बोचहां उपचुनाव: मुकेश सहनी को छोड़ यूं हीं राजद में नहीं गए अमर पासवान, तेजस्वी यादव ने फरवरी में ही लिख दी थी स्क्रिप्ट h3>
संदीप कुमार, मुजफ्फरपुर: बिहार विधानसभा की बोचहां सीट (Bochahan By Election 2022) पर होने वाले उपचुनाव में बड़ा सियासी फेरबदल देखने को मिल चुका है। कलतक दिवंगत विधायक मुसाफिर पासवान के बेटे के सहारे अपनी रणनीति बना रहे मुकेश सहनी (Mukesh Sahani) को गच्चा देकर अमर पासवान राजद (RJD) नेता तेजस्वी के साथ हो लिए। वहीं तेजस्वी यादव से बेटी के लिए टिकट की उम्मीद पाले बैठ राजद नेता रमई राम के सपने भी अमर पासवान के पार्टी में आने से टूट गए। अमर पासवान के राजद में शामिल होने के तुरंत बाद ही तेजस्वी यादव ने उन्हें बोचहां सीट से उम्मीदवार घोषित कर दिया। बाहर से देखने पर लग रहा था कि मुसाफिर पासवान के बेटे अमर पासवान को अचानक टिकट दे दिया गया है। लेकिन हकीकत इससे उलट है। अमर पासवान को लेकर लालू यादव के बेटे तेजस्वी ने बहुत पहले ही स्क्रिप्ट लिख दी थी।
कुशेश्वर स्थान और तारापुर से सबक ले तेजस्वी ने अमर को लेकर बनाई रणनीति
दरअसल ज्यादातर उपचुनावों में जीत का इतिहास सहानुभूति वोट बैंक से जुड़ा रहा है। इस बात को तेजस्वी यादव भलीभांति जानते हैं। इस बात की तेजस्वी यादव को कुशेश्वर स्थान और तारापुर उपचुनाव से सीखा। दरअसल कुशेश्वर स्थान के उपचुनाव में शशिभूषण हजारी के पुत्र अमन हजारी की जीत हुई थी और तारापुर में मेवालाल के बेटे चुनाव नहीं लड़े। लेकिन जदयू के उम्मीदवार राजीव कुमार सिंह को सहानुभूति वोट का फायदा मिला था। बीते इतिहास को ध्यान में रखकर राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह और तेजस्वी यादव गुपचुप तरीके से रणनीति पर काम करने में जुट गए।
उपचुनाव की अधिसूचना जारी होने से पहले बनने लगी थी रणनीति
बोचहां सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए निर्वाचन आयोग की ओर से 12 मार्च को अधिसूचना जारी की गई। लेकिन तेजस्वी यादव इससे पहले ही बोचहां की ‘शतरंज’ पर अपने मोहरे बैठाने शुरू कर दिए। तेजस्वी यादव ने अधिसूचना जारी होने से पहले ही फरवरी महीने में दिवंगत विधायक मुसाफिर पासवान के बेटे अमर पासवान से मुलाकात की थी। मुलाकात के बाद दोनों से इसे औपचारिक मुलाकात का नाम दिया। लेकिन इस औपचारिक मुलाकात में ही तय हो गया था कि अमर पासवान, मुकेश सहनी को छोड़कर राजद में आएंगे।
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मौके की नजाकत समझ अमर पासवान ने बदली रणनीति
सूत्रों के मुताबिक, तेजस्वी से जब अमर की मुलाकात हुई थी तभी उन्होंने राजद से बोचहां सीट से उपचुनाव लड़ने की अपनी दिलीख्वाहिश जाहिर कर दी। हालांकि तब तेजस्वी ने अमर को कोई वादा या भरोसा नहीं दिया। दरअसल अमर पासवान ने ऐसा इसलिए किया कि उनको दिखाई दे रहा था कि अगर मुकेश सहनी ने उन्हें बोचहां से उम्मीदवार बना भी दिया तो उनकी जीत मुश्किल हो सकती है, क्योंकि उत्तर प्रदेश चुनाव में मुकेश सहनी ने बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोल रखा था। इधर बिहार में बीजेपी नेता भी सहनी को लेकर विरोध में थे। अमर पासवान यह बात अच्छी तरह से समझते हैं कि जब उनके पिता जी बोचहां में वीआईपी से चुनाव जीते थे, तब उन्हें भाजपा, जदयू और हम का पूरा समर्थन था। इन पार्टियों के वोटर का उन्हें वोट मिला था। अमर ने बदली राजनीति की नजाकत को भांप लिया था, इसलिए वे चाहते थे कि RJD उन्हें टिकट दे।
