भारत की रूस पर निर्भरता का हम विरोध करते हैं… बाइडेन प्रशासन ने मोदी सरकार से जताई बेचैनी h3>
वॉशिंगटन: रूस-यूक्रेन युद्ध (India on Russia Ukraine War) में भारत की तटस्थ विदेश नीति (Indian Foreign Policy) को देखकर अमेरिका परेशान है। ऐसे में बाइडेन प्रशासन भारत पर दबाव डालने (India US Relations) लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहा है। धमकियों से बात न बनने के बाद अमेरिका ने अब नरम रुख के साथ भारत-रूस रक्षा संबंधों (India Russia Defence Relations) का विरोध किया है। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा है कि अमेरिका नहीं चाहता कि भारत अपनी रक्षा जरूरतों के लिए रूस (India Russia Relations) पर निर्भर रहे। हम ईमानदारी से इसका विरोध करते हैं। हालांकि किर्बी ने भारत और अमेरिका की रक्षा साझेदारी की जमकर तारीफ की।
भारत की रूस पर निर्भरता की आलोचना करते हैं
पेंटागन के प्रेस सचिव जॉन किर्बी ने कहा कि हम भारत समेत अन्य देशों को लेकर बहुत स्पष्ट हैं। हम नहीं चाहते कि ये देश रक्षा जरूरतों के लिए रूस पर निर्भर रहें। हम ईमानदारी से इसका विरोध करते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इसके साथ ही भारत के साथ रक्षा साझेदारी को भी अमेरिका महत्व देता है। उन्होंने कहा कि हम साथ-साथ आगे बढ़ने के उपाय तलाश रहे हैं। किर्बी ने कहा कि भारत क्षेत्र का एक सुरक्षा प्रदाता है और इस बात को हम महत्व देते हैं।
अमेरिकी डिप्टी एनएसए ने भारत को दी थी धमकी
इससे पहले अमेरिका के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार दलीप सिंह ने रूस के साथ भारत के संबंधों को लेकर धमकी दी थी। दलीप सिंह ने कहा था कि अगर चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा का उल्लंघन करता है तो भारत को यह उम्मीद नहीं करनी चाहिए कि रूस उसकी मदद के लिए आगे आएगा। दलीप सिंह ने यह भी कहा था कि अमेरिका किसी भी देश को रूसी केंद्रीय बैंक के साथ वित्तीय लेनदेन में शामिल होते नहीं देखना चाहेगा।
भारत की तटस्थता से परेशान है अमेरिका
अमेरिकी डिप्टी एनएसए के इस बयान को यूक्रेन-रूस युद्ध में भारत की तटस्थता के कारण बाइडेन प्रशासन की तिलमिलाहट के तौर पर देखा गया था। अमेरिका रूस के खिलाफ भारत का साथ पाने के हर दांव के फेल होने से बौखलाया हुआ है। यही कारण है कि अमेरिका ने भारत को रूस की जगह अपने देश से तेल और गैस की आयात करने का ऑफर दिया था। लेकिन इतिहास को देखें तो अमेरिका के साथ पर भरोसा नहीं किया जा सकता है, क्योंकि उसने हमेशा पाकिस्तान का साथ दिया है।
भारत की नाराजगी से बचना चाहता है अमेरिका
अमेरिका जानता है कि वह भारत को नाराज कर इंडो पैसिफिक क्षेत्र में खुद को एक ताकतवर मुल्क के रूप में स्थापित नहीं कर सकता है। एशिया के कई इलाकों में अमेरिकी सेना तैनात है, लेकिन चीन के खिलाफ उसे भारत के साथ की जरूरत काफी ज्यादा है। इसके अलावा भारत दुनिया का सबसे बड़ा मार्केट है। ऐसे में अगर भारत नाराज होता है तो अमेरिका को भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।
भारत की रूस पर निर्भरता की आलोचना करते हैं
पेंटागन के प्रेस सचिव जॉन किर्बी ने कहा कि हम भारत समेत अन्य देशों को लेकर बहुत स्पष्ट हैं। हम नहीं चाहते कि ये देश रक्षा जरूरतों के लिए रूस पर निर्भर रहें। हम ईमानदारी से इसका विरोध करते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इसके साथ ही भारत के साथ रक्षा साझेदारी को भी अमेरिका महत्व देता है। उन्होंने कहा कि हम साथ-साथ आगे बढ़ने के उपाय तलाश रहे हैं। किर्बी ने कहा कि भारत क्षेत्र का एक सुरक्षा प्रदाता है और इस बात को हम महत्व देते हैं।
अमेरिकी डिप्टी एनएसए ने भारत को दी थी धमकी
इससे पहले अमेरिका के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार दलीप सिंह ने रूस के साथ भारत के संबंधों को लेकर धमकी दी थी। दलीप सिंह ने कहा था कि अगर चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा का उल्लंघन करता है तो भारत को यह उम्मीद नहीं करनी चाहिए कि रूस उसकी मदद के लिए आगे आएगा। दलीप सिंह ने यह भी कहा था कि अमेरिका किसी भी देश को रूसी केंद्रीय बैंक के साथ वित्तीय लेनदेन में शामिल होते नहीं देखना चाहेगा।
भारत की तटस्थता से परेशान है अमेरिका
अमेरिकी डिप्टी एनएसए के इस बयान को यूक्रेन-रूस युद्ध में भारत की तटस्थता के कारण बाइडेन प्रशासन की तिलमिलाहट के तौर पर देखा गया था। अमेरिका रूस के खिलाफ भारत का साथ पाने के हर दांव के फेल होने से बौखलाया हुआ है। यही कारण है कि अमेरिका ने भारत को रूस की जगह अपने देश से तेल और गैस की आयात करने का ऑफर दिया था। लेकिन इतिहास को देखें तो अमेरिका के साथ पर भरोसा नहीं किया जा सकता है, क्योंकि उसने हमेशा पाकिस्तान का साथ दिया है।
भारत की नाराजगी से बचना चाहता है अमेरिका
अमेरिका जानता है कि वह भारत को नाराज कर इंडो पैसिफिक क्षेत्र में खुद को एक ताकतवर मुल्क के रूप में स्थापित नहीं कर सकता है। एशिया के कई इलाकों में अमेरिकी सेना तैनात है, लेकिन चीन के खिलाफ उसे भारत के साथ की जरूरत काफी ज्यादा है। इसके अलावा भारत दुनिया का सबसे बड़ा मार्केट है। ऐसे में अगर भारत नाराज होता है तो अमेरिका को भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।