मरीजों पर कहर बरपाने लगी है डॉक्टरों की हड़ताल h3>
दरभंगा। डीएमसीएच में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल मरीजों पर कहर बरपाने लगी है। मंगलवार को भी ओपीडी में ताला बंद रहने के कारण सैकड़ों मरीजों को इलाज बिना वहां से लौटना पड़ा। मरीजों का दर्द उनके चेहरे पर साफ-साफ झलक रहा था। कोई तेज बुखार से पीड़ित था तो पेट दर्द से किसी का बच्चा छटपटा रहा था। कोई इलाज के लिए कुशेश्वरस्थान से पहुंचा था तो कोई किसी अन्य दूर-दराज इलाके से। बसुआरा की सुनीता देवी ने बताया कि वे तेज बुखार से ग्रसित हैं। गांव में इलाज कराया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। बहुत उम्मीद से डीएमसीएच आए थे। यहां से मायूस लौटना पड़ रहा है। कादिराबाद की जमीला खातून ने बताया कि चार दिनों से तेज बुखार से ग्रसित हैं। इलाज के बिना दो दिनों से लौट रहे हैं। बेलवागंज की शांति देवी ने बताया कि उनकी बेटी को बार- बार उल्टियां हो रही हैं। पेट दर्द से वह बेचैन है। उसके इलाज के लिए इमरजेंसी की ओर जा रहे थे। सुरक्षा गार्ड ने परिसर के गेट से ही लौटा दिया। इनके अलावा सिमरा की भारती देवी, महापारा के अजीत लाल देव, लहेरियासराय उर्दू की हाजरा खातून, भीगो की रीना देवी आदि दर्जनों मरीजों को ओपीडी के बंद रहने से मायूस होकर लौटना पड़ा।
बता दें कि डीएमसीएच के सेंट्रल ओपीडी में रोज अनुमान दो हजार मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं। हड़ताल की वजह से मरीजों की संख्या कम हो गई है। बावजूद इसके मंगलवार को सात सौ से अधिक इलाज के लिए पहुंचे। इस उम्मीद से कि ओपीडी का ताला खुल गया होगा। हालांकि यहां पहुंचने पर उन्हें मायूसी हाथ लगी। हड़ताल की वजह से डीएमसीएच के ओपीडी में ताला लटका रहा। इमरजेंसी विभाग में वरीय चिकित्सकों ने कमान संभाल रखी है। इमरजेंसी के अलावा विभिन्न विभागों में मरीजों के इलाज के लिए चिकित्सकों को तैनात किया गया है। हड़ताल के चलते पिछले चार दिनों से सर्जरी और ऑर्थोपेडिक ओटी में भी काम ठप है। कई मरीज ऑपरेशन के इंतजार में वार्ड में पड़े हैं।
विभागों से मरीजों का पलायन जारी
हड़ताल की वजह से विभिन्न विभागों से मरीजों का पलायन जारी है। मेडिसिन विभाग में कई वार्ड पूरी तरह खाली हो गए हैं। सोमवार को अस्पताल में 328 मरीज इलाजरत थे। उनकी संख्या घटकर 298 हो गई है। पिछले 24 घंटे के दौरान अस्पताल में 58 मरीजों का दाखिला लिया गया। वहीं 85 मरीजों को डिस्चार्ज किया गया। अपनी मांगों के समर्थन में जूनियर डॉक्टर इमरजेंसी परिसर में पूरे दिन धरने पर बैठे रहे। उन लोगों ने एक टूक कह दिया है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं की जाती है, तब तक वे काम पर नहीं लौटेंगे।
चार दिनों में 16 मरीजों की हुई मौत
डीएमसीएच में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल से गरीब व लाचार मरीजों की फजीहत हो रही है। हड़ताल के दौरान पिछले चार दिनों में डीएमसीएच के विभिन्न विभागों में 16 मरीजों की मौत हो चुकी है। हालांकि उपाधीक्षक डॉ. हरेंद्र कुमार ने बताया कि इमरजेंसी विभाग के अलावा विभिन्न वार्डों में मरीजों का समुचित इलाज चल रहा है। इलाज के लिए आईसीसीयू और विभिन्न वार्डों में चिकित्सक तैनात हैं। जिन मरीजों की मौत हुई है उनकी स्थिति बेहद गंभीर थी। इलाज में किसी तरह की कोताही नहीं बरती जा रही है।