2020 से पहले पिता-पुत्र का संबंध RJD से रहा
अमर को राजद नेता तेजस्वी से मिलने में इसलिए कोई संकोच नहीं हुआ या किसी बिचौलिए की जरूरत नहीं पड़ी, क्योंकि वे खुद युवा राजद में रह चुके थे और उनके पिता मुसाफिर पासवान का भी पार्टी से रिश्ता रह चुका है। 2020 में भी मुसाफिर पासवान राजद से टिकट चाहते थे। लेकिन जब टिकट नहीं मिला तो वे वीआईपी की शरण में चले गए थे। बड़ी बात यह कि अमर जानते हैं कि वीआईपी का कोई बड़ा वोट बैंक नहीं, जिस एक वोट बैंक के बल पर वे उपचुनाव जीत जाएं।
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स्थानीय बड़े नेताओं से राजद ने फीडबैक लिया
उपचुनाव की अधिसूचना के एक माह पहले जब तेजस्वी यादव और अमर पासवान की मुलाकात हुई उसके बाद तेजस्वी यादव ने स्थानीय नेताओं से फीड बैक लेना शुरू किया। इसमें वहां के जिला अध्यक्ष रमेश गुप्ता, मीनापुर से विधायक मुन्ना राय, गायघाट के विधायक निरंजन राय, कुढ़नी के विधायक अनिल सहनी, कांटी के विधायक इसरायल मंसूरी से अमर पासवान को लेकर फीड बैक मांगा।
इसमें से ज्यादातर ने अमर पासवान के पक्ष में फीडबैक दिया। अन्य बातों के साथ ही उनके साथ दो खास बातें थीं पहला यह कि उनके पास RJD का पुराना बैकग्राउंड था और दूसरा पिता के निधन के बाद वाला सहानुभूति वोट।
RJD ने किया पिछले चुनाव के वोटों का विश्लेषण
RJD ने स्थानीय नेताओं के फीड बैक के पैरलल एक और काम किया, यह काम पिछले चुनाव के वोटों के विश्लेषण से जुड़ा था। इस टीम की कमान खुद प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह संभाल रहे थे और इसमें वृषिण पटेल, श्याम रजक, आलोक मेहता, चित्तरंजन गगन जैसे कई ऐसे खास थे, जिन पर RJD को बहुत भरोसा रहता है। इस टीम ने भी अमर पासवान का पलड़ा भारी माना। बोचहां विधानसभा में वोट बैंक की जाति पर गौर करें तो यहां मुस्लिम और यादव और भूमिहार बड़ी संख्या में हैं।इसके बाद पासवान, रविदास और कोयरी आदि जातियां आती हैं। RJD के पास MY समीकरण वाला वोट बैंक है, लेकिन तेजस्वी यादव ने MLC चुनाव में 5 भूमिहार, 4 राजपूत को टिकट देकर में बताया कि उनकी पार्टी सवर्णों को भी हक दे रही है। एक कुशवाहा और एक वैश्य को टिकट देकर बताया कि उनकी पार्टी की नजर उस ओर भी है।
फाइल फोटो
कुशेश्वर स्थान और तारापुर से सबक ले तेजस्वी ने अमर को लेकर बनाई रणनीति
दरअसल ज्यादातर उपचुनावों में जीत का इतिहास सहानुभूति वोट बैंक से जुड़ा रहा है। इस बात को तेजस्वी यादव भलीभांति जानते हैं। इस बात की तेजस्वी यादव को कुशेश्वर स्थान और तारापुर उपचुनाव से सीखा। दरअसल कुशेश्वर स्थान के उपचुनाव में शशिभूषण हजारी के पुत्र अमन हजारी की जीत हुई थी और तारापुर में मेवालाल के बेटे चुनाव नहीं लड़े। लेकिन जदयू के उम्मीदवार राजीव कुमार सिंह को सहानुभूति वोट का फायदा मिला था। बीते इतिहास को ध्यान में रखकर राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह और तेजस्वी यादव गुपचुप तरीके से रणनीति पर काम करने में जुट गए।
उपचुनाव की अधिसूचना जारी होने से पहले बनने लगी थी रणनीति
बोचहां सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए निर्वाचन आयोग की ओर से 12 मार्च को अधिसूचना जारी की गई। लेकिन तेजस्वी यादव इससे पहले ही बोचहां की ‘शतरंज’ पर अपने मोहरे बैठाने शुरू कर दिए। तेजस्वी यादव ने अधिसूचना जारी होने से पहले ही फरवरी महीने में दिवंगत विधायक मुसाफिर पासवान के बेटे अमर पासवान से मुलाकात की थी। मुलाकात के बाद दोनों से इसे औपचारिक मुलाकात का नाम दिया। लेकिन इस औपचारिक मुलाकात में ही तय हो गया था कि अमर पासवान, मुकेश सहनी को छोड़कर राजद में आएंगे।
