बिहार में कोऑर्डिनेशन कमेटी बनने के अंदर का सच समझिए, जानिए पूरी कहानी h3>
नीलकमल, पटना: राष्ट्रीय जनता दल के पटना स्थित पार्टी मुख्यालय में आज महागठबंधन के घटक दलों की एक बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक में आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह जनता दल यूनाइटेड के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा समेत घटक दलों के पार्टी के नेता शामिल हुए। सोमवार को हुई बैठक में महागठबंधन के घटक दलों ने ये निर्णय लिया कि जल्द ही कोऑर्डिनेशन कमेटी का गठन किया जाएगा। हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के प्रमुख जीतन राम मांझी जब से महागठबंधन सरकार के अंग बने हैं तभी से वह कोआर्डिनेशन कमेटी बनाए जाने की मांग करते रहे थे। ध्यान रहे कि जीतन राम मांझी कई बार ये कह चुके थे कि महागठबंधन जरूर बन गया है। सरकार में शामिल घटक दलों के बीच आपसी सामंजस्य नहीं है। यही वजह है कि घटक दलों के नेता एक-दूसरे के खिलाफ भी कभी-कभी बयान बाजी कर देते हैं। जिससे नुकसान महागठबंधन को उठाना पड़ता है। जीतन राम मांझी का कहना था कि ऐसी परिस्थिति से बचने के लिए एक कोआर्डिनेशन कमेटी बनाई जाए। उन्होंने कहा था कि उसमें कोई भी फैसला सर्वसम्मति से लिया जाए।
जीतन राम मांझी की महत्वाकांक्षा
ध्यान रहे कि बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के प्रमुख जीतन राम मांझी ने नीतीश कुमार की ओर से तेजस्वी यादव को विरासत सौंपने की बात का भी विरोध किया था। जीतन राम मांझी ने कहा था कि ये महागठबंधन की सरकार है इसमें भविष्य में किसे मुख्यमंत्री बनाना है इसका फैसला कोई एक पार्टी नहीं बल्कि सर्वसम्मति से होना चाहिए। महागठबंधन में कोआर्डिनेशन कमेटी न बनाए जाने से जीतन राम मांझी इतने नाराज थे कि उन्होंने महागठबंधन सरकार से अलग होने का भी इशारा दे दिया था। हाल के कुछ महीनों में उन्होंने अपने बेटे को मुख्यमंत्री बनाने की मांग तक नीतीश कुमार से की थी। जीतन राम मांझी ने कहा कि अगर उनका बेटा मुख्यमंत्री बनता है तो यह बिहार के लिए काफी अच्छा होगा।
त्रिस्तरीय होगी कोआर्डिनेशन कमेटी
सोमवार को आरजेडी के प्रदेश कार्यालय में हुई महागठबंधन के घटक दलों की बैठक में यह निर्णय लिया गया है कि जल्दी ही कोआर्डिनेशन कमेटी का गठन किया जाएगा। बैठक में ये भी सहमति बनी कि कोआर्डिनेशन कमेटी त्रिस्तरीय होगी। यानी राज्य के लिए अलग कोआर्डिनेशन कमेटी होगी जिला के लिए अलग और प्रखंड के लिए अलग कमेटी का गठन किया जाएगा। ऐसा करने के पीछे महागठबंधन के घटक दलों की मंशा यह है कि प्रखंड स्तर तक कोआर्डिनेशन कमेटी बनाए जाने से निचले स्तर के कार्यकर्ताओं में भी जोश भरा जा सकेगा। और पार्टी के लिए समर्पित कार्यकर्ताओं की पहचान कर उन्हें आगे बढ़ाने की दिशा में काम किया जाएगा।
नीतीश कुमार बनाए जाएंगे संयोजक ?
