भगवान ने बचा लिया: व्यक्ति को मरा समझ मोर्चरी ले गया परिवार, डॉक्टर ने सीपीआर दे कहा -यह तो जिंदा है h3>
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Dead body demo – फोटो : istock
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डॉक्टर भगवान का दूसरा रूप होते हैं… इस कथन को दशमेश खालसा चैरिटेबल अस्पताल हेरां के डॉ. सरफराज ने सत्य कर दिखाया है। गांव ढोलण वासी चमकौर सिंह को मरा समझ उसका परिवार अस्पताल के शवगृह में रखने आया था। डॉ. सरफराज को आभास हुआ कि उसकी सांसें चल रही हैं और वह जिंदा है।
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उन्होंने बिना वक्त गवाए चमकौर को सीपीआर देने के अलावा अन्य जरूरी चिकित्सीय सुविधा दी तो उसे होश आ गया और बोलने लगा। यह चमत्कार देखकर परिवार की खुशी और हैरानी का कोई ठिकाना नहीं रहा। चमकौर के नजदीकी रिश्तेदारों के दूरदराज से आने के चलते परिवार दो दिन बाद अंतिम संस्कार की योजना बना रहा था, जिसके चलते शवगृह पहुंच गए लेकिन वह जिंदा निकला।
डॉ. सरफराज ने चमकौर को तुरंत बड़े अस्पताल ले जाने की सलाह दी, जिसके बाद परिवार ने उसे जगरांव के कोकला अस्पताल में भर्ती करवा दिया है। चमकौर सीसीयू में भर्ती हैं और डॉक्टर उसे बचाने की कोशिश में जुट गए हैं।
मरा समझ अस्पताल से घर ले गए परिजन
डॉ.सरफराज ने बताया कि वीरवार शाम ढोलण का परिवार चमकौर को मरा समझ कर उसे शवगृह में रखने आया था, अस्पताल में मौजूद मेडिकल स्टाफ ने जरूरी कार्रवाई के लिए परिवार से चमकौर का डेथ सर्टिफिकेट मांगा। परिजनों ने बताया कि चमकौर पिछले कुछ दिनों से लुधियाना के मशहूर बड़े अस्पताल में भर्ती था, उन्हें लगा कि चमकौर मर चुका है और अस्पताल प्रबंधन रुपये ऐंठने के लिए बिना वजह उसे रखे हैं। वीरवार को परिजन उसे चिकित्सीय सलाह के विरुद्ध ( लामा ) चमकौर को अस्पताल की एंबुलेंस में घर ले गए। शाम को उसे मरा समझ कर उनके अस्पताल के मुर्दाघर रखने आ गए।
होश आने पर बोलने लगा मरीज
डॉ. सरफराज ने बताया कि चमकौर बेसुध था लेकिन उसकी धड़कन और सांसें चल रही थी। उन्हें आभास हो गया कि बहुत बड़ी चूक होने जा रही थी जिसे समय रहते संभाल लिया गया। उन्होंने चमकौर को सीपीआर और अन्य इमरजेंसी चिकित्सीय सुविधा दी तो उसे होश आ गया और वो थोड़ा बोलने भी लगे। सरफराज ने बताया कि चमकौर की किडनी फेल है और उसे पीजीआई चंडीगढ़ या दिल्ली के एम्स अस्पताल ले जाना जरूरी है।
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