मध्यप्रदेश में फैल रही अशांति! पिछले 6 महीने में हुए 479 दंगे | Unrest in Madhya Pradesh, 479 riots took place in last 6 months polit | Patrika News

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मध्यप्रदेश में फैल रही अशांति! पिछले 6 महीने में हुए 479 दंगे | Unrest in Madhya Pradesh, 479 riots took place in last 6 months polit | Patrika News

मध्यप्रदेश में फैल रही अशांति! पिछले 6 महीने में हुए 479 दंगे | Unrest in Madhya Pradesh, 479 riots took place in last 6 months polit | Patrika News

रामनवमी पर राज्य के खरगोन और बड़वानी जिले में दो गुटों में हुई हिंसक झड़प और आगजनी के बाद मध्य प्रदेश देश भर में सुर्खियों का केंद्र बना रहा। इन सांप्रदायिक दंगों के बाद हालात अब सामान्य हो चुके हैं ,लेकिन रामनवमी पर हुए दंगे के जख्म अभी भी लोगों के दिलों में ताजा हैं। गंगा जमुनी तहजीब वाले मालवा में आने वाले खरगोन और बड़वानी में जिस तरह से सांप्रदायिक सौहार्द को तार-तार कर दिया गया इसका असर लंबे समय तक रह सकता है।

मालवा में यह कोई पहला मौका नहीं था जब इस तरह की सांप्रदायिक झड़प देखी गई। पिछले साल भी उज्जैन में हिंदूवादी संगठनों की रैली के दौरान हिंसा और पथराव की घटना देखी गई थी। उस वक्त सूबे के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने पहली बार ऐलान किया था कि, जिस घर से पत्थर आए हैं उस घर के पत्थर निकाल दिए जाएंगे। उज्जैन की इस घटना के बाद संभवत मध्य प्रदेश में पहली बार आरोपियों के घर को बुलडोजर से जमीनदोज किया गया था।

इंटेलिजेंस रिपोर्ट इस बात का दावा करती है कि हिंसा को लेकर पहले से प्लानिंग की गई थी और एक प्लान के तहत घटना को अंजाम दिया गया था । इस मामले में इंटेलिजेंस, जमाते मुजाहिद्दीन और सिमी जैसे संगठनों के तार खंगाल रही है। वही खरगोन हिंसा के तार कट्टरवादी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी ’पीएफआई’ से भी जुड़ते दिखाई दे रहे है। पीएफआई वही संगठन है जिसके तार दिल्ली दंगों से भी जुड़े रहे हैं। इसके अलावा दिल्ली में सीएए के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हुए दंगों में भी पीएफआई का ही नाम सामने आया था।

इंदौर सांप्रदायिक दंगा
29 दिसंबर 2020 को चांदन खेड़ी गांव में राम मंदिर के लिए चंदे का आह्वाहन करने निकले हिंदू संगठनों की रैली पर पथराव का मामला देखते ही देखते सांप्रदायिक दंगे की शक्ल में बदल गया। मामला इतना बड़ा होता गया की देश भर में इसकी चर्चा शुरू हो गई।इस दंगे में प्रशासन ने कार्यवाही करते हुए 24 लोगों के गिरफ्तार किया और 12 घरों को अवैध बताते हुए उसे तोड़ दिया।

दरअसल हिंदू संगठनों की रैली को धर्मांठ गांव से शुरू होकर आगे के कनवास गांव तक जाना था। बीच में चांदन खेड़ी गांव पड़ता है, यहां मुसलमान आबादी अधिक है। रैली के दौरान यहां धार्मिक नारे लगाए जा रहे थे। जिसके बाद अचानक रैली पर पत्थरबाजी शुरू हो गई, धीरे धीरे मामला दंगे की शक्ल में बदल गया। पत्थरबाजी, आगजनी और ताबड़तोड़ लाठियों के वार शुरू हो गए जिसमे में कई लोग घायल हुए। इस मामले में हिंदू पक्ष और मुस्लिम पक्ष के अलग अलग तर्क है।

