बिहार के हर जिला अस्पताल में होगी ICU और HDU वार्ड की सुविधा, सरकारी तैयारियां तेज h3>
बिहार में सरकारी स्वास्थ्य सेवा को मजबूत बनाने के लिए राज्य सरकार इस वित्तीय वर्ष के अंत तक हर जिला अस्पताल में इंटेंसिव केयर यूनिट (ICU Ward) और हाई डिपेंडेंसी यूनिट (HDU Ward) की सुविधा शुरू कर देगी। राज्य के 37 जिलों में अभी एक तिहाई जिला अस्पतालों में ही आईसीयू वार्ड की सुविधा है जो बहुत ज्यादा गंभीर मरीजों के इलाज के लिए चाहिए। आईसीयू में सबसे गंभीर मरीजों का इलाज होता है जबकि उनसे थोड़ा कम लेकिन सामान्य वार्ड से ज्यादा गंभीर रोगियों का इलाज एचडीयू वार्ड में होता है। बिहार राज्य स्वास्थ्य समिति ने जरूरत और उपलब्धता के अंतर का विश्लेषण करने के बाद आईसीयू सुविधा वाले अस्पतालों में बेड बढ़ाने और जहां यह सुविधा नहीं है, वहां चालू करने की कोशिश कर रही है।
आईसीयू को संचालित करने के लिए स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की जरूरत होगी जिनकी संख्या कम है। कमी को देखते हुए ट्रेनिंग का काम चालू हो गया है। मौजूदा डॉक्टरों को आईसीयू की जरूरतों के लिहाज से प्रशिक्षित करने के लिए पटना के इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में दो महीने पहले 20 चिकित्सकों को ट्रेनिंग दी गई थी। स्वास्थ्य समिति के अधिकारी उपकरणों की सूची बना रहे हैं जो इस समय जिलों में बिना इस्तेमाल की पड़ी हैं। उन उपकरणों को नई जगह पर लगाया जाएगा। अधिकारी ने बताया कि जिलों में वेंटिलेटर सपोर्ट के साथ आईसीयू और ऑक्सीजन सपोर्ट के साथ एचडीयू की सुविधा वाले नए अस्पताल भवन बनाने का काम चालू है।
14 करोड़ की आबादी वाले बिहार में अगर हर जिला अस्पताल में आईसीयू और एचडीयू वार्ड की सुविधा उपलब्ध हो जाएगी तो राज्य के 13 सरकारी और 8 प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों पर मरीजों का बोझ कम होगा और साथ में गरीबों का इलाज खर्च भी नीचे आएगा। जिला मुख्यालयों में रोगी को प्राइवेट क्लिनिक और निजी अस्पतालों में आईसीयू सुविधा के नाम पर मनमानी फीस वसूली से छुटकारा मिल पाएगा।
स्वास्थ्य समिति की तैयारी है कि एक बार जब हर जिले में आईसीयू और एचडीयू वार्ड चालू हो जाएं तो उन्हें दिल्ली, पटना, देवघर और गोरखपुर के एम्स और बीएचयू के मेडिकल कॉलेज से टेली-मेडिसिन सुविधा के जरिए जोड़ दिया जाएगा। राज्य में इस तरह का एक प्रयोग सफल हो चुका है। औरंगाबाद के चार बेड के आईसीयू को एम्स दिल्ली से डेली-मेडिसिन से जोड़ा गया है और इसके जरिए 2020-21 में कोविड लहर के दौरान यहां 34 मरीजों की जान बचाई गई।
एक अंतरराष्ट्रीय हेल्थ एनजीओ पाथ (PATH) के बिहार प्रमुख अजित कुमार सिंह कोविड मरीजों के डेटा के आधार बताते हैं कि सिर्फ 15 फीसदी मरीजों को आईसीयू या एचडीयू वार्ड की जरूरत पड़ती है। उसमें सिर्फ 2 परसेंट को वेंटिलेटर और 5 परसेंट को ऑक्सीजन सपोर्ट की आवश्यकता होती है। सड़क दुर्घटना, हर्ट अटैक, स्ट्रोक जैसी बीमारियों के मरीजों में 15 परसेंट को क्रिटिकल केयर की जरूरत होती है। सिंह ने कहा कि बिहार सरकार की यह पहला आम लोगों को ऐसे हाल में प्राइवेट अस्पताल के महंगे खर्च से बचाएगी।
आईसीयू और एचडीयू सुविधा हर जिले में चालू होने से राज्य को केंद्र सरकार की आयुष्मान भारत योजना से कमाई भी होगी। इस योजना के तहत कवर परिवारों को 5 लाख के इलाज की सुविधा मिलती है जिसमें हर इलाज और सामान का दाम तय होता है। आयुष्मान भारत योजना के नाम से प्रचलित प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के बिहार में 8 करोड़ लाभार्थी हैं।
बिहार में इस समय 12 जिलों में आईसीयू की सुविधा है जिसमें कटिहार में 14 बेड, बेगूसराय और जमुई में 12-12 बेड, सहरसा, अररिया और किशनगंज में 10-10 बेड, मुंगेर में 6 बेड, मधेपुरा में 5 बेड, औरंगाबाद, छपरा, मोतिहारी और मुजफ्फरपुर में 4-4 बेड के आईसीयू वार्ड चालू हैं।
