भोपाल गैस कांड पीड़ितों को झटका, अतिरिक्त मुआवजा का निर्देश देने से कोर्ट का इनकार
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एसके कौल की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि क्यूरेटिव पिटिशन को को स्वीकार नहीं किया जा सकता है और अर्जी खारिज कर दी। भोपाल गैस कांड में पीड़ितों को अतिरिक्त मुआवजा देने के लिए केंद्र सरकार की क्यूरेटिव पिटिशन पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 12 जनवरी को फैसला सुरक्षित रख लिया था, इस मामले में केंद्र सरकार ने 2010 में यूनियन कारबाईट कॉरपोरेशन के खिलाफ क्यूरेटिव पिटिशन दाखिल कर अतिरिक्त मुआवजा की मांग की थी।
क्यूरेटिव पिटिशन दाखिल की गई थी
यूनियन कारबाइट कंपनी के उत्तराधिकारी फर्म ने कहा कि अगर रुपये का मूल्य कम हो जाए तो यह मुआवजा राशि को बढ़ाए जाने का आधार नहीं हो सकता है। उत्तराधिकारी कंपनी की ओर से दलील दी गई थी कि 1989 में इस मामले में कंपनी और केंद्र सरकार के बीच मुआवजा राशि के लिए सेटलमेंट हुआ था। उसके बाद रुपये के मूल्य में गिरावट आई और यह मुआवजा राशि में बढ़ोतरी का आधार नहीं हो सकता है। केंद्र सरकार ने यूनियन कारबाइट कंपनी से 7844 करोड़ अतिरिक्त रकम मुआवजे के तौर पर मांगते हुए क्यूरेटिव पिटिशन दाखिल की थी।
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गैस त्रासदी में तीन हजार लोगों की हुई थी मौत
भोपाल गैस कांड में 3 हजार लोगों की मौत हो गई थी और पर्यावरण को भारी नुकसान हुआ था। 31 अक्टूबर, 2022 को सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल ने कहा था कि भोपाल गैस कांड में विक्टिम को अतिरिक्त मुआवजा देने की मांग के लिए दाखिल क्यूरेटिव पिटिशन को जारी रखने के पक्ष में है। सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच उस याचिका पर केंद्र सरकार से स्टैंड साफ करने को कहा था जिसमें याचिकाकर्ता ने भोपाल गैस कांड में पीड़ितों को अतिरिक्त मुआवजा देने की मांग की है।
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