बिलाबॉन्ग हाई इंटरनेशनल स्कूल कांड- स्कूल से ज्यादा पुलिस है इसकी जिम्मेदार, जानें कैसे? | A mistake of MP police made such a big scandal in the high profile sch | Patrika News h3>
दरअलस पिछले दिनाें राजधानी भाेपाल के बिलाबॉन्ग हाई इंटरनेशनल स्कूल में हुए कांड के बाद जहां मप्र पुलिस इसकी सारी जिम्मेदारी स्कूल प्रशासन पर डालकर खुद काे साफसुथरा पेश करने की काेशिश कर रही है, वहीं जाे चीजें जांच में निकल कर सामने आई हैं उनके अनुसार इस मामले में पहली चूक ताे पुलिस के द्वारा ही की गई, साथ ही ये भी माना जा रहा है कि यदि पुलिस इस चूक से बच जाती ताे ये कांड हाे ही नहीं पाता।
दरअसल पुलिस जांच में ही पाया गया है कि आरोपी ड्राइवर के खिलाफ 3 आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। उसे शराब पीने की लत थी। इसके बाद भी पुलिस ने स्कूल बस के लिए ड्राइवर को फिट बता दिया। वहीं जांच में ड्राइवर के पुलिस वेरिफिकेशन के संबंध में ट्रांसपोर्ट मैनेजर बिलाल का कहना है कि ड्रायवर हनुमंत जाटव द्वारा पुलिस वेरीफिकेशन खुद शाहपुरा थाने से कराकर लाया गया था। जबकि पुलिस का कहना है कि सारी गलती स्कूल मैनेजमेंट और ड्राइवर की है। वहीं पुलिस का ये भी कहना है कि पुलिस वेरिफिकेशन के समय ड्राइवर ने केवल अपना नाम बताया था और स्कूल मैनेजमेंट के प्रतिनिधि भी उसके साथ आए थे। इसलिए पुलिस ने उसे वेरीफाई कर दिया।
ऐसे में जानकाराें का मानना है कि यदि माने भी लें कि स्कूल मैनेजमेंट के प्रतिनिधि साथ आए ताे भी क्या क्या ऐसा ताे मुमकिन ही नहीं है कि पुलिस बिना जांच किए किसी काे भी वेरिफिकेशन प्रदान कर देती है वाे भी जिस पर पूर्व में दो केस दर्ज हाे और पुलिस काे मालूम ही न चले हाें, जबकि इस समय पुलिस काफी हाईटेक है।
लेकिन यहां मामला ताे ऐसा ही कि उसे उसी थाने शाहपुरा से वेरिफिकेशन प्रदान किया गया, जिस थाने क्षेत्र में ही मारपीट के उसके खिलाफ पहले से केस दर्ज (ट्रांसपोर्ट मैनेजर बिलाल के अनुसार) हैं। । ऐसे में ये भी प्रश्न उठता है कि क्या वेरिफिकेशन के समय गैरजिम्मेदाराना तरीके से कार्य कर रही थी या एक मशीन की तरह कि चूंकि इनपुट गलत था इसलिए आउटपुट भी गलत आ गया। अत: मशीनरुपी पुलिस की कोई गलती नहीं है।
इस मामले में ट्रांसपोर्ट मैनेजर बिलाल का कहना था कि वह जुलाई 2022 से स्कूल में कार्यरत है। अब पता चला है कि ड्राइवर के खिलाफ पहले से तीन केस दर्ज हैं। इनमें शाहपुरा थाने में मारपीट के दो और धार्मिक भावनाएं भड़काने का केस एमपी नगर थाने में दर्ज है।
अधिकांश जानकाराें का ताे ये भी मानना है कि ये वेरिफिकेशन बिना लेन-देन के संभव ही नहीं हाे पाया हाेगा क्याेंकि इस समय (वेरिफिकेशन) पुलिस ने उसका के समय उसका फोटो खींचने के साथ ही उसके फिंगरप्रिंट भी लिए हाेंगे, जिसके चलते उसके पूर्व के अपराध तुरंत सामने आ गए हाेंगे। इन जानकारियाें के समाने आने पर यदि पुलिस आराेपी काे वेरिफिकेशन प्रदान नहीं करती ताे ये कांड हाेना मुमकिन ही नहीं था।
ये जानकारी जाे पुलिस के गले की बन गई है फांस
दरअसल यदि पुलिस आरोपी ड्राइवर को क्लीन चिट ना देती ताे मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के हाई प्रोफाइल, बिलाबॉन्ग हाई इंटरनेशनल स्कूल की बस में 3 साल की मासूम बच्ची (और तीन अज्ञात मासूम लड़कियों) के साथ वह सब कुछ ना होता। यहां तक की जाे बाते सामने आ रहीं हैं उनके अनुसार पुलिस अधिकारियाें ने भी माना है कि आरोपी ड्राइवर के खिलाफ पूर्व में दो केस दर्ज होने का पता चला है। उसकी तस्दीक की जा रही है। जांच में ड्राइवर के पुलिस वेरिफिकेशन के संबंध में ट्रांसपोर्ट मैनेजर बिलाल ने कहा कि ड्रायवर हनुमंत जाटव द्वारा पुलिस वेरीफिकेशन खुद शाहपुरा थाने से कराकर लाया गया है।
