बिहार: BJP के पूर्व मंत्री को 1 साल की सजा, जमानत पर हुए रिहा; क्या है मामला? h3>
बिहार के पूर्व पर्यटन मंत्री बीजेपी एमएलए रामप्रवेश राय को आचार संहिता उल्लंघन के मामले में 1 साल की जेल और 1000 रुपए के जुर्माने की सजा दी गई। गोपालगंज एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट ने पूर्व मंत्री को यह सजा सुनाई। हालांकि, कम सजा होने की वजह से बेल बॉन्ड भरकर जुर्माने की राशि जमा करने के बाद भाजपा विधायक को रिहा कर दिया गया।
मामला बिहार विधानसभा चुनाव 2010 का है। रामप्रवेश राय गोपालगंज के बरौली विधानसभा सीट से विधायक हैं।
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रामप्रवेश राय नीतीश कुमार के नेतृत्व में चल रही पिछली एनडीए सरकार में पयर्टन विभाग के मंत्री थे। 2010 के विधानसभा चुनाव के दौरान उन पर तत्कालीन बीडीओ उदय कुमार तिवारी के बयान पर आचार संहिता उल्लंघन का केस दर्ज किया गया था।
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इस मामले में सरकार की ओर से पैरवी कर रहे लोक अभियोजक ओम प्रकाश सिन्हा ने बताया कि सीनियर सिटीजन और बीमार होने का हवाला देकर विधायक ने कोर्ट से रिहाई की गुहार लगाई। विधायक ने कोर्ट से कहा कि उनका पहला अपराध है भविष्य में वह ऐसा काम नहीं करेंगे।
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लोक अभियोजक ने बताया कि साल 2010 में रामप्रवेश राय भाजपा के टिकट पर बरौली विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था। इसी के दौरान उन्होंने निर्धारित समय अवधि के बाद चुनाव प्रचार किया।। इसकी रिपोर्ट जिला प्रशासन को मिल गई। उसके बाद बरौली के तत्कालीन BDO रहे उदय कुमार तिवारी के बयान पर बरौली थाने में उनके खिलाफ केस दर्ज किया गया।
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गोपालगंज पुलिस ने कांड को सत्य पाते हुए 30 सितंबर 2010 को भाजपा विधायक के खिलाफ चार्जशीट दायर कर दिया। इस मामले में माननीय अदालत ने चार्ज फ्रेम करते हुए विधायक को नोटिस जारी किया। 7 अप्रैल 2017 को विधायक के खिलाफ आयोग का गठन किया गया।
इस मामले में बेल पर थे लेकिन उपस्थित नहीं हो रहे थे। इस वजह से विगत 21 अक्टूबर को मानवेंद्र मिश्रा के कोर्ट ने विधायक का बेल कैंसिल कर दिया और उनके खिलाफ नन बेलेबल वारंट जारी कर दिया। बुधवार को विधायक ने कोर्ट के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया के बाद उन्हें रेगुलर बैल दे दिया गया।
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मामला बिहार विधानसभा चुनाव 2010 का है। रामप्रवेश राय गोपालगंज के बरौली विधानसभा सीट से विधायक हैं।
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गोपालगंज पुलिस ने कांड को सत्य पाते हुए 30 सितंबर 2010 को भाजपा विधायक के खिलाफ चार्जशीट दायर कर दिया। इस मामले में माननीय अदालत ने चार्ज फ्रेम करते हुए विधायक को नोटिस जारी किया। 7 अप्रैल 2017 को विधायक के खिलाफ आयोग का गठन किया गया।
इस मामले में बेल पर थे लेकिन उपस्थित नहीं हो रहे थे। इस वजह से विगत 21 अक्टूबर को मानवेंद्र मिश्रा के कोर्ट ने विधायक का बेल कैंसिल कर दिया और उनके खिलाफ नन बेलेबल वारंट जारी कर दिया। बुधवार को विधायक ने कोर्ट के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया के बाद उन्हें रेगुलर बैल दे दिया गया।