बुजुर्ग को बेड पर लिटाकर जनसुनवाई में पहुंचे: परिवार का आरोप- भूमाफियाओं के कहने पर झूठी FIR हुई, डेढ़ महीने जेल में रहना पड़ा – Guna News h3>
बुजुर्ग को अस्पताल के बेड पर ही लिटाकर जनसुनवाई में लेकर गए।
गुना कलेक्टर कार्यालय में आयोजित जनसुनवाई में मंगलवार को अजीब नजारा देखने को मिला। यहां दो बेटे अपने वृद्ध पिता को अस्पताल के पलंग पर लिटाकर जनसुनवाई में लेकर पहुंच गए। उनका कहना था कि उनके पिता पर गलत FIR की गई और उन्हें डेढ़ महीने जेल में भी रहना प
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मामला पिछले वर्ष का है। जुलाई महीने में कैंट थाने में फ्रॉड की एक FIR दर्ज की गई थी। सीताराम कॉलोनी के रहने वाले शिशुपाल रघुवंशी ने 27 जुलाई 2024 को कैंट थाने में शिकायत की थी। अपनी शिकायत में उन्होंने बताया कि वह अंशुल सहगल पिता सुभाष सहगल निवासी आदर्श कालोनी, भानुप्रताप सिसोदिया पिता स्व मुरली सिंह सिसोदिया निवासी भगतसिंह कालोनी, दीपक श्रीवास्तव पुत्र कोमल श्रीवास्तव निवासी वंदना स्कूल के पीछे गुना के सभी लोग मिलकर पार्टनरशिप में जमीन खरीदने व बिक्री का काम करते हैं।
18 जनवरी 2022 के कुछ दिन पहले वह और उसके भागीदार अंशुल सहगल, भानुप्रताप सिसोदिया, दीपक श्रीवास्तव की बैठक रामवीर जाटव, लक्ष्मण जाटव, जितेन्द्र जाटव तीनों ने बलवीर आदिवासी, लक्ष्मण सेहरिया, लखन सेहरिया, लीला बाई सहरिया से करवाई थी। इस बैठक में नगर पालिका क्षेत्र में जगनपुर में स्थित एक जमीन का सौदा 1.07 करोड़ में हुआ।
इसके लिए रामवीर जाटव, लक्ष्मण जाटव, जितेन्द्र जाटव,बलवीर आदिवासी, लक्ष्मण सेहरिया, लखन सेहरिया, लीला बाई सेहरिया ने शिशुपाल रघुवंशी और उनके पार्टनर भानु सिसोदिया, अंशुल सेंगल, दीपक श्रीवास्तव से 46.50 लाख रुपए नगद और 5 लाख रुपए चेक के जरिए ले लिए थे। इस दौरान एक एग्रीमेंट हो गया था।
SDM, तहसीलदार ने परिवार से बात की।
शिशुपाल ने बताया कि एग्रीमेंट में यह तय हुआ था कि जमीन की विक्रय अनुमति कराने के बाद रजिस्ट्री करा दी जाएगी और बाकी के पैसे रजिस्ट्री के समय दे दिए जाएंगे। शिशुपाल ने कई बार इन सब से रजिस्ट्री कराने को कहा, लेकिन इन्होंने जमीन की रजिस्ट्री नहीं कराई। बाद में शिशुपाल को पता चला कि इन्होंने दस्तावेजों में फर्जीवाड़ा कर किसी दूसरे व्यक्ति से भी एग्रीमेंट कर लिया है। शिशुपाल की शिकायत पर कैंट थाने में सभी के खिलाफ फ्रॉड, दस्तावेजों की कूटरचना सहित अन्य धाराओं में FIR दर्ज की गई।
लक्ष्मण अहिरवार को हुई जेल मामले में आरोपी लक्ष्मण अहिरवार को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया। उनके बेटे राजेंद्र ने बताया कि लगभग डेढ़ महीने उसके पिता जेल में रहे। जेल से निकलने के बाद वह बुरी तरह टूट गए और उन्हें लकवा मार गया। उनके शरीर ने काम करना बंद कर दिया है। कई महीनों से उज्जैन के एक निजी अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है।
परिवार की समस्या सुनते अधिकारी।
बेड पर लिटाकर जनसुनवाई में पहुंचे मंगलवार को लक्ष्मण अहिरवार के बेटे उन्हें अस्पताल के बेड पर लिटाकर कलेक्टर कार्यालय में होने वाली जनसुनवाई में पहुंचे। वह एक लोडिंग गाड़ी में बेड रखकर पिता को उस पर लिटाकर लेकर आए।
उनका कहना था कि उनके पिता पर झूठी FIR दर्ज की गई और जेल भेजा गया। उनके पिता का तो पांच साल पहले ही एक पैर कट चुका है। वह चल फिर भी नहीं सकते। इसके बाद भी उन्हें जेल भेजा गया। उनकी मांग थी कि जिन लोगों ने झूठी FIR कराई है, उन पर भी मामला दर्ज किया जाए।
उनका आवेदन लेने SDM शिवानी पांडे, तहसीलदार गौरीशंकर बैरवा पहुंचे। उन्होंने पूरे मामले को सुना। कैंट पुलिस को भी मौके पर बुलाया गया। कैंट पुलिस ने उन्हें बताया कि उनके पिता का FIR में से नाम हटाने की कार्रवाई चल रही है, तब जाकर वे माने। इसके बाद CMHO को मौके पर बुलवाकर एम्बुलेंस से उन्हें अस्पताल भेजा गया।
बाद में एम्बुलेंस से उन्हें अस्पताल भेजा गया।