बिना गलत नीयत नाबालिग के होंठ छूना POCSO अपराध नहीं: गरिमा का हनन और शील भंग का मामला बनेगा; दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला h3>
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नई दिल्ली47 मिनट पहले
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दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला दिया है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को कहा है कि गलत नीयत के बिना नाबालिग के होंठ छूना, दबाना और उसके बगल में सोना प्रिवेंशन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस (POCSO) के तहत यौन उत्पीड़न नहीं माना जा सकता। यह हरकत लड़की की गरिमा का हनन और शील भंग मामला माना जाएगा।
जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने एक फैसले में कहा कि शील भंग करने के इरादे से किसी लड़की पर हमला करने या बल का प्रयोग करने के लिए IPC की धारा 354 के तहत मामला बनता है। अदालत ने 24 फरवरी को यह फैसला सुनाया।
अनुचित शारीरिक संपर्क लड़की के आत्मसम्मान के खिलाफ 12 साल की नाबालिग बच्ची के चाचा पर POCSO एक्ट की धारा 10 और IPC की धारा 354 के तहत केस दर्ज हुआ था। हाईकोर्ट ने धारा 354 के तहत आरोप बरकरार रखा, लेकिन POCSO एक्ट में बरी कर दिया। आरोपी ने निचली अदालत के फैसले को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
नाबालिग बच्ची को उसकी मां ने बचपन में ही छोड़ दिया था। वह देखभाल केंद्र में रह रही थी। घटना के समय वह अपने परिवार से मिलने आई थी। कोर्ट ने कहा कि परिवार से सुरक्षा और स्नेह पाने की उम्मीद कर रही लड़की के साथ किया गया अनुचित शारीरिक संपर्क उसकी गरिमा और आत्मसम्मान का उल्लंघन करता है।
फैसले से जुड़ी अन्य बड़ी बातें…
- सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए कोर्ट ने कहा कि महिला या नाबालिग लड़की की गरिमा और शरीर की स्वायत्तता का सम्मान किया जाना चाहिए।
- लड़की ने अपने बयानों में कहीं भी यह नहीं कहा कि उसके साथ यौन उत्पीड़न हुआ या इस तरह की कोई कोशिश हुई।
- मामूली शारीरिक संपर्क भी जब किसी इरादे या जान-बूझकर किया जाता है कि इससे शील भंग होने की संभावना है। यह IPC की धारा 354 के लिए पर्याप्त है।
- जब किसी व्यक्ति को जेल की लंबी सजा का खतरा हो तो ट्रायल कोर्ट से अपेक्षा की जाती है कि उचित तर्क और सबूत के आधार पर फैसला दे।
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कोर्ट से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें…
सुप्रीम कोर्ट बोला- शादी का वादा तोड़ना रेप नहीं, न आत्महत्या के लिए प्रेरित करना
सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में कहा कि 16 साल तक लिव-इन रिलेशनशिप में रहने के बाद कोई महिला रेप का आरोप नहीं लगा सकती। सिर्फ शादी करने का वादा तोड़ने से रेप का मामला नहीं बनता, जब तक यह साबित न हो जाए कि शुरुआत से ही शादी की कोई मंशा नहीं थी। पूरी खबर पढ़ें…
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दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला दिया है।
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जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने एक फैसले में कहा कि शील भंग करने के इरादे से किसी लड़की पर हमला करने या बल का प्रयोग करने के लिए IPC की धारा 354 के तहत मामला बनता है। अदालत ने 24 फरवरी को यह फैसला सुनाया।
अनुचित शारीरिक संपर्क लड़की के आत्मसम्मान के खिलाफ 12 साल की नाबालिग बच्ची के चाचा पर POCSO एक्ट की धारा 10 और IPC की धारा 354 के तहत केस दर्ज हुआ था। हाईकोर्ट ने धारा 354 के तहत आरोप बरकरार रखा, लेकिन POCSO एक्ट में बरी कर दिया। आरोपी ने निचली अदालत के फैसले को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
नाबालिग बच्ची को उसकी मां ने बचपन में ही छोड़ दिया था। वह देखभाल केंद्र में रह रही थी। घटना के समय वह अपने परिवार से मिलने आई थी। कोर्ट ने कहा कि परिवार से सुरक्षा और स्नेह पाने की उम्मीद कर रही लड़की के साथ किया गया अनुचित शारीरिक संपर्क उसकी गरिमा और आत्मसम्मान का उल्लंघन करता है।
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- मामूली शारीरिक संपर्क भी जब किसी इरादे या जान-बूझकर किया जाता है कि इससे शील भंग होने की संभावना है। यह IPC की धारा 354 के लिए पर्याप्त है।
- जब किसी व्यक्ति को जेल की लंबी सजा का खतरा हो तो ट्रायल कोर्ट से अपेक्षा की जाती है कि उचित तर्क और सबूत के आधार पर फैसला दे।
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