भारत दिसंबर तक चौथी सबसे बड़ी इकोनॉमी बन सकता है: जापान को पीछे छोड़ेगा; 2028 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का अनुमान

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भारत दिसंबर तक चौथी सबसे बड़ी इकोनॉमी बन सकता है:  जापान को पीछे छोड़ेगा; 2028 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का अनुमान

भारत दिसंबर तक चौथी सबसे बड़ी इकोनॉमी बन सकता है: जापान को पीछे छोड़ेगा; 2028 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का अनुमान

नई दिल्ली8 घंटे पहले

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2032 तक भारत की GDP 10 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है।

भारत की अर्थव्यवस्था दिसंबर 2025 तक जापान को पीछे छोड़ दुनिया की चौथी सबसे बड़ी इकोनॉमी बन सकती है। इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड यानी IMF के वर्ल्ड इकोनॉमिक डेटा के अनुसार वर्तमान में भारत की GDP 4.3 ट्रिलियन डॉलर के साथ दुनिया में पांचवे नंबर पर है। वहीं जापान की GDP अभी 4.4 ट्रिलियन डॉलर है।

IMF के मुताबिक वृद्धि की वर्तमान दर बनी रही, तो भारत 2028 तक जर्मनी (4.9 ट्रिलियन डॉलर GDP) को भी पीछे छोड़ कर दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।

10 सालों में दोगुनी हुई भारत को GDP

भारत की अर्थव्यवस्था पिछले 10 सालों में दोगुनी हो गई है। अर्थव्यवस्था की ये ग्रोथ दुनिया में सबसे तेज है। इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड यानी IMF के आंकड़ों के मुताबिक भारत की GDP बीते दशक में 105% बढ़ी है। वर्तमान में भारत की GDP 4.3 ट्रिलियन डॉलर है। जबकि 2015 में ये 2.1 ट्रिलियन डॉलर थी।

2032 तक 10 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी

भारत की GDP ग्रोथ की रफ्तार यही रही, तो हर 1.5 साल में इकोनॉमी में 1 ट्रिलियन डॉलर जुड़ेगा। इससे 2032 तक भारत 10 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बन सकता है।

भारत ने दुनिया के दूसरी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं को पीछे छोड़ते हुए, चीन (76%), अमेरिका (66%), जर्मनी (44%), फ्रांस (38%) और यूके (28%) की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया है।

कर्ज के मामले में भारत मजबूत

साइज के हिसाब से शीर्ष दो स्थान पर अमेरिका ($30.3 ट्रिलियन) और चीन ($19.5 ट्रिलियन) की अर्थव्यवस्था है। लेकिन कर्ज के मामले में भारत दोनों देशों से मजबूत स्थिति में है।

मार्च 2025 तक अमेरिका का कर्ज 36.22 ट्रिलियन डॉलर है। वहीं चीन का कर्ज 2.52 ट्रिलियन डॉलर है। जबकि भारत पर 712 बिलियन डॉलर का कर्ज है।

GDP क्या है?

इकोनॉमी की हेल्थ को ट्रैक करने के लिए GDP का इस्तेमाल होता है। ये देश के भीतर एक तय समय में बनाए गए सभी गुड्स और सर्विस की वैल्यू को दिखाती है। इसमें देश की सीमा के अंदर रहकर जो विदेशी कंपनियां प्रोडक्शन करती हैं उन्हें भी शामिल किया जाता है।

दो तरह की होती है GDP

GDP दो तरह की होती है। रियल GDP और नॉमिनल GDP। रियल GDP में गुड्स और सर्विस की वैल्यू का कैलकुलेशन बेस ईयर की वैल्यू या स्टेबल प्राइस पर किया जाता है। फिलहाल GDP को कैलकुलेट करने के लिए बेस ईयर 2011-12 है। वहीं नॉमिनल GDP का कैलकुलेशन करंट प्राइस पर किया जाता है।

कैसे कैलकुलेट की जाती है GDP?

GDP को कैलकुलेट करने के लिए एक फॉर्मूले का इस्तेमाल किया जाता है। GDP=C+G+I+NX, यहां C का मतलब है प्राइवेट कंजम्प्शन, G का मतलब गवर्नमेंट स्पेंडिंग, I का मतलब इन्वेस्टमेंट और NX का मतलब नेट एक्सपोर्ट है।

GDP की घट-बढ़ के लिए जिम्मेदार कौन है?

GDP को घटाने या बढ़ाने के लिए चार इम्पॉर्टेंट इंजन होते हैं। पहला है, आप और हम। आप जितना खर्च करते हैं, वो हमारी इकोनॉमी में योगदान देता है। दूसरा है, प्राइवेट सेक्टर की बिजनेस ग्रोथ। ये GDP में 32% योगदान देती है। तीसरा है, सरकारी खर्च।

इसका मतलब है गुड्स और सर्विसेस प्रोड्यूस करने में सरकार कितना खर्च कर रही है। इसका GDP में 11% योगदान है। और चौथा है, नेट डिमांड। इसके लिए भारत के कुल एक्सपोर्ट को कुल इम्पोर्ट से घटाया जाता है, क्योंकि भारत में एक्सपोर्ट के मुकाबले इम्पोर्ट ज्यादा है, इसलिए इसका इम्पैक्ट GPD पर निगेटिव ही पड़ता है।

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