महाकुंभ में गूंजा किसानों का मुद्दा: शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने दिया धर्मादेश, कहा- संत समाज देगा शुद्ध अन्न का समर्थन मूल्य h3>
प्रयागराज17 मिनट पहले
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महाकुंभ नगर में आयोजित परम संसद के दौरान देश के किसानों की फसलों को उचित मूल्य न मिलने की समस्या पर गहन चर्चा हुई। ज्योतिष पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने इस मुद्दे पर गंभीर चिंता व्यक्त की। कहा कि अगर केंद्र सरकार किसानों को उनकी मेहनत का सही दाम देने में असफल रहती है, तो अब संत समाज उनके साथ खड़ा होगा।
शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा, “देश के किसानों की आर्थिक स्थिति दिन-प्रतिदिन बिगड़ती जा रही है। उनकी फसल का मूल्य निर्धारित करना और उसे सम्मानजनक दाम पर बेचना आज सबसे बड़ी चुनौती है। यदि सरकार इस समस्या का समाधान नहीं करती, तो संत समाज जैविक और शुद्ध अन्न का उत्पादन करने वाले किसानों का समर्थन करेगा।”
संत समाज खरीदेगा शुद्ध अन्न परम संसद में यह निर्णय लिया गया कि किसानों को रासायनिक खाद और जहरीले कीटनाशकों से दूर रहकर जैविक अन्न का उत्पादन करना चाहिए। संत समाज ने यह वादा किया कि शुद्ध अन्न उत्पादित करने वाले किसानों से उनकी फसलें मुंहमांगे दाम पर खरीदी जाएंगी। इससे किसानों की आय में बढ़ोतरी होगी और उन्हें आत्महत्या जैसी दुखद परिस्थितियों से बचाया जा सकेगा।
शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने इस बात पर जोर दिया कि किसानों को प्रेरित किया जाएगा कि वे जैविक खेती अपनाएं।
शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने इस बात पर जोर दिया कि किसानों को प्रेरित किया जाएगा कि वे जैविक खेती अपनाएं। साथ ही, संत समाज केंद्र सरकार से इस दिशा में ठोस कदम उठाने की मांग करेगा।
शुद्ध अन्न और जल पर जोर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा, “हमारे देश में शुद्ध अन्न और शुद्ध जल की उपलब्धता सबसे बड़ी समस्या बन गई है। सरकारी वादों के बावजूद शुद्ध खाद्य पदार्थ और पानी का अभाव चिंता का विषय है। यह जरूरी है कि हम भोजन की शुद्धता को प्राथमिकता दें, क्योंकि जैसा अन्न होगा, वैसा ही तन और मन बनेगा।”
धर्मादेश और किसानों के लिए प्रस्ताव परम संसद में एक धर्मादेश जारी किया गया, जिसमें कहा गया कि संत समाज किसानों को उनकी मेहनत का उचित दाम दिलाने के लिए आगे आएगा। इसके लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा जाएगा। यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि शुद्ध अन्न उत्पादकों को उनका मूल्य तय करने का अधिकार दिया जाए।
किसान नेताओं ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया और जैविक खेती को अपनाने का संकल्प लिया। संत समाज ने किसानों के साथ खड़े रहने और उनकी मेहनत का सही मूल्य दिलाने की बात दोहराई। महाकुंभ में संत समाज का यह कदम न केवल किसानों के हित में है, बल्कि यह समाज को शुद्ध और स्वस्थ जीवन जीने की दिशा में भी प्रेरित करेगा।
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प्रयागराज17 मिनट पहले
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महाकुंभ नगर में आयोजित परम संसद के दौरान देश के किसानों की फसलों को उचित मूल्य न मिलने की समस्या पर गहन चर्चा हुई। ज्योतिष पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने इस मुद्दे पर गंभीर चिंता व्यक्त की। कहा कि अगर केंद्र सरकार किसानों को उनकी मेहनत का सही दाम देने में असफल रहती है, तो अब संत समाज उनके साथ खड़ा होगा।
शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा, “देश के किसानों की आर्थिक स्थिति दिन-प्रतिदिन बिगड़ती जा रही है। उनकी फसल का मूल्य निर्धारित करना और उसे सम्मानजनक दाम पर बेचना आज सबसे बड़ी चुनौती है। यदि सरकार इस समस्या का समाधान नहीं करती, तो संत समाज जैविक और शुद्ध अन्न का उत्पादन करने वाले किसानों का समर्थन करेगा।”
संत समाज खरीदेगा शुद्ध अन्न परम संसद में यह निर्णय लिया गया कि किसानों को रासायनिक खाद और जहरीले कीटनाशकों से दूर रहकर जैविक अन्न का उत्पादन करना चाहिए। संत समाज ने यह वादा किया कि शुद्ध अन्न उत्पादित करने वाले किसानों से उनकी फसलें मुंहमांगे दाम पर खरीदी जाएंगी। इससे किसानों की आय में बढ़ोतरी होगी और उन्हें आत्महत्या जैसी दुखद परिस्थितियों से बचाया जा सकेगा।
शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने इस बात पर जोर दिया कि किसानों को प्रेरित किया जाएगा कि वे जैविक खेती अपनाएं।
शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने इस बात पर जोर दिया कि किसानों को प्रेरित किया जाएगा कि वे जैविक खेती अपनाएं। साथ ही, संत समाज केंद्र सरकार से इस दिशा में ठोस कदम उठाने की मांग करेगा।
शुद्ध अन्न और जल पर जोर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा, “हमारे देश में शुद्ध अन्न और शुद्ध जल की उपलब्धता सबसे बड़ी समस्या बन गई है। सरकारी वादों के बावजूद शुद्ध खाद्य पदार्थ और पानी का अभाव चिंता का विषय है। यह जरूरी है कि हम भोजन की शुद्धता को प्राथमिकता दें, क्योंकि जैसा अन्न होगा, वैसा ही तन और मन बनेगा।”
धर्मादेश और किसानों के लिए प्रस्ताव परम संसद में एक धर्मादेश जारी किया गया, जिसमें कहा गया कि संत समाज किसानों को उनकी मेहनत का उचित दाम दिलाने के लिए आगे आएगा। इसके लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा जाएगा। यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि शुद्ध अन्न उत्पादकों को उनका मूल्य तय करने का अधिकार दिया जाए।
किसान नेताओं ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया और जैविक खेती को अपनाने का संकल्प लिया। संत समाज ने किसानों के साथ खड़े रहने और उनकी मेहनत का सही मूल्य दिलाने की बात दोहराई। महाकुंभ में संत समाज का यह कदम न केवल किसानों के हित में है, बल्कि यह समाज को शुद्ध और स्वस्थ जीवन जीने की दिशा में भी प्रेरित करेगा।