भगवान वामन जयंती 15 को, श्रद्धालु रखेंगे पापों से मुक्ति का व्रत

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भगवान वामन जयंती 15 को, श्रद्धालु रखेंगे पापों से मुक्ति का व्रत

भगवान वामन जयंती 15 को, श्रद्धालु रखेंगे पापों से मुक्ति का व्रत

भगवान वामन जयंती 15 को, श्रद्धालु रखेगें पापों से मुक्ति का व्रत भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष द्वादशी पर बन रहा अद्भुत संयोग श्रद्धालु भगवान वामन की करेंगे विशेष आराधना फोटो: मंदिर : सामस धाम में स्थापित भगवान विष्णु की भव्य प्रतिमा। पावापुरी, निज संवाददाता। भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष द्वादशी तिथि इस वर्ष 15 सितंबर को श्रवण नक्षत्र के साथ अद्भुत संयोग लेकर आ रही है। इस विशेष दिन को वामन द्वादशी के रूप में मनाया जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह दिन भगवान विष्णु के वामन अवतार की आराधना के लिए अत्यंत पवित्र माना जाता है। इस दिन भगवान वामन की पूजा करने से भक्तों को पापों से मुक्ति और जीवन में सुख-समृद्धि का वरदान प्राप्त होता है। अद्भुत संयोग और धार्मिक महत्व: इस बार वामन द्वादशी पर शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि और श्रवण नक्षत्र का शुभ संयोग बन रहा है, जो इस पर्व को और भी खास बनाता है। धार्मिक शास्त्रों में इस दिन को विष्णु भक्तों के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। वामन अवतार की कथा के अनुसार, भगवान विष्णु ने असुरराज बलि के घमंड को समाप्त करने के लिए वामन रूप धारण किया था। उन्होंने तीन पग भूमि मांगकर अपने विराट रूप से सम्पूर्ण ब्रह्मांड को नाप लिया, जिससे राजा बलि का अहंकार नष्ट हुआ और धर्म की पुनः स्थापना हुई। कैसे करें पूजा : पंडित सूर्यमणि पांडेय ने बताया कि श्रद्धालु इस दिन व्रत रखते हैं और भगवान वामन की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। भगवान वामन को पंचामृत से स्नान कराकर, तुलसी पत्र अर्पित करके पूजा की जाती है। पूजा के दौरान विष्णु सहस्रनाम, वामन स्तोत्र, और अन्य वैदिक मंत्रों का उच्चारण किया जाता है। महिलाओं द्वारा विशेष व्रत वामन द्वादशी के दिन महिलाएं पापों से मुक्ति और परिवार की सुख-समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं। इस व्रत का पालन करने से पौराणिक मान्यता के अनुसार सभी कष्ट दूर होते हैं और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। पूजा के बाद व्रतधारी महिलाएं गरीबों और ब्राह्मणों को भोजन और वस्त्र दान करके पुण्य अर्जित करती हैं। मंदिरों में विशेष आयोजन इस दिन देशभर के विष्णु और वामन मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना और भजन-कीर्तन का आयोजन होता है। भक्त बड़ी संख्या में मंदिरों में जाकर भगवान वामन के दर्शन और पूजन करते हैं। वामन द्वादशी का दिन भक्तों के लिए आध्यात्मिक उन्नति और धर्म की रक्षा का प्रतीक है। वामन द्वादशी के इस पवित्र दिन पर भगवान वामन की आराधना कर श्रद्धालु अपने जीवन को धर्म, शांति और समृद्धि से भर सकते हैं। यह दिन भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं का एक अभिन्न हिस्सा है। श्रद्धालु महिलाएं व्रत के साथ ही पूजा-पाठ, दान और सेवा के कार्यों में भी भाग लेती हैं।

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