बिहार-झारखंड की इन कमजोर सीटों पर ताकत झोंकेगी BJP, जेपी नड्डा ने किया 2024 चुनाव का शंखनाद
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारियों का आगाज कर लिया है। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने मंगलवार को बिहार के वैशाली में आयोजित लोकसभा सम्मेलन से इसकी शुरुआत की। वहीं पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा गृहमंत्री अमित शाह 7 जनवरी को एक दिवसीय दौरे पर झारखंड के चाईबासा पहुंच रहे हैं। बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा की 47 सीटों को बीजेपी ने अपने पूर्व प्रदर्शन और मौजूदा समीकरण को देखते हुए कमजोर आंका है और इन लोकसभा क्षेत्रों में विस्तारकों की तैनाती की है।
मिशन-2024 के तहत देश को दो हिस्सों में बांटकर बीजेपी ने अपनी कमजोर प्रदर्शन या हार वाली कुल 160 सीटों को चिह्नित किया है। बीजेपी के लिहाज से कमजोर प्रदर्शन वाले लोकसभा क्षेत्रों में बिहार-झारखंड समेत देश के पूर्वी राज्यों तथा हिन्दी पट्टी की कुल 90 सीटें हैं। वहीं, दक्षिण व मध्य भारत की 70 सीटें हैं। दिसंबर के तीसरे हफ्ते में कुल 19 राज्यों की तकरीबन 90 (अत्यंत खराब) सीटों पर फतह के लिए राष्ट्रीय महामंत्री बीएल संतोष की मौजूदगी में पटना में बैठक हुई। उसके बाद साल के अंत में हैदराबाद में इस श्रेणी की 70 सीटों को लेकर बीजेपी ने रणनीति बनाई।
पटना में हुई बैठक के बाद जिन 19 राज्यों की 90 सीटों पर भाजपा के विस्तारक काम शुरू कर चुके हैं उनमें बिहार की 10, प. बंगाल की 24, ओडिशा की 11, उत्तर प्रदेश की 14, पंजाब की 8, असम की 3, हरियाणा की 3, झारखंड, छत्तीसगढ़ और राजस्थान की 2-2, अरुणाचल, मणिपुर, नागालैंड, सिक्किम, जम्मू-कश्मीर, मध्य प्रदेश, मेधालय, त्रिपुरा और हिमाचल की एक-एक लोकसभा सीट शामिल है।
झारखंड की 14 लोकसभा सीटों में दो सीटें ऐसी हैं, जो 2019 में बीजेपी हारी थी। एक संतालपरगना की राजमहल और दूसरी कोल्हान की चाईबासा सीट। वहीं बिहार में बीजेपी ने कमजोर श्रेणी की सीटों में भले ही 10 लोकसभा क्षेत्रों यानी किशनगंज, नवादा, गया, झंझारपुर, कटिहार, मुंगेर, पूर्णिया, सुपौल, वैशाली, वाल्मीकिनगर को रखा है लेकिन पार्टी के नेता गोपालगंज और काराकाट को भी इसी श्रेणी का मान रहे हैं। ये तमाम सीटें या तो गठबंधन के घटक दलों के पास रही हैं या अब यहां के समीकरण उसके लिए कठिन हो गए हैं।
हर लोकसभा सीट पर बीजेपी ने सात विस्तारक तैनात किए
भारतीय जनता पार्टी 2019 लोकसभा चुनाव की तर्ज पर ‘विस्तारक’ फार्मूले के सहारे कमजोर सीटों को मुफीद बनाने में जुट गई है। हर लोकसभा क्षेत्र में सात विस्तारक तैनात किए जा चुके हैं। इनमें एक लोकसभा क्षेत्र का प्रभारी है जबकि 6 विस्तारकों को उस लोकसभा के तहत आने वाले विधानसभा क्षेत्रों का दायित्व सौंपा गया है। विस्तारकों के साथ ही मंडल अध्यक्ष और सभी बूथों पर पन्ना प्रमुखों को अंगीकार कर दल ने वोटरों के बीच अपनी रीति-नीति और काम का प्रचार-प्रसार शुरू कर दिया है। विस्तारक पार्टी की कान-आंख बनकर काम करेंगे, बीजेपी की विचारधारा को आगे बढ़ाएंगे। साथ ही जमीनी सच्चाई का फीडबैक देंगे और निचले स्तर तक बीजेपी के पक्ष में माहौल बनाएंगे।
बिहार में 22 सीटों पर होगी विशेष तैयारी
बिहार में भले ही दस सीटों को बीजेपी ने कमजोर श्रेणी में रखा है, लेकिन कुल यहां 22 ऐसी सीटें चिह्नित की गई हैं जहां विशेष तैयारी की जाएगी। महागठबंधन का वोटबैंक और जातीय समीकरण के आधार पर इन्हें चुनौतीपूर्ण आंका गया है। आपको बताते चलें कि यहां की 40 में से 17 सीटें अभी बीजेपी के पास हैं।
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मार्च तक सभी 77,259 बूथों पर पन्ना कमेटी
बीजेपी ने बिहार के लोकसभा क्षेत्रों में अपने विस्तारकों को उतार दिया है। यहां के सभी उसके 1100 मंडलों में मंडल अध्यक्ष काम कर रहे हैं। 77,259 बूथों में से 60,108 पर पार्टी ने पन्ना प्रमुख बना लिए हैं। शेष बनाए जा रहे हैं। मार्च तक हर बूथ पर पन्ना कमेटी गठित हो जानी है। फिलहाल वोटर लिस्ट के एक पन्ने में दर्ज औसतन 30 वोटरों से एक पन्ना प्रमुख लगातार सम्पर्क में रहेंगे। मार्च के बाद पन्ना कमेटी के सभी 5 सदस्य आपस में 6-6 वोटर बांटकर इस सम्पर्क को और सघन करेंगे।