मंत्रीजी का गांव भी करता मिला पूरी दवाओं का इंतजार, लपकों की गिरफ्त में अब भी बड़े अस्पताल | rajasthan free treatment | Patrika News

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मंत्रीजी का गांव भी करता मिला पूरी दवाओं का इंतजार, लपकों की गिरफ्त में अब भी बड़े अस्पताल | rajasthan free treatment | Patrika News

मंत्रीजी का गांव भी करता मिला पूरी दवाओं का इंतजार, लपकों की गिरफ्त में अब भी बड़े अस्पताल | rajasthan free treatment | Patrika News

लोगो ने सोचा था..कि सब कुछ सहज तरीके से नि:शुल्क मिलता रहेगा।

जयपुर

Published: April 21, 2022 05:25:23 pm

जयपुर. राज्य के सरकारी अस्पतालों में एक अप्रेल से संपूर्ण इलाज निशुल्क किए जाने की घोषणा होने के साथ ही लोगों की उम्मीदें सातवें आसमां पर पहुंच गई। लोगो ने सोचा था..कि सब कुछ सहज तरीके से नि:शुल्क मिलता रहेगा। लेकिन मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद चिकित्सा विभाग की ओर से बिना तैयारी शुरू की गई यह योजना पहले 20 दिन में ही चित्त नजर आ रही है। जयपुर शहर के बड़े अस्पताल ही नहीं, बल्कि गांवों और यहां तक की चिकित्सा मंत्री परसादीलाल मीणा के क्षेत्र लालसोट के सरकारी अस्पतालों में भी मरीज बाहर से दवा खरीदते नजर आ रहे हैं।

राजस्थान पत्रिका संवाददाताओं ने प्रदेश के बड़े शहरों के सरकारी अस्पतालों के साथ ही चिकित्सा मंत्री के निर्वाचन क्षेत्र के अस्पताल का भी जायजा लिया। चौंकाने वाली बात यह है कि अस्पताल के अंदर ही सारी दवाइयां नि:शुल्क उपलब्ध कराने की निर्देश जारी होने के बावजूद लपके मरीजों और परिजनों की ओर लपक रहे हैं। मुख्यमंत्री की नसीहत और चिकित्सा मंत्री की पिछले दिनों दिखी सक्रियता के बावजूद सवाईमानसिंह अस्पताल में भी ये हालात नजर आए। इनकी गतिविधियों से चंद कदम दूरी पर ही पुलिस थाना व अस्पताल के प्रशासनिक अधिकारियों के चैंबर हैं।

मंत्रीजी के गांव के अस्पताल के हालात
स्थान : राजकीय उप जिला चिकित्सालय स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग भवन, लालसोट
समय : प्रात: 9.30 बजे
यहां अनीता के हाथ में दवा पर्ची थी। संवाददाता ने उससे अस्पताल में ही सभी दवाइयां अंदर ही मिलने के लिए पूछा तो उसने कहा कि एक दवा बाहर से लेने को कहा गया है, यह अंदर उपलब्ध नहीं थी। इसके बाद वह एक निजी मेडिकल स्टोर पर चली गई।

… समय : प्रात: 9.15 बजे
महेन्द्र सिंह ने कहा कि उन्हें सोनोग्राफी के लिए कहा है। लेकिन अंदर यह जांच नहीं है। करीब 500 मीटर दूर सरकारी अस्पताल के दूसरे भवन में जाने को कहा गया है। उसने कहा कि यहां स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग में सोनोग्राफी मशीन नहीं है।

स्थान
एसएमएस में अब भी जमकर लपकागिरी…प्रशासन बैठकों में मस्त ….
लपका ले गया निजी मेडिकल स्टोर स्थान : धन्वंतरि ओपीडी के बाहर दवा काउंटर
समय : दोपहर 12.30 बजे, दिनांक 18 अप्रेल

युवक— दवा चाहिए क्या, ये पर्ची पर जो लिखी है वह तो यहां नहीं मिलेगी
रिपोर्टर—अंदर तो यही कहा था बाहर मिलेगी
युवक— लाइफ लाइन में मिलेगी
रिपोर्टर—ठीक है वहां से ले लेता हूं
युवक— चलो मैं दिलवा देता हूं
रिपोर्टर—लाइफ लाइन से दिलवाओेगे
युवक— हां, चलो मेरे साथ
इसके बाद युवक एक निजी मेडिकल स्टोर की ओर लेकर गया, इस दौरान उसने 20 फीसदी सस्ती दवाएं दिलवाने की जानकारी दी। इसके बाद वार्ड से कॉल आने की बात कहकर टीम वहां से निकल गई।
युवक— अपना कार्ड देते हुए, आप वार्ड से फोन कर देना, वहीं दवाएं उपलब्ध करवा देंगे।

… स्थान: पुरानी इमरजेंसी के नजदीक
युवक— क्या चाहिए, दवाएं, मेरे साथ आओ सस्ती दवा दिलवाता हूं
रिपोर्टर—क्या ये अंदर नहीं मिलेगी
युवक— पर्ची देखकर..यह बाहर से मिलेगी, मेरे साथ चलो बेसमेंट में एक मेडिकल स्टोर पर ले जाकर
मेडिकल स्टोर संचालक— ये दोनों दवा की डोज करीब 6 हजार की आएगी
रिपोर्टर— क्या अंदर नहीं मिलेगी
स्टोर संचालक— नहीं ये दवा कम काम आती है यदि आपके उपयोग नहीं आए तो वापस ले लेगें
रिपोर्टर— महंगी है ये तो
स्टोर संचालक— नहीं अंदर से भी सस्ती दे रहे हैं
रिपोर्टर— ठीक है पैसे लेकर आता हूं
युवक— मोबाइल नंबर देते हुए आप कॉल कर देना वार्ड में दवा पहुंचा देंगे। जीएसटी भी नहीं लगेगा।

… इस तरह फेल हुआ सरकार का तंत्र 1. सरकार की नि:शुल्क दवा सूची में अभी करीब 1 हजार दवाइयां ही शामिल, शेष दवाइयां आसानी से खरीदकर मरीजों को देने का आसान सिस्टम अस्पतालों के पास नहीं
2. एक अप्रेल से ओपीडी-आईपीडी फ्री करने के साथ ही चिरंजीवी योजना का दायरा भी बढा दिया है, लेकिन अस्पतालों में इससे पहले संसाधन नहीं बढ़ाए
3. संसाधन बढ़ाना तो दूर योजना का ड्राय रन शुरू करने से पहले भी अस्पतालों से आवश्यकताएं नहीं मांगी गई
4. योजना शुरू करने से एक दिन पहले एक आदेश जारी कर अगले ही दिन से सब कुछ नि:शुल्क करने की घोषणा कर दी गई, इस जल्दबाजी में अस्पताल तैयारियां ही नहीं कर पाए
. व्यवस्थाएं सुधारने के लिए फिर से बड़े डॉक्टरों को जिम्मेदारी, बुधवार को भी कई मरीज ऐसे डॉक्टरों को ढूंढते रहे

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