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मौके की नजाकत समझ अमर पासवान ने बदली रणनीति
सूत्रों के मुताबिक, तेजस्वी से जब अमर की मुलाकात हुई थी तभी उन्होंने राजद से बोचहां सीट से उपचुनाव लड़ने की अपनी दिलीख्वाहिश जाहिर कर दी। हालांकि तब तेजस्वी ने अमर को कोई वादा या भरोसा नहीं दिया। दरअसल अमर पासवान ने ऐसा इसलिए किया कि उनको दिखाई दे रहा था कि अगर मुकेश सहनी ने उन्हें बोचहां से उम्मीदवार बना भी दिया तो उनकी जीत मुश्किल हो सकती है, क्योंकि उत्तर प्रदेश चुनाव में मुकेश सहनी ने बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोल रखा था। इधर बिहार में बीजेपी नेता भी सहनी को लेकर विरोध में थे। अमर पासवान यह बात अच्छी तरह से समझते हैं कि जब उनके पिता जी बोचहां में वीआईपी से चुनाव जीते थे, तब उन्हें भाजपा, जदयू और हम का पूरा समर्थन था। इन पार्टियों के वोटर का उन्हें वोट मिला था। अमर ने बदली राजनीति की नजाकत को भांप लिया था, इसलिए वे चाहते थे कि RJD उन्हें टिकट दे।
2020 से पहले पिता-पुत्र का संबंध RJD से रहा
अमर को राजद नेता तेजस्वी से मिलने में इसलिए कोई संकोच नहीं हुआ या किसी बिचौलिए की जरूरत नहीं पड़ी, क्योंकि वे खुद युवा राजद में रह चुके थे और उनके पिता मुसाफिर पासवान का भी पार्टी से रिश्ता रह चुका है। 2020 में भी मुसाफिर पासवान राजद से टिकट चाहते थे। लेकिन जब टिकट नहीं मिला तो वे वीआईपी की शरण में चले गए थे। बड़ी बात यह कि अमर जानते हैं कि वीआईपी का कोई बड़ा वोट बैंक नहीं, जिस एक वोट बैंक के बल पर वे उपचुनाव जीत जाएं।
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स्थानीय बड़े नेताओं से राजद ने फीडबैक लिया
उपचुनाव की अधिसूचना के एक माह पहले जब तेजस्वी यादव और अमर पासवान की मुलाकात हुई उसके बाद तेजस्वी यादव ने स्थानीय नेताओं से फीड बैक लेना शुरू किया। इसमें वहां के जिला अध्यक्ष रमेश गुप्ता, मीनापुर से विधायक मुन्ना राय, गायघाट के विधायक निरंजन राय, कुढ़नी के विधायक अनिल सहनी, कांटी के विधायक इसरायल मंसूरी से अमर पासवान को लेकर फीड बैक मांगा।
इसमें से ज्यादातर ने अमर पासवान के पक्ष में फीडबैक दिया। अन्य बातों के साथ ही उनके साथ दो खास बातें थीं पहला यह कि उनके पास RJD का पुराना बैकग्राउंड था और दूसरा पिता के निधन के बाद वाला सहानुभूति वोट।
RJD ने किया पिछले चुनाव के वोटों का विश्लेषण
RJD ने स्थानीय नेताओं के फीड बैक के पैरलल एक और काम किया, यह काम पिछले चुनाव के वोटों के विश्लेषण से जुड़ा था। इस टीम की कमान खुद प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह संभाल रहे थे और इसमें वृषिण पटेल, श्याम रजक, आलोक मेहता, चित्तरंजन गगन जैसे कई ऐसे खास थे, जिन पर RJD को बहुत भरोसा रहता है। इस टीम ने भी अमर पासवान का पलड़ा भारी माना। बोचहां विधानसभा में वोट बैंक की जाति पर गौर करें तो यहां मुस्लिम और यादव और भूमिहार बड़ी संख्या में हैं।इसके बाद पासवान, रविदास और कोयरी आदि जातियां आती हैं। RJD के पास MY समीकरण वाला वोट बैंक है, लेकिन तेजस्वी यादव ने MLC चुनाव में 5 भूमिहार, 4 राजपूत को टिकट देकर में बताया कि उनकी पार्टी सवर्णों को भी हक दे रही है। एक कुशवाहा और एक वैश्य को टिकट देकर बताया कि उनकी पार्टी की नजर उस ओर भी है।
फाइल फोटो