मंदिर की जमीन पर विवाद लेकर संतों में आक्रोश: मंसूरपुर डिस्टलरी के खिलाफ आंदोलन की चेतावनी, कहा-‘ईंट से ईंट बजा देंगे’ – Muzaffarnagar News h3>
मुजफ्फरनगर के मंसूरपुर स्थित सर शादीलाल डिस्टलरी एंड केमिकल वर्क्स और ग्रामीणों के बीच मंदिर की जमीन को लेकर विवाद गहराता जा रहा है।
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ये मामला तब से चर्चा में है, जब तीन दिन पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान ने मंसूरपुर थाने में इस मुद्दे पर नाराजगी जताई थी। उनकी सुरक्षा वापस लिए जाने के बाद मामला और तूल पकड़ गया है। अब क्षेत्र के लोगों और संत समाज ने इस विवाद पर कड़ा रुख अपनाया है।
प्रशासन मामले को सुलझाने में नाकाम
गुरुवार को शुकतीर्थ स्थित सिद्ध पीठ माता पूर्णागिरी आश्रम में संत गोपाल दास महाराज की अगुवाई में संत समाज ने बैठक की। संतों ने स्पष्ट चेतावनी दी कि यदि डिस्टलरी और प्रशासन इस मामले को सुलझाने में नाकाम रहे और मंदिर एवं धर्मशाला की जमीन पर कब्जा जारी रहा तो वे बड़ा आंदोलन करेंगे। संतों ने कहा कि डिस्टलरी की ईंट से ईंट बजा दी जाएगी।
शुकतीर्थ स्थित सिद्ध पीठ माता पूर्णागिरी आश्रम में संत गोपाल दास महाराज की अगुवाई में संत समाज ने बैठक की।
19 जनवरी को एक बड़ी महापंचायत का ऐलान
संतों के साथ क्षेत्रीय लोगों ने आगामी 19 जनवरी को एक बड़ी महापंचायत का ऐलान किया है। इसे सफल बनाने के लिए व्यापक तैयारियां की जा रही हैं। संत समाज ने भी इस पंचायत को समर्थन देने का वादा किया है। उनका कहना है कि फिलहाल संत समाज के कई सदस्य प्रयागराज महाकुंभ में व्यस्त हैं। लेकिन महाकुंभ के बाद इस जमीन विवाद को लेकर बड़ा आंदोलन शुरू किया जाएगा।
ये विवाद साल 1960 में डिस्टलरी द्वारा खरीदी गई जमीन को लेकर है। संत समाज और स्थानीय लोगों का कहना है कि ये जमीन कर्मचारियों ने अपना एक दिन का वेतन देकर मंदिर और धर्मशाला के निर्माण के लिए खरीदी थी। उनका आरोप है कि कुछ लोग इस जमीन को कब्जा कर बेचने की साजिश कर रहे हैं।
संत गोपाल दास महाराज की अगुवाई में संत समाज ने बैठक की।
मंदिर और धर्मशाला के निर्माण की मांग
संतों ने कहा कि ये जमीन धर्म और समाज के लिए है। इसमें मंदिर और धर्मशाला का निर्माण होना चाहिए। इसे किसी अन्य उद्देश्य के लिए इस्तेमाल नहीं करने दिया जाएगा।
डिस्टलरी और प्रशासन की निष्क्रियता को लेकर संत समाज और स्थानीय लोग आक्रोशित हैं। उनका कहना है कि प्रशासन को मामले में जल्द से जल्द हस्तक्षेप करना चाहिए। अन्यथा आंदोलन करना उनकी मजबूरी होगी। उनका कहना है कि प्रशासन को मामले में जल्द से जल्द हस्तक्षेप करना चाहिए, अन्यथा आंदोलन करना उनकी मजबूरी होगी।