बिकरूकांडः पुलिस ने कर दिया था एनकाउंटर लेकिन कोर्ट ने विकास दुबे को क्यों बनाए रखा है जिंदा | Bikarukand Vikas Dubey still alive in files Court said | Patrika News h3>
Bikarukand: बिकरू कांड समेत 60 अपराधिक मामलों में आरोपित विकास दुबे को प्रशासन ने अभी भी फाइलों में क्यों जिंदा करके रखा है। मृत्यु प्रमाणपत्र में पिता का नाम गलत दर्ज होने से कोर्ट ने मृत्यु स्वीकारने से मना कर दिया। फाइलों में विकास दुबे को जिंदा रखा है।
लखनऊ
Updated: April 18, 2022 11:25:59 pm
बिकरू गांव में सीओ समेत आठ पुलिस कर्मियों को मौत के घाट उतारने वाला कुख्यात विकास दुबे भले पुलिस एनकाउंटर में मार गिराया गया हो मगर कोर्ट की फाइलों में फिलहाल वह जिंदा रहेगा। उसका कारण है गलत मृत्यु प्रमाण पत्र। जब तक यह त्रुटि ठीक नहीं हो जाती तब तक पुलिस को भी इसका खामियाजा भुगतना होगा। बिल्हौर पुलिस ने हत्या के प्रयास के एक मामले में कोर्ट से विकास दुबे और उसके भाई अतुल दुबे का नाम निकलवाने की अर्जी दी। जिसपर कोर्ट ने पुलिस से विकास दुबे और अतुल दुबे का मृत्यु प्रमाण पत्र मांगा है।
Bikarukand Vikas Dubey still alive in files Court said
बिल्हौर थाने में पूर्व एसओ सतीशचन्द्र यादव ने 10 जुलाई 2005 को विकास दुबे, अतुल दुबे, अनुराग दुबे, शिवसिंह यादव और जिलेदार यादव के खिलाफ धारा 147,148,149(बलवा) और 307(जान से मारने का प्रयास) की धाराओं में एफआईआर दर्ज कराई थी। पुलिस रिकार्ड के मुताबिक पूर्व एसओ पुलिस टीम के साथ नानामऊ तिराहा बिल्हौर के पास वाहन चेकिंग करा रहे थे। उसी दौरान विकास दुबे अपने गुर्गों के साथ वहां पहुंचा। उसने व उसके गुर्गों ने पुलिस टीम पर फायरिंग कर दी। इस मामले में सभी आरोपितों के खिलाफ पुलिस ने नवम्बर 2005 में चार्जशीट भी लगा दी थी। उसके बाद इस मामले में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कानपुर देहात के यहां ट्रायल शुरू हो गया।
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कोर्ट ने मांगी मृत्यु आख्या इंस्पेक्टर बिल्हौर धनेश प्रसाद ने बताया कि इस केस में विकास दुबे और अतुल दुबे का नाम हटाने के लिए अर्जी दी थी ताकी बाकी आरोपितों के खिलाफ ट्रायल पूरा हो सके। इंस्पेक्टर के मुताबिक दोनों का नाम हटाने के लिए कोर्ट ने दोनों का मृत्यु आख्या मांगी है। जिसमें दोनों के मृत्यु प्रमाण पत्र कोर्ट में दाखिल करने के आदेश दिए गए हैं। 19 अप्रैल तक कोर्ट में मृत्यु प्रमाण पत्र दाखिल करने के आदेश हुए हैं।
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ऋचा दुबे ने कहा कब से भाग रही हूं सुनवाई नहीं विकास दुबे का मृत्यु प्रमाण पत्र गलत बना दिया गया था। उसके मृत्यु प्रमाण पत्र में पिता रामकुमार का नाम गलत अंकित कर दिया गया। जिससे उसकी जमीनों के मसले भी अटक गए। विकास की पत्नी ऋचा दुबे कहती है कि शुरुआत में ही यह गलती जानबूझकर की गई थी ताकी उन्हें परेशान किया जा सके। उन्होंने थाने से लेकर आईजी, एडीजी तक सब जगह मृत्यु प्रमाण पत्र सही कराने के लिए चक्कर काटे मगर कोई सुनवाई नहीं हुई। उन्होंने कहा जो संकट उनके सामने था और कुछ कुछ वैसा ही संकट पुलिस के सामने भी खड़ा हो गया है। बिना मृत्यु प्रमाण पत्र के विकास दुबे का नाम फाइलों से हटाया नहीं जा सकता।
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लखनऊ
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बिकरू गांव में सीओ समेत आठ पुलिस कर्मियों को मौत के घाट उतारने वाला कुख्यात विकास दुबे भले पुलिस एनकाउंटर में मार गिराया गया हो मगर कोर्ट की फाइलों में फिलहाल वह जिंदा रहेगा। उसका कारण है गलत मृत्यु प्रमाण पत्र। जब तक यह त्रुटि ठीक नहीं हो जाती तब तक पुलिस को भी इसका खामियाजा भुगतना होगा। बिल्हौर पुलिस ने हत्या के प्रयास के एक मामले में कोर्ट से विकास दुबे और उसके भाई अतुल दुबे का नाम निकलवाने की अर्जी दी। जिसपर कोर्ट ने पुलिस से विकास दुबे और अतुल दुबे का मृत्यु प्रमाण पत्र मांगा है।
Bikarukand Vikas Dubey still alive in files Court said
बिल्हौर थाने में पूर्व एसओ सतीशचन्द्र यादव ने 10 जुलाई 2005 को विकास दुबे, अतुल दुबे, अनुराग दुबे, शिवसिंह यादव और जिलेदार यादव के खिलाफ धारा 147,148,149(बलवा) और 307(जान से मारने का प्रयास) की धाराओं में एफआईआर दर्ज कराई थी। पुलिस रिकार्ड के मुताबिक पूर्व एसओ पुलिस टीम के साथ नानामऊ तिराहा बिल्हौर के पास वाहन चेकिंग करा रहे थे। उसी दौरान विकास दुबे अपने गुर्गों के साथ वहां पहुंचा। उसने व उसके गुर्गों ने पुलिस टीम पर फायरिंग कर दी। इस मामले में सभी आरोपितों के खिलाफ पुलिस ने नवम्बर 2005 में चार्जशीट भी लगा दी थी। उसके बाद इस मामले में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कानपुर देहात के यहां ट्रायल शुरू हो गया।
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