेनिंग लेना शुरू की। इसके बाद वो योग सीखने थाईलैंड चली गईं। यहीं पर उनकी मुलाकात 9 साल पहले सिद्धार्थ से हुई थी।
पेनेलोप बोलीं- दुल्हन के नाते भारतीय शादी का अनुभव लिया सिद्धार्थ ने ANI से बातचीत में कहा कि उन्होंने शादी को “सबसे प्रामाणिक तरीके” से करने का फैसला किया था। प्रयागराज इस समय अपनी दिव्य प्रकृति के लिए विश्व में सबसे अच्छी जगह है। यहां सभी प्रकार की दिव्यता, तीर्थस्थल सबकुछ मौजूद है। हम महाराज जी (स्वामी यतींद्रानंद गिरि) से मिले। उनका आशीर्वाद प्राप्त हुआ और हम-दोनों 7 जन्मों के बंधन में बंध गए।
पेनेलोप ने अपने जीवन के नए अध्याय और एक नई संस्कृति को अपनाने के बारे में खुलकर बात की और अपने अनुभव को बताया। पेनेलोप ने कहा- कभी किसी भारतीय शादी में शामिल नहीं हुई थी, लेकिन दुल्हन होने के नाते उन्होंने खुद एक भारतीय शादी का अनुभव किया।
नई दिल्ली के सिद्धार्थ शिव खन्ना और ग्रीस की पेनेलोप की मुलाकात 9 साल पहले थाईलैंड में हुई थी।
दिव्य और आध्यात्मिक तरीके से शादी हुई तो अच्छा लगा पेनेलोप बताती हैं कि जब सिद्धार्थ ने उनसे पूछा कि उन्हें भारत में शादी करनी चाहिए या ग्रीस में, तो उसने भारत का विकल्प चुना। कुछ चीजें हैं जो पिछले कुछ वर्षों में बदल रही हैं। जैसे कि शादियों में अब शराब पीने का शौक शुरू हो गया है। लेकिन, हमारी शादी एक अलग, दिव्य और आध्यात्मिक तरीके से हुई। बहुत अच्छा लगा।
जूना अखाड़े में शादी के बाद हाथों की मेहंदी दिखाते सिद्धार्थ शिव खन्ना, साथ में पत्नी पेनेलोप।
मौनी अमावस्या पर संगम में डुबकी लगाऊंगी : पेनेलोप सनातन धर्म के साथ अपनी यात्रा के बारे में बताते हुए पेनेलोप ने कहा- वह खुशहाल और अच्छे जीवन के लिए प्रयास कर रही थीं। वह पहले बौद्ध धर्म से जुड़ी थीं। मैंने महसूस किया कि सनातन धर्म ही मेरे लिए खुशहाल जीवन जीने और जन्म-पुनर्जन्म के इस चक्र से परे जाने का एक तरीका है। मेरे जीवन में जो कुछ भी हुआ, उसके दुख का समाधान ढूंढ रही थी।
जब पेनेलोप से पूछा गया कि क्या वह 29 जनवरी को मौनी अमावस्या पर संगम स्नान करेंगी, तो उन्होंने कहा- बेशक, मैं जरूर स्नान करूंगी। मुझे बहुत खुशी है कि मैं महाकुंभ की शुरुआत से यहां हूं, और मेरी मां भी साथ हैं।
स्वामी यतींद्रानंद की शिष्या रही पेनेलोप जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी यतींद्रानंद गिरि ने कहा- दंपती पिछले कुछ वर्षों से सनातन धर्म का अनुयायी हैं। सिद्धार्थ कई जगहों पर योग सिखाते हैं। 26 जनवरी को महाकुंभ के शिविर में हमने भारतीय परंपरा के अनुसार शादी समारोह किया। ग्रीस की पेनेलोप एक छात्रा, पिछले कुछ वर्षों से वह सनातन की हमारी परंपराओं को अपना रही है और शिव की भक्त है।
यतींद्रानंद गिरि ने कहा- सिद्धार्थ भी हमारा शिष्य है। वह योग का प्रचार करने और सनातन की सेवा करने के लिए विभिन्न देशों में गया है। इसलिए आज परंपराओं को ध्यान में रखते हुए सिद्धार्थ और पेनेलोप ने अग्नि फेरे लिए।
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एक बीघे में रसोई। 2000 सेवादार। कड़ाह ऐसे कि एक बार में डेढ़-दो क्विंटल चावल तैयार हो जाए। 25 से 30 हजार लोगों के लिए एक साथ सब्जी बन जाए। ये प्रयागराज महाकुंभ की सबसे बड़ी रसोई है। यहां से हर दिन तीन से साढ़े तीन लाख लोगों को मुफ्त भोजन कराया जा रहा है। ओम नमः शिवाय नाम से चर्चित लाल महेंद्र शिव शक्ति सेवा समिति कुंभ में आने वालों के लिए 24 घंटे भोजन की व्यवस्था कर रही है। पढ़ें पूरी खबर…
