बिहार में इसी साल शुरू होंगे ये 3 हाइवे, मक्खन की तरह ड्राइविंग कर पाएंगे नालंदा, नवादा, जमुई और सीतामढ़ी के लोग h3>
सीतामढ़ी/नालंदा/पटना: बदहाल सड़कों के लिए मीडिया में सुर्खियां बनने वाले बिहार की छवि लगातार बदल रही है। इस बदलाव के तहत ही बिहारवासियों को इसी साल दो स्टेट और एक नेशनल हाइवे की सौगात मिलने जा रही है। तीनों हाइवे करीब 234 किमी लंबी होगी, जिससे बिहार के कई जिलों में रहने वाले लोगों को यातायात में सीधा फायदा होगा। बिहार में इसी साल रून्नी सैदपुर से भिसवा स्टेट हाइवे-87, कादिरगंज से खैरा स्टेट हाइवे-82 और गया से बिहारशरीफ एनएच-82 शुरू हो सकता है। आइए जानें किस हाइवे के शुरू होने से किन-किन जिलों को होगा फायदा।
नेशनल हाइवे 82 (NH82) से इन जिले के लोग भर सकेंगे फर्राटा
नेशनल हाइवे 82 (NH 82) बिहारशरीफ से गया के बीच बनकर तैयार होगा। एनएच-82 की चौड़ाई बढ़ाकर उसे फोरलेन किया जा रहा है। इस हाइवे के जरिए गया-हिसुआ-राजगीर-नालंदा से बिहारशरीफ तक यात्रा की जा सकती है। माना जा रहा है कि इस हाइवे के बनने से गया और नालंदा के पर्यटन कारोबार को काफी फायदा होगा। इस सड़क की लंबाई करीब 92.93 किलोमीटर है। माना जा रहा है कि इसके निर्माण पर कुल 2138 करोड़ रुपये खर्च होंगे। फिलहाल बिहारशरीफ से गया जाने में करीब चार घंटे लगते हैं, लेकिन अनुमान है कि इस फोरलेन हाइवे के बन जाने से यह दूरी 2 घंटे 30 मिनट में तय की जा सकेगी। इस फोरलेन हाइवे को 2018 में शुरू होना था, लेकिन कोरोना की वजह से प्रोजेक्ट तीन साल लेट है।
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स्टेट हाइवे-87 के बनने से नेपाल सीमा तक जाना होगा आसान
सीतामढ़ी जिले में स्टेट हाइवे 87 का निर्माण हो रहा है। उम्मीद है यह स्टेट हाइवे इस साल के अंत तक शुरू हो जाएगा। स्टेट हाइवे 87 रुन्नी सैदपुर से सुरसंड होते हुए भारत-नेपाल सीमा के पास भिसवा तक जाएगी। इसे मार्च 2021 में ही पूरा होना था, लेकिन कोरोना सहित अन्य वजहों के चलते अब इस साल शुरू हो सकता है। यह स्टेट हाइवे सीतामढ़ी और शिवहर जिले पिछड़े इलाके लोगों को खूब लाभ पहुंचाएगा। इसके अलावा इस हाइवे के शुरू होने से हिन्दूओं के विशेष धार्मिक स्थल सीता माता के जन्म स्थान नेपाल के जनकपुर में जाना आसान हो जाएगा। 67 किलोमीटर लंबे इस हाइवे की लागत 551 करोड़ है।
नवादा और जमुई जिले में बन रहा है एसएच-82
स्टेट हाइवे संख्या-82 नवादा जिले से जमुई के बीच बनकर तैयार हो रहा है। 75 किलोमीटर लंबी यह स्टेट हाइवे नवादा के कादिरगंज से जमुई जिले के खैरा के बीच बन रही है। इस सड़क का निर्माण तीन पैकेज में कराया जा रहा है। कोरोना की वजह से यह प्रोजेक्ट भी 2020 में पूरा होने के लक्ष्य से करीब दो साल पीछे है। स्टेट हाइवे 82 के बनने से मध्य बिहार के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में यातायात साधन सुगम हो जाएगा। जिले के सुदूर गांवों तक विकास पहुंच पाएगा।
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नेशनल हाइवे 82 (NH 82) बिहारशरीफ से गया के बीच बनकर तैयार होगा। एनएच-82 की चौड़ाई बढ़ाकर उसे फोरलेन किया जा रहा है। इस हाइवे के जरिए गया-हिसुआ-राजगीर-नालंदा से बिहारशरीफ तक यात्रा की जा सकती है। माना जा रहा है कि इस हाइवे के बनने से गया और नालंदा के पर्यटन कारोबार को काफी फायदा होगा। इस सड़क की लंबाई करीब 92.93 किलोमीटर है। माना जा रहा है कि इसके निर्माण पर कुल 2138 करोड़ रुपये खर्च होंगे। फिलहाल बिहारशरीफ से गया जाने में करीब चार घंटे लगते हैं, लेकिन अनुमान है कि इस फोरलेन हाइवे के बन जाने से यह दूरी 2 घंटे 30 मिनट में तय की जा सकेगी। इस फोरलेन हाइवे को 2018 में शुरू होना था, लेकिन कोरोना की वजह से प्रोजेक्ट तीन साल लेट है।
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स्टेट हाइवे-87 के बनने से नेपाल सीमा तक जाना होगा आसान
सीतामढ़ी जिले में स्टेट हाइवे 87 का निर्माण हो रहा है। उम्मीद है यह स्टेट हाइवे इस साल के अंत तक शुरू हो जाएगा। स्टेट हाइवे 87 रुन्नी सैदपुर से सुरसंड होते हुए भारत-नेपाल सीमा के पास भिसवा तक जाएगी। इसे मार्च 2021 में ही पूरा होना था, लेकिन कोरोना सहित अन्य वजहों के चलते अब इस साल शुरू हो सकता है। यह स्टेट हाइवे सीतामढ़ी और शिवहर जिले पिछड़े इलाके लोगों को खूब लाभ पहुंचाएगा। इसके अलावा इस हाइवे के शुरू होने से हिन्दूओं के विशेष धार्मिक स्थल सीता माता के जन्म स्थान नेपाल के जनकपुर में जाना आसान हो जाएगा। 67 किलोमीटर लंबे इस हाइवे की लागत 551 करोड़ है।
नवादा और जमुई जिले में बन रहा है एसएच-82
स्टेट हाइवे संख्या-82 नवादा जिले से जमुई के बीच बनकर तैयार हो रहा है। 75 किलोमीटर लंबी यह स्टेट हाइवे नवादा के कादिरगंज से जमुई जिले के खैरा के बीच बन रही है। इस सड़क का निर्माण तीन पैकेज में कराया जा रहा है। कोरोना की वजह से यह प्रोजेक्ट भी 2020 में पूरा होने के लक्ष्य से करीब दो साल पीछे है। स्टेट हाइवे 82 के बनने से मध्य बिहार के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में यातायात साधन सुगम हो जाएगा। जिले के सुदूर गांवों तक विकास पहुंच पाएगा।