बिहार की जेलों में शराबी कैदियों की भरमार, जानिए सरकार ने क्या किये हैं नये उपाय
शराबबंदी की सफलता के बड़े-बड़े दावे, पर हकीकत दूसरी
सीएम नीतीश कुमार शराबबंदी की सफलता को लेकर बड़े-बड़े दावे करते रहे हैं। इसकी पोल तब खुल जाती है, जब जहरीली शराब के सेवन से मौतों की खबर सामने आती है। रोज ही बिहार के अलग-अलग हिस्सों से शराब पकड़े जाने की सूचनाएं आती ही रहती हैं। शराब पीने और शराब तस्करी की तस्वीरें भी वायरल होती हैं। पकड़े जाने के बाद भी पुलिस लोगों से पैसे लेकर जेल नहीं भेजती। शराब तस्करी के नायाब तरीके धंधेबाजों ने ढूंढ निकाले हैं। कभी एंबुलेंस में रखे ताबूत में छिपायी शराब पकड़ी जाती है तो कभी एलपीजी सिलिंडर में। जीतन राम मांझी समेत कई नेता जहरीली शराब से मौत के बाद कानून की समीक्षा की मांग करते रहे हैं, लेकिन सरकार अपनी जिद पर अड़ी है।
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साल 2022 में डेढ़ लाख से अधिक लोगों को हुई थी सजा
मद्य निषेध विभाग की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार साल 2022 में 1 लाख 55 हजार 867 लोगों को शराबबंदी कानून के तहत सजा हुई थी। इनमें 1 लाख 51 हजार 591 लोग तो जुर्माना देकर जेल जाने से बच गए। महज 3 हजार 622 को ही एक माह कारावास की सजा हुई। इनमें वैसे लोग भी शामिल थे, जो दोबारा शराब का सेवन करने के आरोप में पकड़े गए थे। शराब के कारोबार में लगे 400 से अधिक लोगों को न्यूनतम एक साल तो अधिकतम 10 साल की सजा हुई। अप्रैल 2022 में राज्य सरकार ने शराबबंदी कानून में संशोधन किया था। संशोधन में प्रावधान था कि पहली बार शराब पीने वाले दो से पांच हजार रुपये तक जुर्माना देकर जेल जाने से बच सकते हैं। शराब कारोबारियों और तस्करों पर सख्ती में कोई रियायत नहीं दी गई। उनके लिए एक साल से आजीवन कारवास की सजा का प्रावधान अब भी है।
कोर्ट में लंबित हैं मामले
शराबबंदी लागू होने के बाद अप्रैल, 2016 से 31 दिसंबर 2021 के बीच सिर्फ 1 हजार 686 ट्रायल ही पूरा हो पाये थे। इनमें 1 हजार 062 आरोपियों को तीन महीने से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा सुनाई गई थी। चर्चित खजूरबनी शराब कांड के दोषियों को भी सजा सुनाई गई थी। साल 2022 तक 1 लाख 55 हजार 867 अभियुक्तों को सजा सुनाई गई। 3 हजार 622 अभियुक्तों को एक माह जेल की सजा हुई। 113 अभियुक्तों को 3 माह जेल या 50 हजार रुपये जुर्माना की सजा हुई। 202 अभियुक्तों को एक साल की सजा तो 198 अभियुक्तों को 5 साल की सजा सुनाई गई। 9 अभियुक्तों को 6 साल, 23 अभियुक्तों को 7 साल, 6 अभियुक्तों को 8 साल और 33 अभियुक्तों को 10 साल की सजा सुनाई गई।
जेलों पर बढ़ रहा कैदियों का भार, 13 नई जेल बनाएगी सरकार
बिहार की जेलों में कैदियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए राज्य सरकार ने 13 नई जेल बनाने का फैसला लिया है। एक मंडल स्तरीय जेल मधेपुरा में बनना है तो 12 अनुमंडल स्तरीय जेल कहलगांव, निर्मली, नरकटियागंज, राजगीर, मढौरा, रजौली, सिवान, गोपालगंज, चकिया, पकड़ीदयाल, महनार और सिमरी बख्तियारपुर में बनाने की तैयारी है। इन जेलों में हजार कैदियों के रहने की व्यवस्था होगी। अभी तक यह महज प्रस्ताव के स्तर पर है। सरकार की स्वीकृति मिलनी अभी बाकी है। इन जगहों के अलावा मंडल कारा भभुआ, जमुई, औरंगाबाद, अरवल और उप कारा पालीगंज में मौजूदा जेलों में अतिरिक्त नए भवन भी बनाए जा रहे हैं। कुछ स्थानों पर तो नए भवन का निर्माण कार्य पूरा भी हो गया है। 15 जेलों में 33 अतिरिक्त बंदी कक्ष के निर्माण की भी स्वीकृति सरकार ने दे दी है। पांच जेलों में नए कारा भवन और 15 काराओं में 33 नए बंदी कक्ष बन जाने के बाद 9.5 हजार और कैदियों के रखने की क्षमता हो जाएगी।
रिपोर्ट- ओमप्रकाश अश्क