उज्जैन सांप्रदायिक हिंसा
उज्जैन, महाकाल मंदिर के लिए विश्व प्रसिद्ध है 25 दिसंबर 2020 को भारतीय जनता युवा मोर्चा की रैली के दौरान यहां भी हिंसा हुई थी। यहां का बेगमबाग इलाका जो महाकाल मंदिर के ठीक पीछे पड़ता है यहां नाले के करीब पट्टे की जमीन पर कच्ची बस्ती है, जहां पर अधिकतर मुस्लिम आबादी रहती है।

यहां पर हुए हिंसा का कारण भी रैली के दौरान हुई नारे बाजी और पथराव ही था। पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक इस पथराव में 18 लोग घायल हुए जो रैली में शामिल थे। इस मामले में पुलिस ने 18 लोगों को गिरफ्तार किया था , जिनमें से 5 पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्यवाही की गई है। घटना का वीडियो सामने आने के बाद उज्जैन प्रशासन ने उन घरों को तोड़ दिया है जिसमें महिलाएं पत्थर फेंकते हुए दिखाई दे रही थी।

भोजशाला में 1935 चल रहा मंदिर मस्जिद विवाद
भोजशाला में नमाज और पूजा की व्यवस्था आजादी से पहले शुरू हुई थी ।1953 में धार स्टेट दरबार के दीवाना डर ने शुक्रवार को जुमे की नमाज अदा करने की अनुमति दी थी। जिसके बाद से भोजशाला को कमाल मौला की मस्जिद बताते हुए शुक्रवार को नमाज पढ़ने की अनुमति दी गई थी। इसके बाद से यहां पूजा के साथ-साथ नमाज भी अदा की जाने लगी। तब से लेकर आज तक यहां पूजा और नमाज पढ़ने को लेकर विवाद होता रहता है।

इन क्षेत्रों में रहा है बीजेपी का वर्चस्व
1990 के बाद से, जब भाजपा पहली बार मध्य प्रदेश की सत्ता में आई, मालवा और निमाड़ दोनों क्षेत्र इसके अजेय किले बन गए। लेकिन 2018 के विधानसभा चुनावों में यह किला ढह गया और कांग्रेस ने अपने प्रतिद्वंद्वी भाजपा के खिलाफ 28 सीटों और तीन निर्दलीय उम्मीदवारों के खिलाफ कुल 66 में से 35 सीटों पर जीत हासिल करने में सफल रही। 2018 से पहले, बीजेपी इस क्षेत्र में 2013 में 56, 2008 में 41 और 2003 में 51 सीटों के साथ बड़ी जीत हासिल कर रही थी। लेकिन 2018 में चुनावी हार के बावजूद, 2019 में यह की सभी आठ संसदीय क्षेत्रों में भाजपा ने जीत हासिल करने में कामयाब रही। 2013 से ये इन सभी सीटों पर भाजपा का परचम बुलंद रहा है।

2023 विधानसभा चुनाव की तैयारी
प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा और कांग्रेस दोनो ने जोर शोर से तैयारी शुरू कर दी है। गौरतलब है की 2011 की जनगणना के अनुसार मालवा और निमाड़ की कुल मुस्लिम आबादी 6.7% है । इन जगहों पर पिछले साल दोनों समुदायों के बीच सबसे अधिक टकराव दर्ज किया गया है। मालवा निमाड़ का सूबे की सियासत में अपना रसूख होता है। मध्यप्रदेश की 230 विधानसभा वाली सीटों में मालवा निमाड़ की 66 सीटों के चुनाव परिणाम ही तय करते हैं कि सत्ता में कौन बैठेगा। ऐसे में जब अगले साल मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं, तब भाजपा और कांग्रेस दोनों ही खरगोन हिंसा के बहाने अपना ध्रुवीकरण कार्ड खेलने में लगे हुए हैं।



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