बिना ईश्वर की कृपा के कोई भी प्राणी सत्संग में नहीं पहुंच सकता | Sant Samagam on the Patotsav of Rameshwaram Mahadev in Saketdham | Patrika News
कर्मकांड का शुद्धिकरण के पश्चात अंतःकरण की शुद्धि होती है।आदि शंकराचार्य ने सनातन धर्म का उद्धार किया। वह अवतारी महापुरुष थे। सत्संग में वही प्राणी पहुंचता है जिस पर ईश्वर की कृपा होती है। बिना ईश्वर की कृपा के कोई भी प्राणी सत्संग में नहीं पहुंच सकता है।ग्वारीघाट स्थित साकेतधाम में रामेश्वरम महादेव के पाटोत्सव पर संत समागम में स्वामी मुक्तानंद ने यह कहा।
साकेतधाम में रामेश्वरम महादेव के पाटोत्सव पर संत समागम में बोले स्वामी मुक्तानंद
जबलपुर।
कर्मकांड का शुद्धिकरण के पश्चात अंतःकरण की शुद्धि होती है।आदि शंकराचार्य ने सनातन धर्म का उद्धार किया। वह अवतारी महापुरुष थे। सत्संग में वही प्राणी पहुंचता है जिस पर ईश्वर की कृपा होती है। बिना ईश्वर की कृपा के कोई भी प्राणी सत्संग में नहीं पहुंच सकता है।ग्वारीघाट स्थित साकेतधाम में रामेश्वरम महादेव के पाटोत्सव पर संत समागम में स्वामी मुक्तानंद ने यह कहा।
इस अवसर पर साध्वी ज्ञानेश्वरी दीदी कहा कि असली संत वही है जो दूसरों के कल्याण के लिए अपनी जान देने से भी पीछे नहीं हटता है। जिस पुरुष के पास भक्ति व सत्संग की पूंजी है, उसे कोई पराजित नहीं कर सकता है। व्यक्ति वेशभूषा से नहीं चरित्र से संत होता है। चरित्र से बना संत महान होता है। स्वामी गिरिशानंद सरस्वती ने कहा कि निष्कामता से सकामता श्रेष्ठ है। प्रताप भानु नकली निष्कामता के कारण राक्षस हुए और रावण के रूप में जन्म लेते है। निष्काम कर्मयोगी ही ब्रह्मविद्या का अधिकारी है श्रद्धावान ही धर्म तत्व को जान सकता है। बाबा कल्याण दास ने कहा कि धर्म से वैराग्य जोग से ज्ञान और जान से मोक्ष प्राप्त होता है प्रत्येक मनुष्य आंतरिक दुख की निवृत्ति चाहता है सुख की कामना करता है अंतःकरण चेतना से जीव बनता है ऐसे जीव का आत्मा का आवरण होता है। तब यह जीवात्मा परमात्मा से मिलता है। ज्ञान का अभिमान ही अज्ञानता है। धर्म ग्रंथों में भारत शब्द है, उनका ही भारत में अधिकार है। हिंदू में हिंदुत्व है। साधन की शुद्धि ही साध्य को प्राप्त करा सकती है।
स्वामी विज्ञानानंद ने कहा कि ब्रम्हा अभिनाशी नही हैं, उसका भी समय निर्धारित है, जो अभिनाशी है वह शिव है। यज्ञ वह सफल होता है जो उचित अवसर पर होता है। शिव विरागी है और विरागी को रागी बनाकर ही शिवत्व की प्राप्ति होती है।
इस अवसर पर स्वामी अखंडानंद सरस्वती अलंकरण समारोह में स्वामी गिरिशानंद सरस्वती द्वारा स्वामी विज्ञानानंद को सम्मानित किया गया। संत विद्वानों का स्वागत अभिनंदन के एन दुबे, संजय अग्रवाल, राजेश केडिया, विवेक पाठक, पवन अग्रवाल, प्रभात साहू, सुनील चौरसिया, सावल दास खत्री, शंकर खत्री, जितेंद्र जामदार, अभिलाष पांडेय, रिंकू विज, अनंत अग्रवाल, भगवान दास धीरावाणी ने किया । मंच संचालन डॉ बृजेश दीक्षित एवं स्वस्तिवाचन रोहित दुबे , सौरभ दुबे ने कराया।