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बिहार में सरकारी स्वास्थ्य सेवा को मजबूत बनाने के लिए राज्य सरकार इस वित्तीय वर्ष के अंत तक हर जिला अस्पताल में इंटेंसिव केयर यूनिट (ICU Ward) और हाई डिपेंडेंसी यूनिट (HDU Ward) की सुविधा शुरू कर देगी। राज्य के 37 जिलों में अभी एक तिहाई जिला अस्पतालों में ही आईसीयू वार्ड की सुविधा है जो बहुत ज्यादा गंभीर मरीजों के इलाज के लिए चाहिए। आईसीयू में सबसे गंभीर मरीजों का इलाज होता है जबकि उनसे थोड़ा कम लेकिन सामान्य वार्ड से ज्यादा गंभीर रोगियों का इलाज एचडीयू वार्ड में होता है। बिहार राज्य स्वास्थ्य समिति ने जरूरत और उपलब्धता के अंतर का विश्लेषण करने के बाद आईसीयू सुविधा वाले अस्पतालों में बेड बढ़ाने और जहां यह सुविधा नहीं है, वहां चालू करने की कोशिश कर रही है।
आईसीयू को संचालित करने के लिए स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की जरूरत होगी जिनकी संख्या कम है। कमी को देखते हुए ट्रेनिंग का काम चालू हो गया है। मौजूदा डॉक्टरों को आईसीयू की जरूरतों के लिहाज से प्रशिक्षित करने के लिए पटना के इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में दो महीने पहले 20 चिकित्सकों को ट्रेनिंग दी गई थी। स्वास्थ्य समिति के अधिकारी उपकरणों की सूची बना रहे हैं जो इस समय जिलों में बिना इस्तेमाल की पड़ी हैं। उन उपकरणों को नई जगह पर लगाया जाएगा। अधिकारी ने बताया कि जिलों में वेंटिलेटर सपोर्ट के साथ आईसीयू और ऑक्सीजन सपोर्ट के साथ एचडीयू की सुविधा वाले नए अस्पताल भवन बनाने का काम चालू है।
14 करोड़ की आबादी वाले बिहार में अगर हर जिला अस्पताल में आईसीयू और एचडीयू वार्ड की सुविधा उपलब्ध हो जाएगी तो राज्य के 13 सरकारी और 8 प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों पर मरीजों का बोझ कम होगा और साथ में गरीबों का इलाज खर्च भी नीचे आएगा। जिला मुख्यालयों में रोगी को प्राइवेट क्लिनिक और निजी अस्पतालों में आईसीयू सुविधा के नाम पर मनमानी फीस वसूली से छुटकारा मिल पाएगा।
स्वास्थ्य समिति की तैयारी है कि एक बार जब हर जिले में आईसीयू और एचडीयू वार्ड चालू हो जाएं तो उन्हें दिल्ली, पटना, देवघर और गोरखपुर के एम्स और बीएचयू के मेडिकल कॉलेज से टेली-मेडिसिन सुविधा के जरिए जोड़ दिया जाएगा। राज्य में इस तरह का एक प्रयोग सफल हो चुका है। औरंगाबाद के चार बेड के आईसीयू को एम्स दिल्ली से डेली-मेडिसिन से जोड़ा गया है और इसके जरिए 2020-21 में कोविड लहर के दौरान यहां 34 मरीजों की जान बचाई गई।
एक अंतरराष्ट्रीय हेल्थ एनजीओ पाथ (PATH) के बिहार प्रमुख अजित कुमार सिंह कोविड मरीजों के डेटा के आधार बताते हैं कि सिर्फ 15 फीसदी मरीजों को आईसीयू या एचडीयू वार्ड की जरूरत पड़ती है। उसमें सिर्फ 2 परसेंट को वेंटिलेटर और 5 परसेंट को ऑक्सीजन सपोर्ट की आवश्यकता होती है। सड़क दुर्घटना, हर्ट अटैक, स्ट्रोक जैसी बीमारियों के मरीजों में 15 परसेंट को क्रिटिकल केयर की जरूरत होती है। सिंह ने कहा कि बिहार सरकार की यह पहला आम लोगों को ऐसे हाल में प्राइवेट अस्पताल के महंगे खर्च से बचाएगी।
आईसीयू और एचडीयू सुविधा हर जिले में चालू होने से राज्य को केंद्र सरकार की आयुष्मान भारत योजना से कमाई भी होगी। इस योजना के तहत कवर परिवारों को 5 लाख के इलाज की सुविधा मिलती है जिसमें हर इलाज और सामान का दाम तय होता है। आयुष्मान भारत योजना के नाम से प्रचलित प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के बिहार में 8 करोड़ लाभार्थी हैं।
बिहार में इस समय 12 जिलों में आईसीयू की सुविधा है जिसमें कटिहार में 14 बेड, बेगूसराय और जमुई में 12-12 बेड, सहरसा, अररिया और किशनगंज में 10-10 बेड, मुंगेर में 6 बेड, मधेपुरा में 5 बेड, औरंगाबाद, छपरा, मोतिहारी और मुजफ्फरपुर में 4-4 बेड के आईसीयू वार्ड चालू हैं।