भारत में मांग घटने के बावजूद सोना हो सकता है 2700 डॉलर प्रति औंस, दुनिया में बढ़ रही है मांग | Despite falling demand in India, gold may touch 2700 an ounce | Patrika News h3>
जयपुर। ऐसे समय में जब वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (World Gold Council) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक देश में गोल्ड (Gold) की डिमांड में जनवरी-मार्च तिमाही के दौरान गिरावट दर्ज की गई है, तब राजस्थान की राजधानी जयपुर में चल रहे जयपुर ज्वैलरी शो यानी जस में पिछली बार से 20 प्रतिशत अधिक बॉयर्स और 50 प्रतिशत से अधिक विजिटर्स देखे जा रहे हैं, जो कि इस सलेक्ट बिजनेस टू बिजनेस शो में ज्वैलर्स के उत्साह और बाजार की मांग को इंगित करते हैं। बता दें, वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (World Gold Council)की इसी सप्ताह जारी रिपोर्ट के मुताबिक महंगे दाम और शादियों के कम मुहुर्त की वजह से 2022 की पहली तिमाही में भारत में लोगों का गोल्ड के प्रति आकर्षण कम हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में सोने की मांग में 18 फीसदी की गिरावट देखी गई है। यही नहीं, रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी-मार्च में आभूषणों की मांग भी 26 फीसदी कम होकर 94.2 टन रह गई। 2021 की समान तिमाही में लोगों ने 126.5 टन आभूषण खरीदे थे।
भारत में सोने की मांग में तेज गिरावट वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के ऑंकड़ों ( Data from World Gold Council) पर नजर डालें तो एक तरफ जब पूरी दुनिया में सोने की मांग बढ़ रही है, तब भारत में इसमें 18 फीसदी की गिरावट देखी गई है। इसकी प्रमुख वजह कीमतों में बढ़ोतरी बताई जा रही है। विश्व स्वर्ण परिषद (डब्ल्यूजीसी) के मुताबिक, इस साल जनवरी-मार्च के दौरान भारत में सोने की मांग 135.3 टन रही। यह आंकड़ा 2021 की समान अवधि के दौरान 165.8 टन की मांग से 18 फीसदी कम है।
दुनिया भर में 34 फीसदी बढ़ी है सोने की मांग गौर करने की बात है कि, इस दौरान दुनियाभर में सोने की मांग 34 फीसदी बढ़कर 1,234 टन रही। इसकी प्रमुख वजह गोल्ड ईटीएफ की मांग में मजबूत बढ़ोतरी बताई जा रही है। आंकड़ों के मुताबिक, इस दौरान भारत में कुल मूल्य के हिसाब से भी सोने की मांग 12 फीसदी घटकर 61,550 करोड़ रुपये रह गई। 2021 की समान अवधि में भारतीयों ने 69,720 करोड़ रुपये का सोना खरीदा था। इस साल देश में सोने की मांग 800-850 टन रहने का अनुमान है।
भारतीयों का आभूषणों से भी मोह भंग, भारतीय रिजर्व बैंक लगातार खरीद रहा सोना जनवरी-मार्च में आभूषणों की मांग भी 26 फीसदी कम होकर 94.2 टन रह गई। 2021 की समान तिमाही में लोगों ने 126.5 टन आभूषण खरीदे थे। मूल्य के लिहाज से आभूषणों की मांग 20 फीसदी कम होकर 42,800 करोड़ रुपये रही। उधर, खबर है कि आरबीआई लगातार सोना खरीद रहा है। जनवरी-मार्च के दौरान केंद्रीय बैंक ने आठ टन सोना खरीदा है। 2017 से अब तक इसने 200 टन सोने की खरीदारी की है।
तीसरी बार 100 टन से कम रही त्रैमासिक मांग महामारी की अवधि को छोड़कर 2010 से लेकर अब तक सिर्फ तीन बार ही ऐसा हुआ, जब पहली तिमाही में सोने की मांग 100 टन से कम रही है। हालांकि, निवेश के लिहाज से सोने की मांग 5 फीसदी बढ़कर 41.3 टन रही। भारतीयों ने सोने में 18,750 करोड़ निवेश किया, जो पिछले साल से 13 फीसदी ज्यादा है।