2024 लोकसभा चुनाव में बीजेपी को केंद्र की सत्ता से हटाने के लिए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बीजेपी विरोधी तमाम राजनीतिक दलों को एक मंच पर लाने का प्रयास कर रहे हैं। विपक्षी एकजुटता के लिए नीतीश कुमार पिछले कुछ महीनों से लगातार कई राज्यों के मुख्यमंत्री और वहां के राजनीतिक दल के प्रमुख से मुलाकात कर चुके हैं। नीतीश कुमार चाहते हैं कि बीजेपी विरोधी तमाम राजनीतिक दल कांग्रेस की छत्रछाया के नीचे एकजुट हो और 2024 की लड़ाई में बीजेपी को हराने का काम करें। इस संदर्भ में जब विपक्षी दलों की बैठक बुलाने की बात ममता बनर्जी से नीतीश कुमार ने की थी तो उन्होंने पटना में बैठक करने की बात कही थी। मुख्यमंत्री ने ममता बनर्जी की बात को मानते हुए विपक्षी दलों की बैठक के लिए 12 जून की तारीख तय कर दी है। बताया जा रहा है कि इस बैठक में कांग्रेस समेत अट्ठारह राजनीतिक दल शामिल होंगे। इसी बैठक में आगामी 2024 लोकसभा चुनाव को लेकर रणनीति भी बनाई जाएगी। सूत्र बताते हैं कि विपक्षी दलों की इस बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को विपक्षी दलों यानी यूपीए का संयोजक भी बनाया जा सकता है।
15 जून को प्रखंड स्तर पर धरना प्रदर्शन
राष्ट्रीय जनता दल के कार्यालय में हुए महागठबंधन की बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि आगामी 15 जून को प्रखंड स्तर पर केंद्र की मोदी सरकार का विरोध किया जाएगा। बैठक में यह निर्णय लिया गया है कि केंद्र की बीजेपी सरकार देश में लोकतंत्र को समाप्त करना चाहती है। नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह में राष्ट्रपति को ना बुलाया जाना इसका प्रमाण है। इसके अलावा देश में बढ़ती महंगाई बेरोजगारी के लिए भी केंद्र की मोदी सरकार को जिम्मेदार बताते हुए महागठबंधन के घटक दल इसके विरोध में धरना प्रदर्शन करेंगे। कुल मिलाकर सियासी जानकारों का कहना है कि महागठबंधन को डर था कि कहीं कमेटी का गठन नहीं हुआ तो मांझी नाराज न हो जाएं। मांझी की नाराजगी अभी झेलने की स्थिति में महागठबंधन नहीं है। मांझी अगर अलग हो जाते हैं तो महागठबंधन को काफी नुकसान पहुंचा देंगे। वैसे पहले ही मुकेश साहनी और उपेंद्र कुशवाहा जैसे लोग महागठबंधन की जड़ में मट्ठा डालने का काम कर रहे हैं।
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जीतन राम मांझी की महत्वाकांक्षा
ध्यान रहे कि बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के प्रमुख जीतन राम मांझी ने नीतीश कुमार की ओर से तेजस्वी यादव को विरासत सौंपने की बात का भी विरोध किया था। जीतन राम मांझी ने कहा था कि ये महागठबंधन की सरकार है इसमें भविष्य में किसे मुख्यमंत्री बनाना है इसका फैसला कोई एक पार्टी नहीं बल्कि सर्वसम्मति से होना चाहिए। महागठबंधन में कोआर्डिनेशन कमेटी न बनाए जाने से जीतन राम मांझी इतने नाराज थे कि उन्होंने महागठबंधन सरकार से अलग होने का भी इशारा दे दिया था। हाल के कुछ महीनों में उन्होंने अपने बेटे को मुख्यमंत्री बनाने की मांग तक नीतीश कुमार से की थी। जीतन राम मांझी ने कहा कि अगर उनका बेटा मुख्यमंत्री बनता है तो यह बिहार के लिए काफी अच्छा होगा।
त्रिस्तरीय होगी कोआर्डिनेशन कमेटी
सोमवार को आरजेडी के प्रदेश कार्यालय में हुई महागठबंधन के घटक दलों की बैठक में यह निर्णय लिया गया है कि जल्दी ही कोआर्डिनेशन कमेटी का गठन किया जाएगा। बैठक में ये भी सहमति बनी कि कोआर्डिनेशन कमेटी त्रिस्तरीय होगी। यानी राज्य के लिए अलग कोआर्डिनेशन कमेटी होगी जिला के लिए अलग और प्रखंड के लिए अलग कमेटी का गठन किया जाएगा। ऐसा करने के पीछे महागठबंधन के घटक दलों की मंशा यह है कि प्रखंड स्तर तक कोआर्डिनेशन कमेटी बनाए जाने से निचले स्तर के कार्यकर्ताओं में भी जोश भरा जा सकेगा। और पार्टी के लिए समर्पित कार्यकर्ताओं की पहचान कर उन्हें आगे बढ़ाने की दिशा में काम किया जाएगा।
नीतीश कुमार बनाए जाएंगे संयोजक ?
