बैतूल में बच्चे की कस्टडी को लेकर कोर्ट का फैसला: नाना-नानी के पास रहेगा 8 साल का बच्चा, दादी को हर महीने मिलने का अधिकार – Betul News

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बैतूल में बच्चे की कस्टडी को लेकर कोर्ट का फैसला:  नाना-नानी के पास रहेगा 8 साल का बच्चा, दादी को हर महीने मिलने का अधिकार – Betul News

बैतूल में बच्चे की कस्टडी को लेकर कोर्ट का फैसला: नाना-नानी के पास रहेगा 8 साल का बच्चा, दादी को हर महीने मिलने का अधिकार – Betul News

बैतूल की आमला अदालत ने गुरुवार को एक 8 वर्षीय बच्चे की कस्टडी के मामले में दिलचस्प फैसला सुनाया है। कोर्ट ने बच्चे को नाना-नानी के साथ रहने की अनुमति दी है, साथ ही दादी को हर महीने बच्चे से मिलने का अधिकार दिया है।

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मामला वर्ष 2021 से जुड़ा है, जब बच्चे की मां का देहांत हुआ था। इसके एक साल बाद 2022 में पिता की भी मृत्यु हो गई। बच्चे के माता-पिता ने प्रेम विवाह किया था, जिसके कारण दोनों परिवारों से अलग रहते थे। माता-पिता की मृत्यु के बाद से बच्चा अपने नाना-नानी के साथ रह रहा था।

दादी और बुआ ने दायर की थी याचिका

मामले में नया मोड़ तब आया जब बच्चे की दादी और बुआ ने कोर्ट में कस्टडी के लिए याचिका दायर की। दादी का तर्क था कि वह अपने पोते को पालने में पूरी तरह सक्षम हैं। वहीं, नाना-नानी ने भी बच्चे की देखभाल में अपनी सक्षमता का दावा किया।

कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद बच्चे की कस्टडी को लेकर फैसला दिया है। जिसमें बच्चे को नाना-नानी के साथ रहने की अनुमति दी गई है, साथ ही दादी को हर महीने बच्चे से मिलने का अधिकार दिया गया है, ताकि बच्चा दोनों परिवारों से जुड़ा रह सके।

महीने में एक बार मिल सकती है दादी

दादी के अधिवक्ता राजेंद्र उपाध्याय ने बताया कि अपर सत्र न्यायालय ने आदेश में कहा कि आवेदिका की यह याचिका “आंशिक स्वीकृत” कर आवेदिका को बच्चे का संरक्षक नियुक्त नहीं किया जाता है। आवेदिका बच्चे से जहां वह निवास करता है, वहां, प्रत्येक माह के प्रथम रविवार को सुबह के समय स्वयं अपने व्यय पर जाकर एक घंटे की अवधि तक मिल सकेंगे। इसके अलावा महीने में एक बार विडियो कॉल के माध्यम से 10 मिनट बात कर सकेंगे। इस दौरान बात करने में समय का, अपने व्यवहार का ध्यान रखा जावेगा। साथ ही अगर बच्चे की इच्छा नहीं है तो उसे वीडियो कॉल पर बात करने किसी प्रकार का मजबूर नहीं किया जाएगा। बच्चे को प्राप्त होने वाली पेंशन, राशि व अन्य लाभ, उसके संरक्षकत्ता व प्रतिपाल्य अधिनियम 1890 तक व्यस्कता प्राप्त होने तक राष्ट्रीयकृत बैंक खाते व लाभप्रद सावधि योजना में जमा रखी जाएगी। जिसका उपयोग बच्चे के व्यस्क होने के बाद कर पायेगा।

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