जनवरी में बढ़ी थीं सोने की कीमतें डब्ल्यूजीसी के क्षेत्रीय सीईओ सोमसुंदरम ने कहा कि भू-राजनीतिक तनाव के कारण जनवरी में सोने की कीमतें (बिना टैक्स) 8 फीसदी बढ़कर 45,434 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गई थीं। 2021 की समान अवधि में 10 ग्राम सोना 42,045 रुपये रहा था। इस दौरान वैश्विक स्तर पर सोने की कीमतें 2,070 डॉलर प्रति औंस रहीं। WGC के अधिकारिक बयान के मुताबिक जियोपॉलिटिकल टेंशन के चलते गोल्ड की कीमतों में जनवरी से तेजी आनी शुरू हो गई थी। इसके असर से जनवरी-मार्च तिमाही में सोना 8 फीसदी महंगा होकर 45 हजार 434 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया।
भारतीयों ने घरेलू स्तर पर बेचा सोना: राजीव जैन जेम्स और ज्वैलरी प्रमोशन काउंसिल के पूर्व चेयरमैन राजीव जैन की मानें तो भारत में एक तिमाही में गोल्ड की डिमांड में कमी को आभूषण की कमी से नहीं जोड़ कर देखा जा सकता। जैन ने बताया कि दामों में तेजी की वजह से भारत ने विदेशों से संभव है कि कम सोना आयात किया हो पर दामों में इसी तेजी की वजह से भारतीयों ने लोकल स्तर पर जौहरियों को खूब सोना बेचा है। इसलिए जौहरियों ने विदेशों से सोना कम आयात किया। राजीव ने बताया कि गोल्ड की मांग और आभूषण की मांग, दोनों को अलग-अलग देखने की जरूरत है।
जयपुर ज्वैलरी शो में इस बार 20% बुकिंग हैं ज्यादा, कारोबारियों में जोश इसकी पुष्टि इन दिनों में जयपुर में चल रहे तीन दिवसीय जयपुर ज्वैलरी शो से भी होती है। जस की आयोजक कमेटी और जयपुर ज्वैलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष राम शरण गुप्ता का कहना है कि 28 से 30 अप्रेल तक चल रहे सलेक्ट बिजनेस टू बिजनेस शो में ज्वैलरी कारोबारियों का जिस तरह का उत्साह दिख रहा है वो कहीं से भारत में ज्वैलरी की मांग में कमी के संकेत नहीं देता।
गुप्ता ने बताया कि इस शो में 360 लिस्टेड कंपनियाँ हैं, जिनके करीब 600 प्रतिनिधि इन दिनों जयपुर ज्वैलरी शो में जयपुर आए हुए हैं। इसके अलावा 115 लोकल कारोबारियों के भी स्टॉल लगे हुए हैं। गुप्ता ने बताया कि पिछली बार की तुलना में देखें तो इस बार हमारे शो में 20 प्रतिशत बुकिंग ज्यादा हैं। 50 प्रतिशत से अधिक विजिटर्स ज्यादा हैं और 20 प्रतिशत वेटिंग लाइन है। ये आँकड़े बता रहे हैं कि देश में गोल्ड की मांग में कहीं कोई कमी नहीं है।

भारत में घटी है सोने की मांग, पर सोने के दामों में रहेगी तेजी: IBJA वहीं इंडियन बुलियन ज्वैलरी एसोसिएशन के महासचिव सुरेंद्र मेहता का दावा है कि भारत में गोल्ड की मांग 2011 के बाद से गिर रही है। 2011 में भी भारत करीब 800 टन गोल्ड आयात करता था और आज भी करीब इतना ही गोल्ड आयात कर रहा है। मेहता का दावा है कि भारत में बढ़ती महंगाई के बीच मध्यम वर्ग के सामने आज चुनौती आटे-दाल का इंतजाम करने की है, इसलिए वो फिलहाल गोल्ड खरीदने की बजाए पैसा बचाने में जुटा हुआ है। लेकिन मेहता का ये भी कहना है कि इसका मतलब ये नहीं है कि गोल्ड के दाम आगे एक साल में कम हो सकते हैं। मेहता ने कहा कि पूरी दुनिया में कमोडिटी के दामों में जिस तरह की तेजी देखी जा रही है, दामों में जो रोजाना का उतार-चढ़ाव देखा जा रहा है, उसको देखते हुए आगामी एक साल में गोल्ड के दाम नीचे में 1821 और ऊपर में 2700 डॉलर प्रति औंस तक हो सकते हैं। मेहता का साफ कहना है कि लेकिन ये भारत में मांग की वजह से नहीं, बल्कि दुनिया में गोल्ड की डिमांड की वजह से होगा। मेहता ने बताया कि पिछले कुछ सालों में चीन पहले ही भारत से दुनिया के सबसे बड़े गोल्ड आयातक देश के खिताब से वंचित कर चुका है। आगे इसमें और भी नए बदलाव देखने को मिलें तो कोई हैरानी नहीं होगी।