2024 लोकसभा चुनाव में बीजेपी को केंद्र की सत्ता से हटाने के लिए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बीजेपी विरोधी तमाम राजनीतिक दलों को एक मंच पर लाने का प्रयास कर रहे हैं। विपक्षी एकजुटता के लिए नीतीश कुमार पिछले कुछ महीनों से लगातार कई राज्यों के मुख्यमंत्री और वहां के राजनीतिक दल के प्रमुख से मुलाकात कर चुके हैं। नीतीश कुमार चाहते हैं कि बीजेपी विरोधी तमाम राजनीतिक दल कांग्रेस की छत्रछाया के नीचे एकजुट हो और 2024 की लड़ाई में बीजेपी को हराने का काम करें। इस संदर्भ में जब विपक्षी दलों की बैठक बुलाने की बात ममता बनर्जी से नीतीश कुमार ने की थी तो उन्होंने पटना में बैठक करने की बात कही थी। मुख्यमंत्री ने ममता बनर्जी की बात को मानते हुए विपक्षी दलों की बैठक के लिए 12 जून की तारीख तय कर दी है। बताया जा रहा है कि इस बैठक में कांग्रेस समेत अट्ठारह राजनीतिक दल शामिल होंगे। इसी बैठक में आगामी 2024 लोकसभा चुनाव को लेकर रणनीति भी बनाई जाएगी। सूत्र बताते हैं कि विपक्षी दलों की इस बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को विपक्षी दलों यानी यूपीए का संयोजक भी बनाया जा सकता है।
15 जून को प्रखंड स्तर पर धरना प्रदर्शन
राष्ट्रीय जनता दल के कार्यालय में हुए महागठबंधन की बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि आगामी 15 जून को प्रखंड स्तर पर केंद्र की मोदी सरकार का विरोध किया जाएगा। बैठक में यह निर्णय लिया गया है कि केंद्र की बीजेपी सरकार देश में लोकतंत्र को समाप्त करना चाहती है। नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह में राष्ट्रपति को ना बुलाया जाना इसका प्रमाण है। इसके अलावा देश में बढ़ती महंगाई बेरोजगारी के लिए भी केंद्र की मोदी सरकार को जिम्मेदार बताते हुए महागठबंधन के घटक दल इसके विरोध में धरना प्रदर्शन करेंगे। कुल मिलाकर सियासी जानकारों का कहना है कि महागठबंधन को डर था कि कहीं कमेटी का गठन नहीं हुआ तो मांझी नाराज न हो जाएं। मांझी की नाराजगी अभी झेलने की स्थिति में महागठबंधन नहीं है। मांझी अगर अलग हो जाते हैं तो महागठबंधन को काफी नुकसान पहुंचा देंगे। वैसे पहले ही मुकेश साहनी और उपेंद्र कुशवाहा जैसे लोग महागठबंधन की जड़ में मट्ठा डालने का काम कर रहे हैं।