बिहार के सीतामढ़ी के एक गांव का अनोखा फैसला जानकर हैरान हो जाएंगे आप h3>
सीतामढ़ी: बिहार के सीतामढ़ी जिला के एक गांव के लोगों ने पूर्वजों की चली आ रही एक परंपरा पर सदा के लिए विराम लगा दिया। यानी इस गांव के लोग अब श्राद्धकर्म पर भोज का आयोजन नहीं करेंगे। ग्रामीणों ने सामूहिक रूप से बैठक कर मृत्यु भोज नही करने और इसका बहिष्कार करने का निर्णय लिया है। उक्त निर्णय को कुछ लोग सराह रहे है, तो कुछ लोग उचित निर्णय नहीं बता रहे है। खास बात यह कि मृत्यु भोज के बहिष्कार के निर्णय के दौरान एक पूर्व विधायक भी मौजूद थे।
कचबचीपुर गांव के लोगों का है निर्णय
मृत्यु भोज का बहिष्कार करने का निर्णय कचबचीपुर गांव के लोगों का है। यह गांव सीतामढ़ी शहर से कुछ ही किमी पर है, जो डुमरा प्रखंड की रंजीतपुर पूर्वी पंचायत में पड़ता है। गुरुवार को गांव में पितृपक्ष के अवसर पर गांव प्रो शशिभूषण सिंह की अध्यक्षता में एक श्रद्धांजलि-सभा का आयोजन किया गया। उक्त कार्यक्रम का संचालन पूर्व मुखिया राम चरण सिंह ने किया। मुख्य अतिथि के रूप में सीतामढ़ी के पूर्व विधायक सुनील सिंह कुशवाहा एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में पूर्व मुखिया श्याम सिंह कुशवाहा, सेवानिवृत्त शिक्षक हरदेव बैठा एवं महंत सिंह मौजूद थे।
क्यों आई बहिष्कार करने की नौबत
पूर्व मुखिया राम चरण सिंह ने बताया कि 21 मई को ग्रामीण धरखन सिंह की पत्नी, कौशल किशोर सिंह एवं युगल किशोर सिंह की मां पानो देवी का देहांत हो गया था। 31 मई को श्राद्ध कर्म एवं एक जुलाई को पितृपक्ष का कार्यक्रम होना था। बताया कि धरखन सिंह की आर्थिक स्थिति काफी कमजोर है। उनके लिए मृत्यु भोज करना संभव नहीं था। ग्रामीणों ने धरखन सिंह की आर्थिक स्थिति को देखते हुए श्राद्ध भोज का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है। उक्त निर्णय से पूरा ग्रामीण खुश है। इस निर्णय को हमेशा बरकरार रखने पर सहमति बनी है।
जनहित में लिया गया है यह निर्णय
पितृपक्ष के कार्यक्रम के दौरान वक्ताओं ने कहा कि घर में किसी के मरने के बाद परिवार के सभी लोग आहत रहते है, बिलखते रहते हैं। समाज की चली आ रही पुरानी परंपरा के अनुसार मृत्यु के बाद भोज करने का प्रावधान किया गया है, जो बहुत बड़ी विडंबना है। इस परंपरा का बहिष्कार करना जनहित में है। सेवानिवृत्त शिक्षक हरदेव बैठा ने कहा कि मृत्यु भोज नहीं खाना चाहिए मृत्युभोज से समाज का विकास अवरुद्ध होता है। कहा कि मनुष्य में चेतना है, जागृति है फिर भी लोग मृत्यु भोज खाने के लिए तैयार रहते हैं। अब सामाजिक मृत्यु भोज का बहिष्कार करना समय की मांग है। कार्यक्रम को पूर्व विधायक सुनील सिंह कुशवाहा के आलावा महंथ सिंह, श्याम सिंह कुशवाहा, हरदेव बैठा, ईश्वर नारायणदास, नंदकिशोर सिंह, पूर्व मुखिया राम चरण सिंह, हीरा श्रीवास्तव, राघव भगत, राम श्रेष्ठ सिंह, सुनील कुमार सिंह, धर्मेंद्र कुमार, सुनील कुमार, राम ईश्वर सिंह व नागेंद्र सिंह समेत अन्य लोग मौजूद थे।
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कचबचीपुर गांव के लोगों का है निर्णय
मृत्यु भोज का बहिष्कार करने का निर्णय कचबचीपुर गांव के लोगों का है। यह गांव सीतामढ़ी शहर से कुछ ही किमी पर है, जो डुमरा प्रखंड की रंजीतपुर पूर्वी पंचायत में पड़ता है। गुरुवार को गांव में पितृपक्ष के अवसर पर गांव प्रो शशिभूषण सिंह की अध्यक्षता में एक श्रद्धांजलि-सभा का आयोजन किया गया। उक्त कार्यक्रम का संचालन पूर्व मुखिया राम चरण सिंह ने किया। मुख्य अतिथि के रूप में सीतामढ़ी के पूर्व विधायक सुनील सिंह कुशवाहा एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में पूर्व मुखिया श्याम सिंह कुशवाहा, सेवानिवृत्त शिक्षक हरदेव बैठा एवं महंत सिंह मौजूद थे।
क्यों आई बहिष्कार करने की नौबत
पूर्व मुखिया राम चरण सिंह ने बताया कि 21 मई को ग्रामीण धरखन सिंह की पत्नी, कौशल किशोर सिंह एवं युगल किशोर सिंह की मां पानो देवी का देहांत हो गया था। 31 मई को श्राद्ध कर्म एवं एक जुलाई को पितृपक्ष का कार्यक्रम होना था। बताया कि धरखन सिंह की आर्थिक स्थिति काफी कमजोर है। उनके लिए मृत्यु भोज करना संभव नहीं था। ग्रामीणों ने धरखन सिंह की आर्थिक स्थिति को देखते हुए श्राद्ध भोज का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है। उक्त निर्णय से पूरा ग्रामीण खुश है। इस निर्णय को हमेशा बरकरार रखने पर सहमति बनी है।
जनहित में लिया गया है यह निर्णय
पितृपक्ष के कार्यक्रम के दौरान वक्ताओं ने कहा कि घर में किसी के मरने के बाद परिवार के सभी लोग आहत रहते है, बिलखते रहते हैं। समाज की चली आ रही पुरानी परंपरा के अनुसार मृत्यु के बाद भोज करने का प्रावधान किया गया है, जो बहुत बड़ी विडंबना है। इस परंपरा का बहिष्कार करना जनहित में है। सेवानिवृत्त शिक्षक हरदेव बैठा ने कहा कि मृत्यु भोज नहीं खाना चाहिए मृत्युभोज से समाज का विकास अवरुद्ध होता है। कहा कि मनुष्य में चेतना है, जागृति है फिर भी लोग मृत्यु भोज खाने के लिए तैयार रहते हैं। अब सामाजिक मृत्यु भोज का बहिष्कार करना समय की मांग है। कार्यक्रम को पूर्व विधायक सुनील सिंह कुशवाहा के आलावा महंथ सिंह, श्याम सिंह कुशवाहा, हरदेव बैठा, ईश्वर नारायणदास, नंदकिशोर सिंह, पूर्व मुखिया राम चरण सिंह, हीरा श्रीवास्तव, राघव भगत, राम श्रेष्ठ सिंह, सुनील कुमार सिंह, धर्मेंद्र कुमार, सुनील कुमार, राम ईश्वर सिंह व नागेंद्र सिंह समेत अन्य लोग मौजूद थे।