बड़ा फैसला : किराए के भवन में चलने वाले नर्सिंग कॉलेजों को नहीं मिलेगी मान्यता | Nursing colleges running in rented buildings will not get recognition | Patrika News h3>
प्रदेश में पिछले दो साल में खुले सैकड़ों फर्जी नर्सिंग कॉलेजों की पोल खुल चुकी है। मामला हाईकोर्ट होते हुए जांच पड़ताल और कार्यवाही तक का सफ़र तय कर चुका है। हाईकोर्ट के आदेश पर नर्सिंग काउंसिल की रजिस्ट्रार को सस्पेंड कर प्रशासक बैठा दिया गया है । इंडियन नर्सिंग काउंसिल की सूची के हिसाब से प्रदेश के 241 कॉलेज की मान्यता समाप्त हो चुकी है। जबकि अभी कई कॉलेजों पर कार्यवाही शेष है। इसी बीच प्रदेश में वर्ष 2022-23 के नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता देने के आवेदन नर्सिंग काउंसिल ने मंगाए हैं। सख्ती के रूप में कई नई शर्तें जोड़ कर शुद्धिकरण का प्रयास दिखाया जा रहा है।
इस बार क्या नया है
– नर्सिंग काउंसिल की अधिसूचना के अनुसार इस वर्ष कोई भी कॉलेज उन फैकल्टीज का उपयोग नहीं कर पायेगा, जो विगत वर्ष दूसरे राज्यों से लाकर फर्जी माइग्रेशन नंबर के आधार पर दर्शाए गए थे।
– लगभग 3600 संदिग्ध दूसरे राज्यों की फैकल्टीज की सूची जारी की गई। मप्र के जीवित पंजीयन होने पर इन्हें कार्यरत दर्शाया जा सकेगा।
– फर्जीवाड़ा रोकने के लिए शिक्षकों एवं छात्रों के लिए बायोमैट्रिक अटेंडेंस अनिवार्य।
– फैकल्टी फर्जीवाडा रोकने के लिए एनआरटीएस सिस्टम ( नर्सस रजिस्ट्रेशन एंड ट्रैकिंग् सिस्टम) के अंतर्गत पंजीयन अनिवार्य ।
-एक सोसायटी एक जिले में एक ही नर्सिंग कालेज खोल सकेगी।
– किराए के भवन में कॉलेज की अनुमति नहीं। नोटरी किरायानामा मान्य नहीं होगा । 30 वर्ष की पंजीकृत लीज अनिवार्य होगी।
-मान्यता हासिल करने के पूर्व छात्रों को प्रवेश देने पर कॉलेज जिम्मेदार होंगे।
नर्सिंग काउंसिल की नई चुनौतियां
कानून के जानकारों का कहना है कि पिछले वर्षों में फर्जी माइग्रेशन नंबर और डुप्लीकेट फैकल्टी दर्शाने वाले कॉलजों को वर्ष 2022-23 की मान्यता जारी ना कर उनके खिलाफ एफआईआर कराना होगा। फर्जी भवन दिखाकर मान्यता लेने वाले कॉलेजों को 2022-23 की मान्यता देने पर हाईकोर्ट की गाज गिर सकती है। जिन कॉलेजों के पैरेंटल अस्पताल फर्जी ओक्युपेंसी दिखाकर कागजों में चल रहे हैं , उन पर सख्ती करनी होगी। पिछले वर्षों में निरीक्षण के बाद जिन अधिकारियों ने गलत रिपोर्ट देकर अपात्र कॉलेजों की अनुसंशा कर उन्हें मान्यता लेने में मदद की उनके विरुद्ध भी कार्यवाही करनी होगी। इस वर्ष का भौतिक निरीक्षण सख्ती से कर सिर्फ पात्र कॉलेजों को मान्यता देना होगा। याचिकाकर्ता लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन के पास विगत दो वर्षों का सम्पूर्ण डाटा मौजूद है। किसी भी नए अपात्र कॉलेज को मान्यता देने से प्रशासक को हाईकोर्ट की सख्ती का सामना करना पड़ सकता है।
वर्जननए नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता प्रक्रिया प्रारंभ हुई है, उसका स्वागत है। किन्तु पुराने फर्जी कॉलेजों को दंड के स्थान पर उपकृत किया गया तो यह बात साक्ष्यों के साथ हाईकोर्ट के संज्ञान में लाएंगे।
