बेगूसराय में राष्ट्रीय नाट्य महोत्सव रंग-संगम का चौथा दिन: कलाकारों ने दिखाया- युद्ध की बलि चढ़ता है विकास, दिखी दलित महिला की कहानी – Begusarai News

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बेगूसराय में राष्ट्रीय नाट्य महोत्सव रंग-संगम का चौथा दिन:  कलाकारों ने दिखाया- युद्ध की बलि चढ़ता है विकास, दिखी दलित महिला की कहानी – Begusarai News

बेगूसराय में राष्ट्रीय नाट्य महोत्सव रंग-संगम का चौथा दिन: कलाकारों ने दिखाया- युद्ध की बलि चढ़ता है विकास, दिखी दलित महिला की कहानी – Begusarai News

बीहट में आकाश गंगा रंग चौपाल एसोसिएशन की ओर से आयोजित राष्ट्रीय नाट्य महोत्सव रंग-संगम के चौथे दिन बाल रंगमंच आर्ट एंड कल्चरल सोसाइटी की ओर से गणेश गौरव के निर्देशन में एक और युद्ध शांति के लिए नाटक का मंचन किया गया। इसके बाद शांतिपुर रंगपीठ पश्चिम ब

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बाल रंगमंच आर्ट एंड कल्चरल सोसाइटी बेगूसराय ने गणेश गौरव की परिकल्पना, निर्देशन गणेश गौरव और ऋषिकेश कुमार की प्रस्तुति संयोजन में नाटक एक और युद्ध शांति के लिए प्रस्तुति दी। नाटक का हर दृश्य रोमांचित करता चला गया।

नाटक का एक दृश्य।

युद्ध हमारे विनाश का कारण

नाटक की मुख्य कहानी युद्ध खुद ही मसला है, वो हल क्या देगी। परिवार के अंदर का युद्ध, महाभारत का युद्ध, सत्ता, स्वाभिमान, स्वार्थ, जमीन के लिए लड़ी गई थी। युद्ध के अंत में जो बच गए वो पछतावा कर रहे थे। इस युद्ध में किसी की भी जीत नहीं हुई, क्योंकि उन्होंने अपनों को मारा, अपनों को खोया और जीता अंधापन। युद्ध वह अहंकार है जो समाज की पवित्रता और मानवता को नष्ट कर देता है।

नाटक वर्तमान समय में एक परिवार की कहानी से शुरुआत होती है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर युद्ध हमारे लिए कितना विनाश का कारण बनता है उसे बखूबी बाल रंगमंच के कलाकारों ने अपनी नाट्य प्रस्तुति में दिखाया।

आज अपनी-अपनी देश की सीमा से बाहर जाकर अपना वर्चस्व कायम कर युद्ध की ओर जाने से हम खुद का विनाश करते जा रहे है। कलाकारों ने अभिनय और संवाद के माध्यम से दिखाया कि हमें युद्ध नहीं शांति चाहिए।

इन्होंने निभाई नाटक में अपनी भूमिका

नाटक में नट- ऋषि कुमार, नटी- साक्षी कुमारी, पिता और पत्रकार- विजेंद्र कुमार, धृतराष्ट्र और राम- आकाश कुमार, गांधारी और सीता- पूर्णिमा कुमारी, युधिष्ठिर और पत्रकार- कुणाल कुमार, भरत और पत्रकार- राजेश कुमार, उर्मिला और पत्रकार- आंचल कुमारी और लव- आयुष कुमार थे। कोरस में राज लक्ष्मी, मुस्कान, कंचन, मौसम, रिया, पड़ी धर्मवीर, आयुष, कृष्णा, प्रियांशु एवं प्रशांत थे।

नाटक में प्रस्तुति देते कलाकार।

सतघरिया में दिखा दलित महिला की कहानी

दूसरी प्रस्तुति शांतिपुर रंगपीठ पश्चिम बंगाल की ओर से विश्वजीत विश्चास के निर्देशन में सतघरिया की दी गई। नाटक में संगीत और प्रकाश के समन्वय ने अंत तक लोगों को बांधे रखा। नाटक में मनपत्थल गांव के हरिजन टोला की एक महिला चनपिया ने अपनी सुरक्षा और रोजी-रोटी के लिए 6 बार शादी की। हर बार शर्त यही थी कि चनपिया को अपने लिए खेतों में दिहाड़ी मजदूरी का काम खुद ही करना होगा।

लेकिन इस बार 40 वर्षीय थकी-मांदी चनपिया अपने होने वाले दूल्हे नटोआर के साथ सुरथपुरा के हटिया जा रही है। शर्त है कि अगर कोई जमीन मालिक चनपिया को मजदूर के रूप में चुन ले तो नटोआर उससे शादी कर लेगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। फिर पहली बार चनपिया बेघर आदमी गैबीनाथ को अपना दूल्हा चुनती है और समाज के सारे नियम तोड़कर उसे अपनी टूटी-फूटी झोपड़ी में ले जाती है।

नाटक में इन्होंने निभाई भूमिका

नाटक में मंच पर चनपिया- नीलिमा विश्वास, नातोर दोशाद और धनपत प्रशांत बिद्यंता, मुंगीलाल- तृषित मैत्रा, तेरा राम और चौपटलाल- अमित महतो, मुंशी- जयंत दास गणपत, गैबीनाथ- समित महतो कथावाचक और जगन दोशाद बने स्वयं निर्देशक विश्वजीत विश्वास ने बेहतरीन अभिनय किया। ग्रामीण बने थे मिठू रानी गोस्वामी, प्रणति धानी, रिमी खातून, अंजना महतो, रानित प्रमाणिक। नाटक में वेशभूषा- नीलिमा विश्वास, सेट- प्रॉप्स, मास्क- प्रशांत बिद्यंता, प्रकाश- जयंत दास, संगीत डिजाइन- योगेश पांडेय तथा ढ़ोलक और ताल पर मसूद शेख थे।

नाटक का दृश्य।

नाटक का किया उद्घाटन

नाटक का उद्घाटन लाइफ लाइन हॉस्पिटल बरौनी के निदेशक डॉ. हेमंत कुमार, बीहट नगर परिषद के मुख्य पार्षद बबीता देवी, उप मुख्य पार्षद ऋषिकेश कुमार, राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय वाराणसी के निदेशक प्रवीण गुंजन, पूर्व विधान पार्षद भूमिपाल राय एवं संजय कुमार ललन ने किया।

स्वागत सचिव गणेश गौरव और संयोजन डॉ. कुंदन कुमार ने किया। इस अवसर पर शास्त्रीय संगीत की महत्वपूर्ण हस्ताक्षर दामिनी मिश्रा ने गीतों की प्रस्तुति की। इसके बाद अमर ज्योति, आनंद कुमार, बलराम बिहारी, राजू कुमार, लालू बिहारी, महेश, अंकित, सन्तोष, दिनेश दिवाना, निधि, आंचल, अंजलि, साक्षी एवं संस्कृति के द्वारा गीत और नृत्य की प्रस्तुति की गई।

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