बिहार के बबीता की बुलंद उड़ान, राष्ट्रपति देंगी पुरस्कार
बबीता का बुलंद प्रयास
स्वयं सहायता समूह (SHG)-जीविका की एक सदस्य, बबीता कृत्रिम फूलों के गुलदस्ते, कतरनों, पेंडेंट, पाउच, पर्स और बैग जैसी सजावटी वस्तुओं में बेकार प्लास्टिक का रचनात्मक रूप से पुन: उपयोग कर रही है। ऐसा करके वह न केवल बेकार प्लास्टिक के पुन: उपयोग को बढ़ावा देती हैं, बल्कि पर्यावरण पर इसके नकारात्मक प्रभाव को भी कम करती हैं। बबिता के परिवार के लिए सब कुछ ठीक चल रहा था। अचानक उनके पति दिव्यांग हो गये। बबीता पर पूरे परिवार की जिम्मेदारी आ गई। परिवार को आर्थिक मुश्किल में देखकर बबीता ने खुद का स्टार्टअप जैसा कुछ शुरू किया। उसके बाद वो जीविका से जुड़ीं। हालांकि, जीविका से जुड़ने के बाद उन्हें अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार दिखाई देने लगा।
जीविका से जुड़ी हैं बबीता
वर्तमान में, वह स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के तहत मुजफ्फरपुर जिले के सकरा में स्थापित प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट यूनिट (PWMU) से जुड़ी हुई हैं। प्रखंड के सभी ग्राम पंचायतों से एकत्रित प्लास्टिक कचरा इसी पीडब्लूएमयू में आता है। जहां बबिता को जरूरत के मुताबिक प्लास्टिक मिलता है। जिला प्रशासन ने पीडब्लूएमयू, सकरा में एक प्रशिक्षण सुविधा स्थापित की है। जहां बबीता प्लास्टिक कचरे से उपयोगी सामान बनाने के बारे में कार्यशाला आयोजित करती हैं। वह घर-घर जाती है और महिलाओं को इस शिल्प को सीखने और पैसे कमाने के लिए आमंत्रित करती है।
महिलाओं का आत्मविश्वास बढ़ेगा
राष्ट्रीय स्तर का पुरस्कार उन लोगों के आत्मविश्वास को बढ़ाएगा जो कचरे को ‘संसाधन’ और आय के स्रोत के रूप में उपयोग करते हैं। गांवों को ओडीएफ प्लस बनाने के लिए लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान (एलएसबीए)-द्वितीय चरण के तहत ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन को लागू किया जा रहा है । राज्य में लगभग 39,600 वार्ड अब ठोस अपशिष्ट प्रबंधन पर काम कर रहे हैं। प्रभावी ठोस अपशिष्ट निपटान के लिए 638 ग्राम पंचायतों में अपशिष्ट प्रसंस्करण इकाइयां (डब्ल्यूपीयू) बनाई गई हैं। प्लास्टिक कचरे के उचित निस्तारण के लिए ब्लॉक स्तर पर कुल 16 प्लास्टिक वेस्ट प्रोसेसिंग यूनिट का निर्माण किया गया है।