एडवोकेट विशाल बघेल, अध्यक्ष लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन मध्यप्रदेश
प्रदेश में पिछले दो साल में खुले सैकड़ों फर्जी नर्सिंग कॉलेजों की पोल खुल चुकी है। मामला हाईकोर्ट होते हुए जांच पड़ताल और कार्यवाही तक का सफ़र तय कर चुका है। हाईकोर्ट के आदेश पर नर्सिंग काउंसिल की रजिस्ट्रार को सस्पेंड कर प्रशासक बैठा दिया गया है । इंडियन नर्सिंग काउंसिल की सूची के हिसाब से प्रदेश के 241 कॉलेज की मान्यता समाप्त हो चुकी है। जबकि अभी कई कॉलेजों पर कार्यवाही शेष है। इसी बीच प्रदेश में वर्ष 2022-23 के नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता देने के आवेदन नर्सिंग काउंसिल ने मंगाए हैं। सख्ती के रूप में कई नई शर्तें जोड़ कर शुद्धिकरण का प्रयास दिखाया जा रहा है।
इस बार क्या नया है
– नर्सिंग काउंसिल की अधिसूचना के अनुसार इस वर्ष कोई भी कॉलेज उन फैकल्टीज का उपयोग नहीं कर पायेगा, जो विगत वर्ष दूसरे राज्यों से लाकर फर्जी माइग्रेशन नंबर के आधार पर दर्शाए गए थे।
– लगभग 3600 संदिग्ध दूसरे राज्यों की फैकल्टीज की सूची जारी की गई। मप्र के जीवित पंजीयन होने पर इन्हें कार्यरत दर्शाया जा सकेगा।
– फर्जीवाड़ा रोकने के लिए शिक्षकों एवं छात्रों के लिए बायोमैट्रिक अटेंडेंस अनिवार्य।
– फैकल्टी फर्जीवाडा रोकने के लिए एनआरटीएस सिस्टम ( नर्सस रजिस्ट्रेशन एंड ट्रैकिंग् सिस्टम) के अंतर्गत पंजीयन अनिवार्य ।
-एक सोसायटी एक जिले में एक ही नर्सिंग कालेज खोल सकेगी।
– किराए के भवन में कॉलेज की अनुमति नहीं। नोटरी किरायानामा मान्य नहीं होगा । 30 वर्ष की पंजीकृत लीज अनिवार्य होगी।
-मान्यता हासिल करने के पूर्व छात्रों को प्रवेश देने पर कॉलेज जिम्मेदार होंगे।
नर्सिंग काउंसिल की नई चुनौतियां
कानून के जानकारों का कहना है कि पिछले वर्षों में फर्जी माइग्रेशन नंबर और डुप्लीकेट फैकल्टी दर्शाने वाले कॉलजों को वर्ष 2022-23 की मान्यता जारी ना कर उनके खिलाफ एफआईआर कराना होगा। फर्जी भवन दिखाकर मान्यता लेने वाले कॉलेजों को 2022-23 की मान्यता देने पर हाईकोर्ट की गाज गिर सकती है। जिन कॉलेजों के पैरेंटल अस्पताल फर्जी ओक्युपेंसी दिखाकर कागजों में चल रहे हैं , उन पर सख्ती करनी होगी। पिछले वर्षों में निरीक्षण के बाद जिन अधिकारियों ने गलत रिपोर्ट देकर अपात्र कॉलेजों की अनुसंशा कर उन्हें मान्यता लेने में मदद की उनके विरुद्ध भी कार्यवाही करनी होगी। इस वर्ष का भौतिक निरीक्षण सख्ती से कर सिर्फ पात्र कॉलेजों को मान्यता देना होगा। याचिकाकर्ता लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन के पास विगत दो वर्षों का सम्पूर्ण डाटा मौजूद है। किसी भी नए अपात्र कॉलेज को मान्यता देने से प्रशासक को हाईकोर्ट की सख्ती का सामना करना पड़ सकता है।
वर्जननए नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता प्रक्रिया प्रारंभ हुई है, उसका स्वागत है। किन्तु पुराने फर्जी कॉलेजों को दंड के स्थान पर उपकृत किया गया तो यह बात साक्ष्यों के साथ हाईकोर्ट के संज्ञान में लाएंगे।
एडवोकेट विशाल बघेल, अध्यक्ष लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन मध्यप्रदेश