दरअलस पिछले दिनाें राजधानी भाेपाल के बिलाबॉन्ग हाई इंटरनेशनल स्कूल में हुए कांड के बाद जहां मप्र पुलिस इसकी सारी जिम्मेदारी स्कूल प्रशासन पर डालकर खुद काे साफसुथरा पेश करने की काेशिश कर रही है, वहीं जाे चीजें जांच में निकल कर सामने आई हैं उनके अनुसार इस मामले में पहली चूक ताे पुलिस के द्वारा ही की गई, साथ ही ये भी माना जा रहा है कि यदि पुलिस इस चूक से बच जाती ताे ये कांड हाे ही नहीं पाता।
दरअसल पुलिस जांच में ही पाया गया है कि आरोपी ड्राइवर के खिलाफ 3 आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। उसे शराब पीने की लत थी। इसके बाद भी पुलिस ने स्कूल बस के लिए ड्राइवर को फिट बता दिया। वहीं जांच में ड्राइवर के पुलिस वेरिफिकेशन के संबंध में ट्रांसपोर्ट मैनेजर बिलाल का कहना है कि ड्रायवर हनुमंत जाटव द्वारा पुलिस वेरीफिकेशन खुद शाहपुरा थाने से कराकर लाया गया था। जबकि पुलिस का कहना है कि सारी गलती स्कूल मैनेजमेंट और ड्राइवर की है। वहीं पुलिस का ये भी कहना है कि पुलिस वेरिफिकेशन के समय ड्राइवर ने केवल अपना नाम बताया था और स्कूल मैनेजमेंट के प्रतिनिधि भी उसके साथ आए थे। इसलिए पुलिस ने उसे वेरीफाई कर दिया।
ऐसे में जानकाराें का मानना है कि यदि माने भी लें कि स्कूल मैनेजमेंट के प्रतिनिधि साथ आए ताे भी क्या क्या ऐसा ताे मुमकिन ही नहीं है कि पुलिस बिना जांच किए किसी काे भी वेरिफिकेशन प्रदान कर देती है वाे भी जिस पर पूर्व में दो केस दर्ज हाे और पुलिस काे मालूम ही न चले हाें, जबकि इस समय पुलिस काफी हाईटेक है।
लेकिन यहां मामला ताे ऐसा ही कि उसे उसी थाने शाहपुरा से वेरिफिकेशन प्रदान किया गया, जिस थाने क्षेत्र में ही मारपीट के उसके खिलाफ पहले से केस दर्ज (ट्रांसपोर्ट मैनेजर बिलाल के अनुसार) हैं। । ऐसे में ये भी प्रश्न उठता है कि क्या वेरिफिकेशन के समय गैरजिम्मेदाराना तरीके से कार्य कर रही थी या एक मशीन की तरह कि चूंकि इनपुट गलत था इसलिए आउटपुट भी गलत आ गया। अत: मशीनरुपी पुलिस की कोई गलती नहीं है।
इस मामले में ट्रांसपोर्ट मैनेजर बिलाल का कहना था कि वह जुलाई 2022 से स्कूल में कार्यरत है। अब पता चला है कि ड्राइवर के खिलाफ पहले से तीन केस दर्ज हैं। इनमें शाहपुरा थाने में मारपीट के दो और धार्मिक भावनाएं भड़काने का केस एमपी नगर थाने में दर्ज है।
अधिकांश जानकाराें का ताे ये भी मानना है कि ये वेरिफिकेशन बिना लेन-देन के संभव ही नहीं हाे पाया हाेगा क्याेंकि इस समय (वेरिफिकेशन) पुलिस ने उसका के समय उसका फोटो खींचने के साथ ही उसके फिंगरप्रिंट भी लिए हाेंगे, जिसके चलते उसके पूर्व के अपराध तुरंत सामने आ गए हाेंगे। इन जानकारियाें के समाने आने पर यदि पुलिस आराेपी काे वेरिफिकेशन प्रदान नहीं करती ताे ये कांड हाेना मुमकिन ही नहीं था।
ये जानकारी जाे पुलिस के गले की बन गई है फांस
दरअसल यदि पुलिस आरोपी ड्राइवर को क्लीन चिट ना देती ताे मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के हाई प्रोफाइल, बिलाबॉन्ग हाई इंटरनेशनल स्कूल की बस में 3 साल की मासूम बच्ची (और तीन अज्ञात मासूम लड़कियों) के साथ वह सब कुछ ना होता। यहां तक की जाे बाते सामने आ रहीं हैं उनके अनुसार पुलिस अधिकारियाें ने भी माना है कि आरोपी ड्राइवर के खिलाफ पूर्व में दो केस दर्ज होने का पता चला है। उसकी तस्दीक की जा रही है। जांच में ड्राइवर के पुलिस वेरिफिकेशन के संबंध में ट्रांसपोर्ट मैनेजर बिलाल ने कहा कि ड्रायवर हनुमंत जाटव द्वारा पुलिस वेरीफिकेशन खुद शाहपुरा थाने से कराकर लाया गया है।