बिहार में प्रेशर में काम करते डॉक्टर? 45 फीसदी पद खाली, 30 हजार की आबादी का इलाज 1 के जिम्मे

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बिहार में प्रेशर में काम करते डॉक्टर? 45 फीसदी पद खाली, 30 हजार की आबादी का इलाज 1 के जिम्मे

बिहार में प्रेशर में काम करते डॉक्टर? 45 फीसदी पद खाली, 30 हजार की आबादी का इलाज 1 के जिम्मे

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बिहार के सरकारी अस्पतालों में आबादी के मुताबिक डॉक्टर नहीं हैं। स्वास्थ्य विभाग में चिकित्सकों के स्वीकृत पद में 45 फीसदी खाली हैं। मात्र 55 फीसदी पदों पर ही डॉक्टर कार्यरत हैं। इस कारण अस्पतालों में मरीजों का अधिक दबाव है और एक-एक डॉक्टर को हर महीने हजारों मरीजों का इलाज करना पड़ रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार एक हजार की आबादी पर एक डॉक्टर आदर्श स्थिति मानी जाती है। 

हालांकि इस अनुपात में देश में भी डॉक्टर नहीं हैं। तय मानक के अनुसार अभी देश भर में 14 लाख डॉक्टर चाहिए, लेकिन 11 लाख ही डॉक्टर हैं। बिहार में तो राष्ट्रीय औसत से भी कम डॉक्टर हैं।  लगभग 2700 की आबादी पर एक डॉक्टर की उपलब्धता है। बिहार में यह स्थिति निजी और सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध डॉक्टरों को मिलाकर है। केवल सरकारी अस्पतालों का हिसाब लें तो 30 हजार की आबादी पर एक डॉक्टर की उपलब्धता है।

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विभागीय अधिकारियों के अनुसार राज्य में जिला, अनुमंडल, मेडिकल कॉलेज अस्पताल से लेकर विभिन्न स्तर के सरकारी अस्पतालों में स्थायी डॉक्टर के 12895 पद स्वीकृत हैं। इनमें 7144 डॉक्टर ही कार्यरत हैं। यानी स्थायी पद वाले डॉक्टरों में 5751 पद रिक्त हैं। जबकि संविदा वाले डॉक्टर के 4751 पद स्वीकृत हैं। इनमें भी मात्र 2720 ही कार्यरत हैं। यानी संविदा वाले डॉक्टरों के भी 2031 पद रिक्त हैं।

ज्वाइन करने के बाद भी छोड़ देते हैं नौकरी

सरकारी सेवा में योगदान करने के बाद ग्रामीण इलाकों में पोस्टिंग के कारण डॉक्टर त्याग पत्र दे देते हैं, क्योंकि वहां न आवासीय न अन्य सुविधाएं उन्हें मिल पाती। साथ ही वेतन भी उतना आकर्षक नहीं है। हालांकि सरकारी अस्पतालों के लिए डॉक्टर की नियुक्ति की प्रक्रिया आसान कर दी गई है। वाक इन इंटरव्यू के माध्यम से ही डॉक्टरों की नियुक्ति कर ली जाती है। इसके बाद भी डॉक्टर सरकारी अस्पतालों में नहीं आते हैं। नियुक्ति के साल-दो साल बाद ही काफी संख्या में चिकित्सक त्याग पत्र दे देते हैं। सेवा छोड़ चुके चिकित्सकों के अनुसार विशेषज्ञ चिकित्सक के तौर पर बहाल होने के बाद सामान्य चिकित्सक की तरह वेतन दिया जाता है। विभाग इस समस्या का समाधान नहीं कर पाता है। बहाली के बाद चिकित्सकों को समय पर प्रोन्नति की सुविधा नहीं मिलती है। 

विकसित देशों में एक हजार की आबादी पर दो-तीन डॉक्टर 

विकसित देशों में एक हजार की आबादी पर दो-तीन डॉक्टर हैं। इंग्लैंड, अमेरिका जैसे देश में डॉक्टरों की तादाद अधिक है। भारत में भी तय हुआ था कि एक हजार की आबादी पर एक डाक्टर बहाल होगा। लेकिन इसका नियम का पालन नहीं हो पा रहा है। हालांकि देश के अन्य राज्यों मसलन केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु में एक हजार की आबादी पर एक डॉक्टर कार्यरत हैं। 

क्या कहता है आईएमए? 

बिहार में लोगों को समुचित इलाज के लिए डॉक्टरों की संख्या बढ़ाने की जरूरत है। इसके लिए डॉक्टरों को सुविधाएं बढ़ाई जानी चाहिए। साथ ही मेडिकल कॉलेज खोले जाएं तो उसमें गुणवत्ता का पूरा ख्याल रखा जाए। बेहतर शिक्षक बहाल हों ताकि वहां पढ़ने वाले डॉक्टर मरीजों का गुणवत्तापूर्ण इलाज कर सकें।  – डॉ. अजय कुमार, आईएमए बिहार एक्शन कमेटी के संयोजक सह पूर्व प्रदेश अध्यक्ष

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