बिजली के इंजन न रख रखाव का साधन…कैसे दौड़े बिजली से ट्रेन | Electric engine is not a means of maintenance… | News 4 Social
बिजली के इंजन न रख रखाव का साधन…कैसे दौड़े बिजली से ट्रेन
बिजली से ट्रेन दौड़ाने में इंजन की कमी और रख-रखाव का संकट बना बाधक
विद्युतिकरण के बावजूद नहीं चल पा रही है बिजली के इंजन से ट्रेन
करोड़ों का खर्च, बह रहा है तारों में करंट
रेलवे ट्रेक के विद्युतिकरण की महज जयपुर मंडल की ही बात करें तो जयपुर-लोहारू, जयपुर-चूरू, रतनगढ़-सरदारशहर, सादुलपुर-हिसार में करीब एक वर्ष पहले ही विद्युतिकरण का कार्य पूरा हो गया। इन लाइनों में रेलवे की ओर से लगातार करंट छोड़ा जा रहा है। साथ ही कर्मचारियों की भी नियुक्ति कर दी गई है। रेलवे के सूत्रों का कहना है कि जयपुर मंडल में ही करीब 80 कर्मचारियों की इस कार्य के लिए नियुक्ति की गई है। प्रत्येक कर्मचारी पर औसतन एक लाख रुपए का खर्च आता है। ऐसे में 80 लाख रुपए तो प्रतिमाह कर्मचारियों पर ही खर्च किए जा रहे हैं। इसके अलावा बिजली का खर्च अलग। इनमें से देखा जाए तो सीकर-लोहारू और सादुलपुर हिसार ट्रेक पर महज एक ट्रेन दुरंतो एक्सप्रेस ही बिजली के इंजन से चलाई जा रही है। अन्य ट्रेक पर बिजली की लाइन होने के बावजूद डीजल इंजन से ही ट्रेन चल रही है।
40 से 50 इंजन की है आवश्यकता
रेलवे के सूत्रों के अनुसार प्रदेश में बिजली से चलने वाले इंजन की बेहद कमी है। ऐसे में ट्रेक के विद्युतिकरण का कार्य पूरा होने बाद भी बिजली से ट्रेन नहीं चलाई जा रही है। उत्तर पश्चिम रेलवे पर वर्तमान में कुल 94 जोड़ी यात्री रेलसेवाएं इलेक्ट्रिक से संचालित हो रही है, लेकिन तैयार अन्य ट्रेकों पर बिजली से रेल चलाने के लिए 40 से 50 बिजली के नए इंजन की आवश्यकता है।
प्रदेश में नहीं है मैंटीनेंस शैड
प्रदेश में बिजली के इंजन की कमी के साथ उसके रख-रखाव और मेंटिनेस की भी व्यवस्था नहीं है। प्रदेश में एक भी बिजली के इंजन का मेंटिनेंस सैड नहीं है। रेवाड़ी में मेंटिनेंस सैड बनाने की घोषणा की गई थी, लेकिन अभी उसकी आधाशीला तक नहीं रखी गई है।
इस वर्ष में सम्पूर्ण ट्रेक के विद्युतिकरण का है लक्ष्य
उत्तर पश्चिम रेलवे में पर्यावरण अनूकुल रेल संचालन के लिये ब्राडगेज लाइनों के विद्युतीकरण कार्य तेजी से किया जा रहा है। वर्ष 2014 के बाद से विद्युतीकरण से जुड़े कार्यों के लिए विशेष बजट का आवंटन किया जाने लगा। ऐसे में पिछले नौ वर्ष में 3531 रूट किलोमीटर मार्ग के विद्युतीकरण कार्य पूरा किया जा चुका है, जो कि उत्तर पश्चिम रेलवे के 5490 रूट किलोमीटर का 64 प्रतिशत से अधिक है।
एक वर्ष में 667 किलोमीटर का विद्युतिकरण
रेलवे वर्ष 2024 तक सभी रेलखण्डों को विद्युतीकृत करने की कार्ययोजना पर कार्य कर रहा है। उत्तर पश्चिम रेलवे में वित्तीय वर्ष 2022-23 में अब तक 667 रूट किलोमीटर रेलखण्ड के विद्युतीकरण पूर्ण कर लिया गया है। वर्ष 2022-23 में लूनी-समदड़ी, मावली-भिंडर, उदयपुर सिटी -खारवा चंदा, सीकर-चूरू एवं बिरधवाल-लूणकरणसर रेलखण्डों का विद्युतीकरण किया गया। हाल ही में आए रेल बजट में विद्युतीकरण परियोजनाओं को गति देने के लिए उत्तर पश्चिम रेलवे को 1217 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। साथ ही अन्य विद्युत कार्यों के लिए लगभग 68 करोड रुपए स्वीकृत किये गए हैं। वर्ष 2023-24 में शेष 1959 किलोमीटर रेलमार्ग के विद्युतीकरण का कार्य पूरा कर लिया जाएगा। उत्तर पश्चिम रेलवे पर वर्तमान में कुल 94 जोडी यात्री रेलसेवाएं इलेक्ट्रिक ट्रेक्शन पर संचालित हो रही है
विद्युतीकरण से यात्रियों को यह होगा फायदा
– डीजल इंजन के धुएं से होने वाले प्रदुषण से मुक्ति
– विद्युत इंजनों की लोड क्षमता अधिक होने के कारण अधिक भार वहन
– अधिक ट्रेनों का संचालन संभव
– ईंधन आयात पर निर्भरता में कमी
-बिजली के इंजन में अधिक क्षमता होने से बढ़ेगी गति