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दरभंगा। डीएमसीएच में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल मरीजों पर कहर बरपाने लगी है। मंगलवार को भी ओपीडी में ताला बंद रहने के कारण सैकड़ों मरीजों को इलाज बिना वहां से लौटना पड़ा। मरीजों का दर्द उनके चेहरे पर साफ-साफ झलक रहा था। कोई तेज बुखार से पीड़ित था तो पेट दर्द से किसी का बच्चा छटपटा रहा था। कोई इलाज के लिए कुशेश्वरस्थान से पहुंचा था तो कोई किसी अन्य दूर-दराज इलाके से। बसुआरा की सुनीता देवी ने बताया कि वे तेज बुखार से ग्रसित हैं। गांव में इलाज कराया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। बहुत उम्मीद से डीएमसीएच आए थे। यहां से मायूस लौटना पड़ रहा है। कादिराबाद की जमीला खातून ने बताया कि चार दिनों से तेज बुखार से ग्रसित हैं। इलाज के बिना दो दिनों से लौट रहे हैं। बेलवागंज की शांति देवी ने बताया कि उनकी बेटी को बार- बार उल्टियां हो रही हैं। पेट दर्द से वह बेचैन है। उसके इलाज के लिए इमरजेंसी की ओर जा रहे थे। सुरक्षा गार्ड ने परिसर के गेट से ही लौटा दिया। इनके अलावा सिमरा की भारती देवी, महापारा के अजीत लाल देव, लहेरियासराय उर्दू की हाजरा खातून, भीगो की रीना देवी आदि दर्जनों मरीजों को ओपीडी के बंद रहने से मायूस होकर लौटना पड़ा।
बता दें कि डीएमसीएच के सेंट्रल ओपीडी में रोज अनुमान दो हजार मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं। हड़ताल की वजह से मरीजों की संख्या कम हो गई है। बावजूद इसके मंगलवार को सात सौ से अधिक इलाज के लिए पहुंचे। इस उम्मीद से कि ओपीडी का ताला खुल गया होगा। हालांकि यहां पहुंचने पर उन्हें मायूसी हाथ लगी। हड़ताल की वजह से डीएमसीएच के ओपीडी में ताला लटका रहा। इमरजेंसी विभाग में वरीय चिकित्सकों ने कमान संभाल रखी है। इमरजेंसी के अलावा विभिन्न विभागों में मरीजों के इलाज के लिए चिकित्सकों को तैनात किया गया है। हड़ताल के चलते पिछले चार दिनों से सर्जरी और ऑर्थोपेडिक ओटी में भी काम ठप है। कई मरीज ऑपरेशन के इंतजार में वार्ड में पड़े हैं।
विभागों से मरीजों का पलायन जारी
हड़ताल की वजह से विभिन्न विभागों से मरीजों का पलायन जारी है। मेडिसिन विभाग में कई वार्ड पूरी तरह खाली हो गए हैं। सोमवार को अस्पताल में 328 मरीज इलाजरत थे। उनकी संख्या घटकर 298 हो गई है। पिछले 24 घंटे के दौरान अस्पताल में 58 मरीजों का दाखिला लिया गया। वहीं 85 मरीजों को डिस्चार्ज किया गया। अपनी मांगों के समर्थन में जूनियर डॉक्टर इमरजेंसी परिसर में पूरे दिन धरने पर बैठे रहे। उन लोगों ने एक टूक कह दिया है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं की जाती है, तब तक वे काम पर नहीं लौटेंगे।
चार दिनों में 16 मरीजों की हुई मौत
डीएमसीएच में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल से गरीब व लाचार मरीजों की फजीहत हो रही है। हड़ताल के दौरान पिछले चार दिनों में डीएमसीएच के विभिन्न विभागों में 16 मरीजों की मौत हो चुकी है। हालांकि उपाधीक्षक डॉ. हरेंद्र कुमार ने बताया कि इमरजेंसी विभाग के अलावा विभिन्न वार्डों में मरीजों का समुचित इलाज चल रहा है। इलाज के लिए आईसीसीयू और विभिन्न वार्डों में चिकित्सक तैनात हैं। जिन मरीजों की मौत हुई है उनकी स्थिति बेहद गंभीर थी। इलाज में किसी तरह की कोताही नहीं बरती जा रही है।