भगवान विश्वकर्मा की पूजा को लेकर तैयारी शुरू, बाजार में बढ़ी चहल-पहल h3>
सीतामढ़ी में 17 सितंबर को भगवान विश्वकर्मा की पूजा की तैयारी जोरों पर है। इस दिन औजारों और मशीनों की विशेष पूजा की जाती है। बाजार में पूजा सामग्री की मांग बढ़ गई है और विभिन्न स्थानों पर भगवान की…
Newswrap हिन्दुस्तान, सीतामढ़ीSun, 15 Sep 2024 06:35 PM
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सीतामढ़ी। जिले में 17 सितंबर को होने वाले भगवान विश्वकर्मा की पूजा को लेकर जोर-शोर से तैयारी शुरू कर दी गई है। भगवान विश्वकर्मा की आराधना मशीनरी से जुड़े संस्थाओं में बड़े धूमधाम से होगी। पूजा को लेकर बाजारों में चहल-पहल बढ़ गई है। औजार सामग्री के दुकानों के रौनक भी बढ़ गई है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान विश्वकर्मा ने सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा के सातवें पुत्र के रूप में जन्म लिया था। भगवान विश्वकर्मा को संसार का पहला इंजीनियर और वास्तुकार माना जाता है। इसलिए सनातन धर्म में विश्वकर्मा जयंती को खास महत्व दिया गया है। विशेष तौर पर इस दिन औजारों, निर्माण कार्य से जुड़ी मशीनें, सभी प्रकार के वाहनों आदि की पूजा की जाती है। भगवान विश्वकर्मा के आशीर्वाद से कारोबार में आ रही परेशानियां दूर होती है। विश्वकर्मा की कृपा से कार्य में उन्नति होती है। आचार्य पंडित सुबोध ठाकुर ने बताया कि प्रत्येक साल सृजन, निर्माण और वास्तु कला के देवता भगवान विश्वकर्मा की पूजा कन्या संक्रांति के दिन की जाती है। इस साल16 सितंबर को शाम 7:45 में सूर्य कन्या राशि में प्रवेश कर रहा है। रात्रि में भगवान विश्वकर्मा के पूजन नहीं की जाती है। इसलिए 17 सितंबर को पूजा पाठ करने से फलदायी होगा। विधि विधान के साथ पूजन करने से कारोबार उन्नत होगा।
विश्वकर्मा की विधि पूर्वक पूजन से पूर्ण फलदायी : आचार्य पंडित सुबोध ठाकुर ने बताया कि भगवान विश्वकर्मा के विधि पूर्वक पूजन से पूर्ण फलदायी होता है। स्नानादि करने के बाद भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा या तस्वीर के सामने बैठकर आराधना करनी चाहिए। पूजा के दौरान दीप जलाए और जल के साथ फूल और सुपारी लेकर संकल्प करें। पूजन में फूल-फल, हल्दी, मिष्ठान, अक्षत, सुपारी, लौंग, पान, धूप, दीप और रक्षा सूत्र का प्रबंध करें। मशीनरी और यंत्रों को हल्दी चावल लगाये।
पूजन सामग्री की बढ़ी मांग : शिल्प कला के देवता भगवान विश्वकर्मा के पूजन को लेकर शहर के गुदरी बाजार, बड़ी बाजार, स्टेशन रोड, गांधी चौक, लोहापट्टी आदि जगहों पर रंग-बिरंगे चुनरी और भगवान की तस्वीरों की बिक्री शुरू हो गई है। इसके साथ ही पूजन सामग्री की भी मांग बढ़ी है। खरीदारों को लेकर बाजार में चहल-पहल बढ़ गई है। औजार के दुकानों पर कई तरह के नए औजार भी बिक रहे हैं। तस्वीर विक्रेता रमेश कुमार बताते हैं की पूजा के एक सप्ताह पहले से ही तस्वीरों की मांग होने लगती है।
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सीतामढ़ी में 17 सितंबर को भगवान विश्वकर्मा की पूजा की तैयारी जोरों पर है। इस दिन औजारों और मशीनों की विशेष पूजा की जाती है। बाजार में पूजा सामग्री की मांग बढ़ गई है और विभिन्न स्थानों पर भगवान की…
सीतामढ़ी। जिले में 17 सितंबर को होने वाले भगवान विश्वकर्मा की पूजा को लेकर जोर-शोर से तैयारी शुरू कर दी गई है। भगवान विश्वकर्मा की आराधना मशीनरी से जुड़े संस्थाओं में बड़े धूमधाम से होगी। पूजा को लेकर बाजारों में चहल-पहल बढ़ गई है। औजार सामग्री के दुकानों के रौनक भी बढ़ गई है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान विश्वकर्मा ने सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा के सातवें पुत्र के रूप में जन्म लिया था। भगवान विश्वकर्मा को संसार का पहला इंजीनियर और वास्तुकार माना जाता है। इसलिए सनातन धर्म में विश्वकर्मा जयंती को खास महत्व दिया गया है। विशेष तौर पर इस दिन औजारों, निर्माण कार्य से जुड़ी मशीनें, सभी प्रकार के वाहनों आदि की पूजा की जाती है। भगवान विश्वकर्मा के आशीर्वाद से कारोबार में आ रही परेशानियां दूर होती है। विश्वकर्मा की कृपा से कार्य में उन्नति होती है। आचार्य पंडित सुबोध ठाकुर ने बताया कि प्रत्येक साल सृजन, निर्माण और वास्तु कला के देवता भगवान विश्वकर्मा की पूजा कन्या संक्रांति के दिन की जाती है। इस साल16 सितंबर को शाम 7:45 में सूर्य कन्या राशि में प्रवेश कर रहा है। रात्रि में भगवान विश्वकर्मा के पूजन नहीं की जाती है। इसलिए 17 सितंबर को पूजा पाठ करने से फलदायी होगा। विधि विधान के साथ पूजन करने से कारोबार उन्नत होगा।
विश्वकर्मा की विधि पूर्वक पूजन से पूर्ण फलदायी : आचार्य पंडित सुबोध ठाकुर ने बताया कि भगवान विश्वकर्मा के विधि पूर्वक पूजन से पूर्ण फलदायी होता है। स्नानादि करने के बाद भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा या तस्वीर के सामने बैठकर आराधना करनी चाहिए। पूजा के दौरान दीप जलाए और जल के साथ फूल और सुपारी लेकर संकल्प करें। पूजन में फूल-फल, हल्दी, मिष्ठान, अक्षत, सुपारी, लौंग, पान, धूप, दीप और रक्षा सूत्र का प्रबंध करें। मशीनरी और यंत्रों को हल्दी चावल लगाये।
पूजन सामग्री की बढ़ी मांग : शिल्प कला के देवता भगवान विश्वकर्मा के पूजन को लेकर शहर के गुदरी बाजार, बड़ी बाजार, स्टेशन रोड, गांधी चौक, लोहापट्टी आदि जगहों पर रंग-बिरंगे चुनरी और भगवान की तस्वीरों की बिक्री शुरू हो गई है। इसके साथ ही पूजन सामग्री की भी मांग बढ़ी है। खरीदारों को लेकर बाजार में चहल-पहल बढ़ गई है। औजार के दुकानों पर कई तरह के नए औजार भी बिक रहे हैं। तस्वीर विक्रेता रमेश कुमार बताते हैं की पूजा के एक सप्ताह पहले से ही तस्वीरों की मांग होने लगती है।