बिहार में सियासी चूल्हे पर फिर सम्राट अशोक, यूपी से डेप्युटी सीएम को बुलाकर बीजेपी ने मनाई जयंती, ‘मिशन लव-कुश’ को कैसे पूरा करेंगे नीतीश?

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बिहार में सियासी चूल्हे पर फिर सम्राट अशोक, यूपी से डेप्युटी सीएम को बुलाकर बीजेपी ने मनाई जयंती, ‘मिशन लव-कुश’ को कैसे पूरा करेंगे नीतीश?

बिहार में सियासी चूल्हे पर फिर सम्राट अशोक, यूपी से डेप्युटी सीएम को बुलाकर बीजेपी ने मनाई जयंती, ‘मिशन लव-कुश’ को कैसे पूरा करेंगे नीतीश?

पटना :सम्राट अशोक (Samrat Ashok) को लेकर एक बार फिर बिहार का सियासी तापमान बढ़ गया है। जनवरी में एक किताब में चक्रवर्ती अशोक की तुलना औरंगजेब से करने को लेकर भाजपा-जदयू (BJP-JDU) आमने-सामने थी। अबकी बार जयंती (Samrat Ashok Jayanti) मनाने को लेकर बेताबी दिखने को मिल रही है। बीजेपी ने शुक्रवार (8 अप्रैल) को जयंती मनाई तो जेडीयू शनिवार (9 अप्रैल) को जयंती मनाने जा रही है। वैसे सम्राट अशोक पर नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की पार्टी अपनी कॉपीराइट मानती है। अब उसी की सहयोगी बीजेपी ने सेंधमारी की है। इसके लिए यूपी से डेप्युटी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को खास तौर पर लखनऊ से बुलाया गया था।

अगले साल गांधी मैदान में सम्राट अशोक की जयंती मनाएगी बीजेपी
दरअसल, बिहार बीजेपी से जुड़े बड़े नेताओं ने सम्राट अशोक की जयंती के बहाने आगे का भी रोडमैप तैयार कर दिया है। इससे नीतीश के लव-कुश समीकरण की हवा भविष्य में बीजेपी निकालने वाली है। राजनीतिक दल कुशवाहा समाज से जोड़कर सम्राट अशोक को देखते हैं। वैसे बीजेपी की ओर उसके मंत्री सम्राट चौधरी लगातार सम्राट अशोक जयंती का आयोजन करते रहे हैं। मगर इस बार मेगा प्रोग्राम रखा गया था। पटना के बापू सभागार में भी इसका आयोजन हुआ। इस कार्यक्रम में बिहार बीजेपी प्रभारी भूपेंद्र यादव और यूपी के डेप्युटी सीएम केशव प्रसाद मौर्य से लेकर प्रदेश स्तर तक के तमाम बड़े नेता शामिल हुए। लगभग 5000 बीजेपी कार्यकर्ताओं और कुशवाहा समाज से ताल्लुक रखने वाले लोगों ने शिरकत की। इनकी मौजूदगी में ऐलान हो गया कि अगले साल पटना के गांधी मैदान में सम्राट अशोक जयंती मनाई जाएगी।

बीजेपी के नेता ने खोजी थी सम्राट अशोक की जाति
बीजेपी सांसद और नीतीश के पुराने सहयोगी सुशील कुमार मोदी ने कहा कि कुशवाहा समाज बीजेपी के साथ जुड़ रहा है। लव-कुश भगवान राम की संतान रहे हैं और राम को लेकर सबसे ज्यादा आस्था किसने दिखाई, ये बात उत्तर प्रदेश में साबित हो चुकी है। उन्होंने मंच से एलान किया कि अगले साल गांधी मैदान में सम्राट अशोक की जयंती मनाई जानी चाहिए। वैसे, अशोक की जयंती मनाने की विधिवत शुरुआत बिहार में सबसे पहले 2014 में बीजेपी के तत्कालीन विधान पार्षद सूरजनंदन कुशवाहा ने की थी। हालांकि, अब सूरजनंदन इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन पहली बार उन्होंने ही पूरे बिहार में अशोक मौर्य के नाम पर यात्रा निकाली थी। उन्होंने मौर्य वंश का हवाला देकर अशोक की जाति भी कोईरी बताई। उसे प्रचारित भी किया था।