जयपुर। ऐसे समय में जब वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (World Gold Council) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक देश में गोल्ड (Gold) की डिमांड में जनवरी-मार्च तिमाही के दौरान गिरावट दर्ज की गई है, तब राजस्थान की राजधानी जयपुर में चल रहे जयपुर ज्वैलरी शो यानी जस में पिछली बार से 20 प्रतिशत अधिक बॉयर्स और 50 प्रतिशत से अधिक विजिटर्स देखे जा रहे हैं, जो कि इस सलेक्ट बिजनेस टू बिजनेस शो में ज्वैलर्स के उत्साह और बाजार की मांग को इंगित करते हैं। बता दें, वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (World Gold Council)की इसी सप्ताह जारी रिपोर्ट के मुताबिक महंगे दाम और शादियों के कम मुहुर्त की वजह से 2022 की पहली तिमाही में भारत में लोगों का गोल्ड के प्रति आकर्षण कम हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में सोने की मांग में 18 फीसदी की गिरावट देखी गई है। यही नहीं, रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी-मार्च में आभूषणों की मांग भी 26 फीसदी कम होकर 94.2 टन रह गई। 2021 की समान तिमाही में लोगों ने 126.5 टन आभूषण खरीदे थे।
भारत में सोने की मांग में तेज गिरावट वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के ऑंकड़ों ( Data from World Gold Council) पर नजर डालें तो एक तरफ जब पूरी दुनिया में सोने की मांग बढ़ रही है, तब भारत में इसमें 18 फीसदी की गिरावट देखी गई है। इसकी प्रमुख वजह कीमतों में बढ़ोतरी बताई जा रही है। विश्व स्वर्ण परिषद (डब्ल्यूजीसी) के मुताबिक, इस साल जनवरी-मार्च के दौरान भारत में सोने की मांग 135.3 टन रही। यह आंकड़ा 2021 की समान अवधि के दौरान 165.8 टन की मांग से 18 फीसदी कम है।
तीसरी बार 100 टन से कम रही त्रैमासिक मांग महामारी की अवधि को छोड़कर 2010 से लेकर अब तक सिर्फ तीन बार ही ऐसा हुआ, जब पहली तिमाही में सोने की मांग 100 टन से कम रही है। हालांकि, निवेश के लिहाज से सोने की मांग 5 फीसदी बढ़कर 41.3 टन रही। भारतीयों ने सोने में 18,750 करोड़ निवेश किया, जो पिछले साल से 13 फीसदी ज्यादा है।
जनवरी में बढ़ी थीं सोने की कीमतें डब्ल्यूजीसी के क्षेत्रीय सीईओ सोमसुंदरम ने कहा कि भू-राजनीतिक तनाव के कारण जनवरी में सोने की कीमतें (बिना टैक्स) 8 फीसदी बढ़कर 45,434 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गई थीं। 2021 की समान अवधि में 10 ग्राम सोना 42,045 रुपये रहा था। इस दौरान वैश्विक स्तर पर सोने की कीमतें 2,070 डॉलर प्रति औंस रहीं। WGC के अधिकारिक बयान के मुताबिक जियोपॉलिटिकल टेंशन के चलते गोल्ड की कीमतों में जनवरी से तेजी आनी शुरू हो गई थी। इसके असर से जनवरी-मार्च तिमाही में सोना 8 फीसदी महंगा होकर 45 हजार 434 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया।
भारतीयों ने घरेलू स्तर पर बेचा सोना: राजीव जैन जेम्स और ज्वैलरी प्रमोशन काउंसिल के पूर्व चेयरमैन राजीव जैन की मानें तो भारत में एक तिमाही में गोल्ड की डिमांड में कमी को आभूषण की कमी से नहीं जोड़ कर देखा जा सकता। जैन ने बताया कि दामों में तेजी की वजह से भारत ने विदेशों से संभव है कि कम सोना आयात किया हो पर दामों में इसी तेजी की वजह से भारतीयों ने लोकल स्तर पर जौहरियों को खूब सोना बेचा है। इसलिए जौहरियों ने विदेशों से सोना कम आयात किया। राजीव ने बताया कि गोल्ड की मांग और आभूषण की मांग, दोनों को अलग-अलग देखने की जरूरत है।
गुप्ता ने बताया कि इस शो में 360 लिस्टेड कंपनियाँ हैं, जिनके करीब 600 प्रतिनिधि इन दिनों जयपुर ज्वैलरी शो में जयपुर आए हुए हैं। इसके अलावा 115 लोकल कारोबारियों के भी स्टॉल लगे हुए हैं। गुप्ता ने बताया कि पिछली बार की तुलना में देखें तो इस बार हमारे शो में 20 प्रतिशत बुकिंग ज्यादा हैं। 50 प्रतिशत से अधिक विजिटर्स ज्यादा हैं और 20 प्रतिशत वेटिंग लाइन है। ये आँकड़े बता रहे हैं कि देश में गोल्ड की मांग में कहीं कोई कमी नहीं है।