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सिद्धार्थ शिव खन्ना नई दिल्ली के वेस्ट पंजाबी बाग के रहने वाले हैं, जो कई देशों में जाकर योग सिखाते हैं। पेनेलोप एथेंस में एक विश्वविद्यालय से टूरिज्म मैनेजमेंट से ग्रेजुएट हैं। योग की तरफ उनका रुझान बढ़ा। उन्होंने स्थानीय जिम में योग की ट्रेनिंग लेना शुरू की। इसके बाद वो योग सीखने थाईलैंड चली गईं। यहीं पर उनकी मुलाकात 9 साल पहले सिद्धार्थ से हुई थी।
पेनेलोप बोलीं- दुल्हन के नाते भारतीय शादी का अनुभव लिया सिद्धार्थ ने ANI से बातचीत में कहा कि उन्होंने शादी को “सबसे प्रामाणिक तरीके” से करने का फैसला किया था। प्रयागराज इस समय अपनी दिव्य प्रकृति के लिए विश्व में सबसे अच्छी जगह है। यहां सभी प्रकार की दिव्यता, तीर्थस्थल सबकुछ मौजूद है। हम महाराज जी (स्वामी यतींद्रानंद गिरि) से मिले। उनका आशीर्वाद प्राप्त हुआ और हम-दोनों 7 जन्मों के बंधन में बंध गए।
पेनेलोप ने अपने जीवन के नए अध्याय और एक नई संस्कृति को अपनाने के बारे में खुलकर बात की और अपने अनुभव को बताया। पेनेलोप ने कहा- कभी किसी भारतीय शादी में शामिल नहीं हुई थी, लेकिन दुल्हन होने के नाते उन्होंने खुद एक भारतीय शादी का अनुभव किया।
नई दिल्ली के सिद्धार्थ शिव खन्ना और ग्रीस की पेनेलोप की मुलाकात 9 साल पहले थाईलैंड में हुई थी।
दिव्य और आध्यात्मिक तरीके से शादी हुई तो अच्छा लगा पेनेलोप बताती हैं कि जब सिद्धार्थ ने उनसे पूछा कि उन्हें भारत में शादी करनी चाहिए या ग्रीस में, तो उसने भारत का विकल्प चुना। कुछ चीजें हैं जो पिछले कुछ वर्षों में बदल रही हैं। जैसे कि शादियों में अब शराब पीने का शौक शुरू हो गया है। लेकिन, हमारी शादी एक अलग, दिव्य और आध्यात्मिक तरीके से हुई। बहुत अच्छा लगा।
जूना अखाड़े में शादी के बाद हाथों की मेहंदी दिखाते सिद्धार्थ शिव खन्ना, साथ में पत्नी पेनेलोप।
मौनी अमावस्या पर संगम में डुबकी लगाऊंगी : पेनेलोप सनातन धर्म के साथ अपनी यात्रा के बारे में बताते हुए पेनेलोप ने कहा- वह खुशहाल और अच्छे जीवन के लिए प्रयास कर रही थीं। वह पहले बौद्ध धर्म से जुड़ी थीं। मैंने महसूस किया कि सनातन धर्म ही मेरे लिए खुशहाल जीवन जीने और जन्म-पुनर्जन्म के इस चक्र से परे जाने का एक तरीका है। मेरे जीवन में जो कुछ भी हुआ, उसके दुख का समाधान ढूंढ रही थी।
जब पेनेलोप से पूछा गया कि क्या वह 29 जनवरी को मौनी अमावस्या पर संगम स्नान करेंगी, तो उन्होंने कहा- बेशक, मैं जरूर स्नान करूंगी। मुझे बहुत खुशी है कि मैं महाकुंभ की शुरुआत से यहां हूं, और मेरी मां भी साथ हैं।
स्वामी यतींद्रानंद की शिष्या रही पेनेलोप जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी यतींद्रानंद गिरि ने कहा- दंपती पिछले कुछ वर्षों से सनातन धर्म का अनुयायी हैं। सिद्धार्थ कई जगहों पर योग सिखाते हैं। 26 जनवरी को महाकुंभ के शिविर में हमने भारतीय परंपरा के अनुसार शादी समारोह किया। ग्रीस की पेनेलोप एक छात्रा, पिछले कुछ वर्षों से वह सनातन की हमारी परंपराओं को अपना रही है और शिव की भक्त है।
यतींद्रानंद गिरि ने कहा- सिद्धार्थ भी हमारा शिष्य है। वह योग का प्रचार करने और सनातन की सेवा करने के लिए विभिन्न देशों में गया है। इसलिए आज परंपराओं को ध्यान में रखते हुए सिद्धार्थ और पेनेलोप ने अग्नि फेरे लिए।
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