अब जेडीयू शनिवार को मनाएगी अशोक की जयंती
भारतीय जनता पार्टी ने जहां सम्राट अशोक जयंती समारोह का भव्य आयोजन किया तो वहीं दूसरी तरफ जेडीयू की ओर से शनिवार को इसका आयोजन किया जाएगा। उपेंद्र कुशवाहा को नीतीश कुमार जिस मकसद से अपने साथ लेकर आए थे, उस पर बीजेपी ने पानी फिरने की प्लानिंग कर रखी है। ये नीतीश कुमार के सिर पर बल बढ़ानेवाला है। 2020 के विधानसभा चुनाव में जेडीयू जब तीसरे नंबर की पार्टी बनी तो नीतीश कुमार ने मंथन का सिलसिला शुरू किया था। उनको लगा कि लव-कुश जैसा पुराना समीकरण उनका साथ छोड़ चुका है। लिहाजा नीतीश ने पार्टी में नीचे से ऊपर तक कुशवाहा समाज के नेताओं की भर्ती की। अब नीतीश के इस समीकरण को उनके ही सहयोगी बीजेपी साधने की जुगत में जुटी है।

जेडीयू के मुताबिक कुशवाहा थे सम्राट अशोक
जिस सम्राट अशोक की जाति का पता लगाने में देश और दुनिया के इतिहासकार खाक छानकर थक गए, उनकी जाति की खोज बिहार के नेताओं ने की। प्राचीन भारत के इतिहासकारों में इस बात पर सहमति दिखती है कि सम्राट अशोक की जाति अज्ञात है। हालांकि कुछ का कहना है कि अशोक के दादा चंद्रगुप्त मौर्य का जन्म ‘मुरा’ जाति की महिला से तत्कालीन राजा नंद के शासन काल में हुआ था। तबके वर्ण व्यस्था में ‘मुरा’ शूद्र जाति थी। मगर बौद्ध ग्रंथों में चंद्रगुप्त को क्षत्रिय वर्ण का बताया गया है। वैसे भी मौर्य वंश तब की बात है, जब जाति का आज जैसा कोई स्वरूप नहीं था। सम्राट अशोक के पिता राजा बिंदुसार थे। इसका मतलब ये हुआ कि अशोक का जीवन राजसी सुख-सुविधा में बीता। मगर बिहार के नेता उनको कुशवाहा समाज का मानकर जयंती मना रहे हैं।
बीजेपी ने सम्राट अशोक की जाति खोजी, नीतीश ने जन्मदिन, औरंगजेब से तुलना पर पाटलिपुत्र फिर गर्म
सम्राट अशोक ने की थी अखंड भारत की स्थापना
चक्रवर्ती सम्राट अशोक मौर्य राजवंश के महान सम्राट थे। इनका पूरा नाम देवानांप्रिय अशोक मौर्य था। 269 ईसा पूर्व से 232 ईसा पूर्व तक राज किया। 304 ईसा पूर्व में पाटलिपुत्र (पटना) में आखिरी सांस ली। उन्होंने अखंड भारत पर अपना शासन स्थापित किया था। हिंदू कुश की श्रेणी से लेकर दक्षिण में गोदावरी नदी और मैसूर तक उनका राज्य फैला हुआ था। आज के बांग्लादेश, अफगानिस्तान, ईरान तक अशोक का शासन था। सम्राट अशोक ने अपने जीवन में बहुत लड़ाई लड़ी और विजय हासिल की। कलिंग युद्ध के बाद उनका हृदय परिवर्तन हुआ। फिर शांति, सामाजिक, प्रगति और धार्मिक राह पर चल निकले। बाद में बौद्ध धर्म को अपना लिया।

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